अमरकंटक की समूची धरती आदिकाल से केवल और केवल “नर्मदा तीर्थ” है : श्रीधर शर्मा
सनातन धर्म में सभी का हृदय की गहराइयों से सम्मान है, लेकिन हमारे तीर्थ को सर्वोदय तीर्थ का तमगा पहनाना सनातन पर प्रहार : श्रीधर शर्मा, परम धर्म सांसद शहडोल
अमरकंटक/ अनूपपुर जिले का पावन धाम अमरकंटक आज समूचे विश्व पटल पर धर्म ध्वज फहराने के लिए और सनातन धर्म और संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए विख्यात है और चंद लोग संकीर्ण मानसिकता के साथ अध्यात्म की प्रमुख कड़ी मां नर्मदा की भूमि पर आधिपत्य स्थापित करने का दुःस्वप्न संजोए बैठे हुए हैं। आदिकाल से कई पुराणों में मां नर्मदा के अध्यात्म की कथाएं प्रचलित हैं और भक्तों में मां नर्मदा को लेकर आस्था है। अमरकंटक की समूची धरती मां नर्मदा के आशीर्वाद से अभिसिंचित होकर फलीभूत होने वाली धर्म नगरी है, जो कि आदि काल से “नर्मदा तीर्थ” है। परम धर्म सांसद श्रीधर शर्मा ने मां नर्मदा के अध्यात्म और उनकी महत्ता के विषय में बताते हुए कहा कि अमरकंटक की धरती मां नर्मदा की पावन भूमि है और सदैव नर्मदा तीर्थ है और आगे भी नर्मदा तीर्थ ही रहेगा। श्री शर्मा ने कड़े शब्दों में कहा कि हम सभी मां नर्मदा के पुत्र हैं और मां नर्मदा की रजधूल माथे पर लगाकर हमने मां नर्मदा की गोद में खेला है और उनके आशीर्वाद से हम इस पावन माटी में उन्हीं के आशीर्वाद पर आश्रित हैं। धर्म नगरी कही जाने वाली यह धरती सभी का सम्मान करती है और मां नर्मदा के पावन संस्कारों से अभिसिंचित हमारे मन में भी सभी का सम्मान है। यहां बनने वाली मंदिरों में स्थापित देवी देवता सर्वदा पूजन अर्चन और दर्शन के लिए हैं और हम सभी का सम्मान करते हैं लेकिन मां नर्मदा की धरती पर “नर्मदा तीर्थ” को “सर्वोदय तीर्थ” कह कर संबोधित करना हमारी आस्था पर कुठाराघात है। मां नर्मदा का यह तीर्थ स्थल कभी पर्यटक स्थल नहीं होना चाहिए। यहां पर्यटक घूमने और मन बहलाने के लिए नहीं अपितु श्रद्धालु मां नर्मदा के दर्शन के लिए आते हैं। जब हमारे तीर्थ का एक अलग ही भाव दर्शन से जुड़ा हुआ है तो फिर सरकारों को इस विषय पर विचार करना चाहिए कि विश्व पटल पर अपनी आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध किसी तीर्थ स्थान को पर्यटक स्थल कहकर उसका अपमान न करें। श्री शर्मा ने कहा कि हमारे अध्यात्म, हमारी संस्कृति और हमारे सनातन धर्म के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ हमें बर्दाश्त नहीं है और सबसे अहम बात यह है कि अमरकंटक सदैव “मां नर्मदा” का ही तीर्थ रहेगा और अन्य लोग इस सत्य को स्वीकार करें और किसी अन्य नाम की उपमा देने की कोशिश न करें।