न्यायालय की पहल, बच्चों की पुकार — नशा छोड़ो, खुशियों को अपनाओ

शिक्षा, सेवा और संस्कार से सजे न्यायोत्सव में जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान ने दिया प्रेरक संदेश
देपालपुर (इंदौर) – न्यायालय की संवेदनशील पहल और विद्यालयीन बच्चों की सशक्त प्रस्तुति ने गौतमपुरा में अद्भुत दृश्य रच दिया।
तहसील विधिक सेवा समिति देपालपुर, जिला इंदौर एवं लॉर्ड रामा इंग्लिश स्कूल गौतमपुरा के संयुक्त तत्वावधान में “न्यायोत्सव – विधिक सेवा सप्ताह” के अंतर्गत नशा मुक्ति जनजागरण एवं विधिक साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जब विद्यालय के नन्हें कलाकारों ने सुरभि मैडम के निर्देशन में मंच संभाला, तो वातावरण भावनाओं और प्रेरणा से भर उठा। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बच्चों ने समाज को एक गहरा संदेश दिया कि नशा छोड़ो, खुशियों को अपनाओ। सार्थक संवादों से भरे इस नाटक ने सबको सोचने पर विवश किया। नुक्कड़ नाटक दल के सभी कलाकार छात्रों के दल को तहसील विधिक सेवा समिति की ओर से मेडल देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तहसील विधिक सेवा समिति देपालपुर के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश माननीय हिदायत उल्ला खान ने बच्चों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि
संस्कार ही जीवन की नींव है। शिक्षा और सेवा उस नींव के दो आधार स्तंभ हैं। सेवा किसी पद से नहीं, बल्कि भावना से पहचानी जाती है। सच्ची सेवा वही है, जहाँ दूसरों के जीवन में रोशनी पहुँचाई जाती है। न्यायोत्सव का पावन उद्देश्य “न्याय सबके लिए” की पुनीत भावना को साकार करना है।
इस अवसर पर जिला न्यायाधीश श्री खान ने अपने सारगर्भित उद्बोधन के दौरान सेवा भावनाओं से ओत-प्रोत एक प्रेरक कविता भी सुनाई, जिसकी हर पंक्ति ने सभागार में उपस्थित जनों के हृदय को छू लिया। उनके शब्दों में समर्पण, संवेदना और प्रेरणा का ऐसा संगम था कि पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।
विद्यालय संचालक विशाल राठी ने स्वागत कविता के माध्यम से अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की, वहीं चेतन भावसार ने मंच संचालन कर कार्यक्रम को जीवंत बनाया।
इस अवसर पर नायब नाजिर दिलीप यादव, सहायक पुलिस उप निरीक्षक नारायण सिंह तंवर, आरक्षक विजय मुकेश खत्री, पत्रकार गण,विद्यालय स्टाफ एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
अंत में प्राचार्य राजू कृष्णन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों का यह प्रयास समाज में जागरूकता की नई ज्योति जलाएगा। यह केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक भावनात्मक पुकार है और
आने वाली पीढ़ियाँ नशे से नहीं, संस्कार और सेवा से देश का भविष्य बनें।
न्यायोत्सव विधिक सेवा सप्ताह के इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि न्यायालय की पहल और विद्यालयों के सहयोग से यदि “संस्कार, सेवा और शिक्षा” एक साथ चलें तो समाज से नशे की अंधकारमय परछाई मिटाकर, खुशियों की रोशनी फैलाई जा सकती है।