पत्रकार को धमकी देने वाले पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज

पत्रकारों में आक्रोश, 4 नवंबर को किया जाएगा पुतला दहन — प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले के खिलाफ उबल रहा पत्रकार समाज
शहडोल। जिले में पत्रकार सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पूरे मीडिया जगत को झकझोर कर रख दिया है। नगर परिषद से संबंधित अनियमितताओं पर प्रकाशित एक समाचार के बाद नाराज होकर पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष एवं वर्तमान नगरपालिका धनपुरी अध्यक्ष पति इंद्रजीत सिंह छाबड़ा द्वारा वरिष्ठ पत्रकार कैलाश लालवानी को कथित रूप से गालियां देने और जान से मारने की धमकी देने का मामला उजागर हुआ है।
पत्रकार की शिकायत पर धनपुरी थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 294 (गाली-गलौज) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध दर्ज किया है। मामले की पुष्टि धनपुरी थाना प्रभारी द्वारा की गई है।
पत्रकारों में आक्रोश, विरोध प्रदर्शन की तैयारी
इस घटना के बाद जिलेभर के पत्रकारों में भारी आक्रोश व्याप्त है। बुढार क्षेत्र के पत्रकारों ने एकजुट होकर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने घोषणा की है कि यदि जल्द गिरफ्तारी नहीं की गई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
पत्रकारों ने थाना बुढार को ज्ञापन सौंपते हुए सूचित किया कि वे 4 नवंबर को दोपहर 1 बजे कॉलेज तिराहे पर शांतिपूर्ण तरीके से इंद्रजीत सिंह छाबड़ा का पुतला दहन करेंगे। पत्रकारों ने स्पष्ट किया है कि यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और कानून-व्यवस्था के दायरे में रहेगा।
समाचार प्रकाशन से नाराज होकर दी धमकी
वरिष्ठ पत्रकार कैलाश लालवानी ने बताया कि उन्होंने नगर परिषद कर्मचारियों द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी किए बिना स्कूली ड्रेस वितरण में की गई गंभीर अनियमितताओं पर समाचार प्रकाशित किया था। इसी बात से नाराज होकर इंद्रजीत सिंह छाबड़ा ने उन्हें फोन पर अशोभनीय भाषा में गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।
लालवानी ने कहा कि यह न केवल उनकी व्यक्तिगत गरिमा पर हमला है बल्कि मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश भी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को डराने या धमकाने की यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।
पत्रकार संगठनों ने की तीखी प्रतिक्रिया
पत्रकार संगठनों ने इस पूरे प्रकरण को मीडिया की आज़ादी पर सीधा हमला करार दिया है। उनका कहना है कि यदि पत्रकारों को भयमुक्त होकर काम करने की स्वतंत्रता नहीं मिलेगी तो सच्चाई जनता तक नहीं पहुँच पाएगी।
संयुक्त पत्रकार मोर्चा, प्रेस क्लब और अन्य मीडिया संगठनों ने शासन-प्रशासन से आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई में ढिलाई बरती गई तो जिलेभर के पत्रकार एकजुट होकर चरणबद्ध आंदोलन करेंगे।
जनता और सामाजिक संगठनों ने भी जताई नाराज़गी
केवल पत्रकार ही नहीं, बल्कि कई सामाजिक संगठनों, अधिवक्ताओं और आम नागरिकों ने भी इस घटना की निंदा की है। उनका कहना है कि “प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है” और पत्रकारों को डराने-धमकाने के प्रयास अस्वीकार्य हैं।
जनता ने प्रशासन से अपील की है कि आरोपी के खिलाफ निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति प्रेस की स्वतंत्रता से खिलवाड़ करने की हिम्मत न जुटा सके।
प्रशासन की भूमिका पर भी उठे सवाल
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। नागरिकों और पत्रकारों का कहना है कि जब पत्रकारों को ही सुरक्षा नहीं मिलेगी, तो आम जनता कैसे सुरक्षित महसूस करेगी? अब सभी की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस मामले में कितनी तेजी और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है।