November 6, 2024

उद्योग प्रबंधन कृषक के साथ धोखा कर भूमि खसरा नंबर 495 रकबा 12 एकड़ 34 डिसमिल नक्शे में उलट फेर करते हुए लाखों की भूमि को कौड़ियों के दाम हड़पने का आरोप।

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तत्कालीन कलेक्टर शहडोल के द्वारा अपनी भूमि पर यथा स्थिति रहने और निर्माण पर प्रतिबंध लगाने के आदेश की अवहेलना।

बरगवां अमलाई।उद्योग निर्माण एवं क्षेत्र के विकास लोगों के रोजगार एवं आय के साधन को दृष्टिगत रखते हुए सन 1960 में ओरिएंट पेपर मिल कागज कारखाना उद्योग को ग्राम बरगवां के कृषक रामाधीन पिता बलदेव राम तहसील सोहागपुर जिला शहडोल एवं वर्तमान में तहसील अनूपपुर जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश) के द्वारा उद्योग में कच्चा माल लाने और ले जाने के लिए रेलवे साइडिंग के नाम पर भूमि खसरा नंबर 617 पुराना रकबा 19 एकड़ 34 डिसमिल भूमि जोकि वर्तमान मेंओ पी एम इंक लाइन भूमिगत खदान चूना भट्टा आरा मशीन बंबू गेट रेलवे साइडिंग रेलवे लाइन ओरिएंट पेपर मिल एवं सा उद्योग सोडा कास्टिक यूनिट की रेलवे लाइन और इस रेलवे लाइन के बगल से बना ओ पी एम बंबू गेट से इंदिरा नगर रेलवे स्टेशन पहुंच मार्ग निर्मित है जबकि कृषक के द्वारा सिर्फ और सिर्फ रेलवे साइडिंग निर्माण एवं रेलवे लाइन बिछाने के लिए 19 एकड़ 34 डिसमिल जमीन में से 7 एकड़ 90 डिसमिल जमीन ओरिएंट पेपर मिल उद्योग को 1260 रुपए मुआवजा के तौर पर लेते हुए रजिस्ट्री कराया गया किंतु उद्योग के द्वारा कृषक के साथ जालसाजी एवं बेईमानी करते हुए कृषक की भूमि आरजी खसरा नंबर वर्तमान में खसरा नंबर 495 जिस पर 12 एकड़ 34 डिसमिल जमीन दर्ज है नक्शे में त्रुटि पैदा कर दी गई जिस पर वर्तमान भूमि स्वामी के पूर्वज के द्वारा मुकदमा दायर किया गया नक्शा सुधार के लिए जिस पर तत्कालीन कलेक्टर शहडोल के द्वारा नक्शे में त्रुटि किया जाना पाया गया उसे आधार पर उद्योग को आदेशित किया गया की उद्योग के द्वारा अब कृषक की भूमि पर अनाधिकृत रूप से कोई भी निर्माण कार्य कब्जा नहीं किया जाए जहां पर हैं यथावत एवं यथा स्थिति रहने का आदेश दिया गया किंतु अभी तक खसरा नंबर 495 की भूमि का सीमांकन व नक्शा तरमीम नहीं हो पाया और समस्या वर्तमान स्थिति में आज भी जो कि क्यों बनी हुई है किंतु उद्योग प्रबंधन द्वारा उसे भूमि को विक्रय किया गया और कोल वासरी एवं कोल यार्ड बनाने की तैयारी कर रहा है कौड़ियों के दाम भूमि स्वामी से जमीन हड़पकर नक्शे में त्रुटि पैदा कर अब उसे भूमि को 50 लाख रुपए एकड़ में 100 एकड़ भूमि जिसकी कीमत लगभग 60 करोड रुपए किसी कोयला माफिया को नामांतरण एवं रजिस्ट्री करने की फिराक में बिना नामांतरण एवं रजिस्ट्री के 100 एकड़ भूमि पर समतलीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है एवं कई वर्षों से प्रशासन के द्वारा लगाई गई भूमि विक्रय पर रोक को नजरअंदाज करते हुए शासन के आदेशों की अवहेलना सरेआम की जा रही है और एक गरीब किसान की भूमि का पूर्णत: से सही व व्यवस्थित ना करते हुए अवैध रूप से संपूर्ण भूमि का क्रय किया जा रहा है ऐसे में हो रहे इस अवैध निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग भूमि स्वामी के द्वारा जब तक हमारी संपूर्ण भूमि हमें नहीं मिल जाती किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को न करने की मांग की है। सन 1952 के सेटलमेंट का पट्टा भूमि स्वामी के नाम दर्ज था किंतु कृषक के द्वारा उद्योग निर्माण को लेकर जनकल्याण की भावना को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित शंभूनाथ शुक्ल एवं पूर्व उद्योग के मैनेजर तिरानी के कहने पर रेलवे लाइन निर्माण कार्य के लिए दी गई भूमि और भूमि स्वामी के अनपढ़ गरीब बेवस लाचार होने का लाभ उठाते हुए इमोशनल ब्लैकमेल का काम कर रही उद्योग प्रबंधन ओरिएंट पेपर मिल अमलाई कागज कारखाना।

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