मरवाही विधायक भ्रामक प्रचार कर रहे है : भूपेश बघेल
पेण्ड्रा-गेवरा रेल लाइन के रूट बदलने के किसी भी प्रयास से कांग्रेस का कोई वास्ता नहीं है
रायपुर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने पेंड्रा-गेवरा रेल लाइन के रूट में बदलाव संबंधी किसी प्रयास के होने या उससे कांग्रेस के किसी भी नेता का नाम जोड़े जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। मरवाही विधायक का फ़र्ज़ था कि आदिवासियों और किसानों को न्याय दिलाते लेकिन वे स्वयं ठेकेदार कंपनी के साथ मिलकर अन्याय को समर्थन दे रहे है। जबकि कांग्रेस प्रभावित किसानों और वन अधिकार के पात्र लोगों को मुआवजा और रोजगार दिलाने की लड़ाई लड़ रही है।
एनजीटी में दायर याचिका किसी कांग्रेस नेता नहीं एक अधिवक्ता ने दायर की है जो एक स्वतंत्र व्यक्ति है और कांग्रेस का सदस्य भी नहीं है। याचिका में वन सरंक्षण अधिनियम एवं वन अधिकार कानून 2005 के पूर्ण परिपालन की मांग की गई है ना कि रेल लाइन का रूट बदलने की। वैसे भी एनजीटी के अधिकार क्षेत्र में यह आता ही नही है कि किसी परियोजना की दूसरी जगह या रुट वह सुझाये, यह काम सरकार का है और उसके बाद एनजीटी का काम उसमें वन और पर्यावरण के कानूनो का परिपालन कराने का है।
वस्तुतः इस तरह का सारा भ्रामक प्रचार मरवाही विधायक और कोरबा के भाजपा सांसद के पुत्र के नापाक गठजोड़ को छुपाने के लिए है। आज डेढ़ साल से कोरबा सांसद के पुत्र की कंपनी मरवाही पेंड्रा क्षेत्र में काम कर रही है और हजारो की संख्या में प्रभावित किसान यह बात कह रहे है कि रेल लाइन अधिग्रहित ज़मीन से कही अधिक ज़मीन पर कब्जा करके ठेकेदार कंपनी काम कर रही है। इसी तरह 1976 के बाद के किसी भी वन अधिकार पट्टे को राज्य शासन या रेल कंपनी मान्यता नही दे रहा है जो कि यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी के अथक प्रयासों द्वारा बनवाये गए वन अधिकार कानून 2005 का खुला उलंघन है। इस सब के बावजूद मरवाही विधायक का किसानों के बजाय कंपनी के साथ खड़े होना यह साबित करता है कि इस शोषण में वह स्वयं भागीदार है।
प्रभावित लोगों में सर्वाधिक संख्या गरीब आदिवासी परिवारों की है उसके बावजूद आज तक मरवाही विधायक उन्हें न्याय दिलाने के लिए कभी खड़े नही हुए, जो यह साबित करता है कि उनकी कोई भी सहानुभूति आदिवासियों के साथ नही है और इससे यह भी साबित होता है कि वे आदिवासी है ही नही।
रेल परियोजना का विरोध नही कर रही है वस्तुतः 2012 का एमओयू और 2013 के रेल विभाग की मंजूरी मनमोहन सिंह सरकार की ही देन है। लेकिन इस के साथ साथ वन पर्यावरण हानि को रोकने के सभी उपाय , वन भूमि पर काबिज सभी लोगों को मुआवजा और पुनर्वास, अधिक कब्जा की गई जमीनों का निराकरण और क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन को रोकने के कदम उठाना भी उतना ही जरूरी है। परियोजना के पुनर्वास योजना के तहत हर प्रभावित परिवार को प्रतिवर्ष पचास हजार रुपए की राशि और एक व्यक्ति को स्थायी रोजगार भी दिया जाना चाहिए। ये क्षेत्र हाथी और भालू प्रभावित क्षेत्र है इसलिए उनके बचाव के पर्याप्त उपाय आवश्यक हैं।
कांग्रेस हमेशा कमजोर व्यक्ति की आवाज उठाती आई है, एक साल पहले भी कांग्रेस ने इन मांगों पर बिलासपुर जाकर धरना दिया था। आज भी पार्टी इस लड़ाई को पूरी ताकत से लड़ेगी और किसी भी दुष्प्रचार से ये लड़ाई कमजोर नही होने दी जाएगी। आम जनता से अपील की है कि वे सच्चाई को समझें और मरवाही विधायक के चरित्र को पहचाने और इस लड़ाई में कांग्रेस का साथ दें।