December 5, 2025

नगरपालिका ने RTI डालने वाले पर ठोंका जुर्माना, पर खुद की दीवारों पर सजी पीक-पेंटिंग पर मैडम मौन क्यों ?

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सीएमओ मैडम के दोहरे रवैये पर उठे सवाल — क्या जुर्माना सिर्फ आम आदमी के लिए…

शहडोल । अगर आप नगरपालिका दफ्तर के प्रांगण में बीड़ी या सिगरेट सुलगाते दिख गए, तो सावधान हो जाइए , आप पर जुर्माना ठोका जा सकता है। पर ज़रा ठहरिए यह नियम शायद सिर्फ जनता के लिए बना है, क्योंकि इसी दफ्तर की दीवारें, फर्श और खंभे खुद गवाही दे रहे हैं कि वहां “धूम्रपान संस्कृति” खूब फली-फूली है।
ऐसा ही कुछ नगरपालिका धनपुरी प्रांगण में हुआ, जब एक व्यक्ति को धूम्रपान करते पकड़ने पर 500 रुपये का जुर्माना ठोंक दिया गया। यह मामला जितना छोटा दिखता है, उतना ही व्यवस्था की दोहरी मानसिकता को उजागर करता है।

दरअसल, जुर्माना भरने वाले शख्स का नाम मो. असलम बाबा बताया जा रहा है। असलम पर आरोप है कि उन्होंने नगरपालिका परिसर में सिगरेट पी। वहीं, नगर पालिका कर्मियों का कहना है कि यह धूम्रपान निषेध अधिनियम का उल्लंघन है, इसलिए जुर्माना लगाया गया,
पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती , क्योंकि नगरपालिका की दीवारें खुद बोल रही हैं।

जहां जुर्माना हुआ, वहीं पड़ी हैं सिगरेट की ठूंठें, लाल सुर्ख पीक और गुटखे के निशान,
नगरपालिका के भीतर कदम रखते ही हर खंभे, दीवार और सीढ़ियों पर पान-गुटखे की कलाकारी नजर आती है।

आम जनता सवाल उठा रही है , क्या ये गुटखे और बीड़ी के ठूंठ किसी आम नागरिक ने छोड़े हैं, या फिर नगरपालिका के बाबुओं ने दफ्तर के अंदर ही धुआं सम्मेलन, आयोजित किया था, शहरवासियों का कहना है कि सीएमओ मैडम का यह रवैया तुगलकी फरमान से कम नहीं है।
एक ओर तो जनता पर जुर्माने की गाज गिर रही है, वहीं दूसरी ओर नगरपालिका के कर्मचारी और अधिकारी खुद उसी अपराध में लिप्त दिखाई दे रहे हैं । मगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं…

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मो. असलम बाबा वही व्यक्ति हैं जिन्होंने हाल ही में नगरपालिका की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार पर कई आरटीआई (RTI) दायर की थीं,
असलम ने नगरपालिका में सफाई, टेंडर प्रक्रिया और निर्माण कार्यों में गड़बड़ी से जुड़े दस्तावेज मांगे थे , जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्या जुर्माने की कार्रवाई वाकई धूम्रपान पर हुई या किसी बदले की भावना’ से प्रेरित थी,स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई एक तरह से चुप कराने की कोशिश है।
नगरपालिका की कार्यशैली पहले भी विवादों में रही है । नालियों की सफाई से लेकर सड़कों की हालत तक, सबकुछ कागज़ पर दुरुस्त और जमीन पर ध्वस्त, ऐसे में आरटीआई डालने वाले पर जुर्माना लगाकर शायद ये संदेश दिया जा रहा है कि सवाल पूछो, तो सजा पाओ

शहरवासियों की जुबानी

एक दुकानदार ने कहा , अगर नगरपालिका वाकई धूम्रपान निषेध लागू करना चाहती है, तो पहले अपने कर्मचारियों पर कार्रवाई करे। वहां हर कोने में बीड़ी के ठूंठ पड़े हैं, मगर आंखें बंद रहती हैं। दूसरे नागरिक बोले असलम बाबा को सजा नहीं, सबक सिखाया गया है । ताकि कोई अगली बार नगरपालिका के खिलाफ आवाज न उठाए…

इस पूरे मामले में जनता के मन में कई सवाल हैं ।

क्या नगरपालिका परिसर में धूम्रपान वाकई बंद है, या सिर्फ आम जनता पर लागू नियम है…सीएमओ मैडम को अपने कर्मचारियों के गुटखा-पीक के निशान क्यों नहीं दिखते…और सबसे अहम क्या आरटीआई डालना अब अपराध बन गया है…

नगरपालिका की यह कार्रवाई कानून के नाम पर व्यक्तिगत बदले की बू देती है। एक तरफ धूम्रपान निषेध का बोर्ड टंगा है, और दूसरी ओर वही दफ्तर गुटखा गैलरी में तब्दील है।
जनता कह रही है धुएं का दोष असलम बाबा पर,
और सुलगती सिगरेटें नगर पालिका दफ्तर में
ये कैसा न्याय, ये कैसी नीति…

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