November 6, 2024

सूर्य षष्ठी महापर्व की अद्वितीय तैयारी नगर परिषद बरगवां अमलाई में।

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बरगवां। (बृजेंद्र मिश्रा) नगर परिषद बरगवां अमलाई के वार्ड क्रमांक 03 स्थित तालाब में सूर्य षष्ठी मा पर्व महापर्व पर लगेगी आस्था की डुबकी जिसकी तैयारी को लेकर नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती गीता गुप्ता ने कहा कि यह हिंदू सनातन धर्म की एक अद्भुत एवं अपनी महत्वपूर्ण व्रत एवं पूजा विधान वैदिक परंपराओं पर आधारित सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हुए ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को लेकर समर्पण भाव एवं भक्ति का प्रतीक है।कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाला छठ महापर्व भारतवर्ष की अंनूठी धर्म संस्कृति की अद्वितीय परंपराओं में से एक है, जो चार दिनों तक सूर्य देव की उपासना का विशेष विधान लेकर आता है। इस पर्व में व्रतियों द्वारा सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा की जाती है, जिसमें विशेष नियमों का पालन करना होता है।
छठ पूजा का आरंभ इस वर्ष 05 नवंबर को प्रथम दिवस“नहाय खाय” के साथ द्वितीय दिवस खरना और तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और अंतिम चौथे दिन प्रातः काल भगवान सूर्य की उपासना एवं व्रत की पूर्ण आहुति की जाती है। इस दिन श्रद्धालु नदी, तालाब या किसी पवित्र जल स्रोत में स्नान कर पवित्र भोजन ग्रहण करते हैं। स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, जो पर्व की शुरुआत का प्रतीक है।
पर्व का दूसरा दिन 06 नवंबर को “खरना” के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन व्रतधारी नए मिट्टी के चूल्हे पर खीर बनाते हैं और इसे छठी मैया को भोग लगाकर ग्रहण करते हैं। खरना के बाद से व्रत की पूर्णता का नियम शुरू हो जाता है।
07 नवंबर को छठ पूजा के तीसरे दिन व्रतधारियों द्वारा निर्जला उपवास रखा जाता है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान होता है, जहां हजारों श्रद्धालु एकत्र होकर जलाशयों पर सूर्यास्त के समय सूर्य देव की आराधना करेंगे।
अंतिम दिन, 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होता है। इस दिन व्रतियों का उपवास टूटता है और परिवार में प्रसाद वितरण कर पर्व का पारण होता है। सूर्य षष्ठी महापर्व की महत्ता और उल्लास औद्योगिक एवं कोयलांचल क्षेत्र ओरिएंट पेपर मिल कागज कारखाना सोडा कास्टिक यूनिट में राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जहां इस पर्व का विशेष महत्व है वहीं के रहने वाले इस महापर्व को अद्वितीय तरीके से देश के कोने-कोने में जहां भी निवासरत हैं वही पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

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