इस माह कई महान विभूतियों की जयंती : मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी बधाई
महान विभूतियों के बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेने का आव्हान
रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने चालू माह अप्रैल में देश की अनेक महान विभूतियों की जयंती मनाये जाने का उल्लेख करते हुए जनता को बधाई और शुभकामनाएं दी है। डॉ. सिंह ने आज सवेरे आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठ’ में बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर, महात्मा गौतम बुद्ध, संत शिरोमणि सेन महाराज, महाप्रभु वल्लभाचार्य, भगवान परशुराम, खालसा पंथ के प्रवर्तक गुरू गोविन्द सिंह सहित अद्वैत वेदांत के प्रणेता आदि शंकराचार्य के व्यक्तित्व और कृतित्व का विशेष रूप से उल्लेख किया। लोगों ने घरों में अपने परिवारजनों के साथ बैठकर रेडियो पर मुख्यमंत्री का प्रसारण सुना।
मुख्यमंत्री ने सभी लोगों से देश की महान विभूतियों के बताये सत्य, अहिंसा और सामाजिक समरसता के रास्ते पर निरंतर चलते रहने की प्रेरणा लेने का आव्हान किया। डॉ. रमन सिंह ने कहा – 14 अप्रैल को बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म दिन है। उन्होंने हमारे देश को दुनिया के महानतम और गौरवशाली संविधान की सौगात दी और देशवासियों के लिए सदैव सम्मान और स्वाभिमान से रहने का मार्ग प्रशस्त किया। वे सिर्फ पिछड़े और कमजोर तबकों के ही मसीहा नहीं थे, बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों के प्रेरणा-स्रोत बने। मुख्यमंत्री ने कहा – डॉ. अम्बेडकर महान राष्ट्रवादी थे और कहते थे कि हम सबसे पहले और सबसे अंत में भारतीय हैं। डॉ. रमन सिंह ने कहा – इस माह बुद्ध पूर्णिमा है। एक राजा के महात्मा बनने की कथा, जिनके जीवनवृत्त में समायी हुई है, वैसे गौतम बुद्ध का सम्पूर्ण जीवन मानवता का संदेश है। भगवान बुद्ध का संदेश इतना सशक्त और सार्थक था कि बौद्ध धर्म के अनुयायी दुनिया में बहुत तेजी से फैले और सत्य, अहिंसा और शांति के प्रचारक बन गये। संत शिरोमणि सेन महाराज ने गृहस्थी के साथ भक्ति मार्ग पर चलते हुए सामाजिक समरसता की स्थापना में बहुमूल्य योगदान दिया।
डॉ. सिंह ने महाप्रभु वल्लभाचार्य को याद करते हुए कहा- उनका जन्म स्थल चम्पारण्य छत्तीसगढ़ का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो राजिम के नजदीक स्थित है। महा प्रभु वल्लभाचार्य ने ब्रम्ह, जगत और जीव के अटूट संबंधों की व्याख्या की और मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने का मंत्र दिया। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है, जिन्होंने धर्म पालन के लिए कठोर तप किया था। वे धर्म पालकों के संरक्षण के लिए युगों-युगों तक याद किये जाएंगे। बैसाखी के दिन सिक्खों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। यह दिन रबी फसल के पकने की खुशी का प्रतीक भी है। डॉ. रमन सिंह ने कहा – आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता, प्रसिद्ध शैव आचार्य थे। उपनिषदों और वेदांत सूत्रों पर लिखी उनकी टीकाएं बहुत प्रसिद्ध है। उन्होंने देश में चार मठों-बद्रिका आश्रम, श्रृंगेरीपीठ, द्वारिका पीठ और शारदा पीठ की स्थापना की। उन्हें भगवान शंकर का अवतार माना जाता है, जिन्होंने ब्रम्हसूत्रों की बड़ी विशद और रोचक व्याख्या की है।