November 26, 2024

कोतमा विधानसभा में दावेंदारो की भरमार

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कोतमा में भाजपा को जीतने वाले प्रत्याशी की तलाश

इंट्रो।

मध्यप्रदेस में होने वाले आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव हेतु राजनीति दलों ने तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। लगभग दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां भी जिताऊ प्रत्याशियों की खोज हेतु कई स्तर से सर्वे करा रही है। शहडोल सम्भाग की 8 विधानसभा में सबसे दिलचस्प मुकाबला इकलौती अनारक्षित सीट कोतमा विधानसभा में देखने को मिलेगी। विदित होकि मध्यप्रदेस की राजनीतिक सियासत के महासमर का अंतिम फैसला भी दो राष्ट्रीय दलों के बीच ही तय होता है। साथ ही आगामी नवम्बर 2023 में होने वाले चुनाव में मध्यप्रदेस सियासत की गद्दी के सरताज का कौन रहेगा शिवराज या कमलनाथ यह फैसला भी तय हो जाएगा।

अनुपपुर । अविरल गौतम

आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव में शहडोल सम्भाग की इकलौती अनारक्षित सीट कोतमा विधानसभा पारंपरिक तौर पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है.1957 में जब यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी, तब से लेकर अब तक ज्यादातर यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. वर्ष 1957 में इस सीट से कांग्रेस के हरि राज कंवर विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। जहां सन 1977 में एक बार जनता पार्टी से बाबूलाल सिंह व 1990 में भारतीय जनता पार्टी 1998 से 2008 तक भाजपा की विजय हुई थी। इसके अलावा यह सीट हमेसा कोंग्रेस के खाते में रही।

1957 से अब तक कब कौन रहे विधायक़

1957: हरि राज कुंवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962: गिरजा कुमारी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: के. एम. सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1972: मृगेंद्र सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977: बाबूलाल सिंह, जनता पार्टी
1980: भगवानदीन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)
1985: भगवानंदीन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1990: छोटे लाल भारतीय, जनता पार्टी
1993: राजेश नंदनी सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1998: जय सिंह मरावी, भारतीय जनता पार्टी
2003: जय सिंह मरावी, भारतीय जनता पार्टी
2008: दिलीप जायसवाल, भारतीय जनता पार्टी
2013: मनोज कुमार अग्रवाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2018: सुनील सराफ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
चुनाव परिणाम

2013 व 2018 में कोतमा विधानसभा की क्या थी तस्वीर

विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस के मनोज कुमार अग्रवाल 1,42,751 कुल मतों में से 38,319 वोट यानी 36.87 प्रतिशत मतों के साथ जीत सुनिश्चित करने में कामयाब रहे थे. जबकि भाजपा के राजेश सोनी 36,773 मतों मतलब 35.38 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वही कोतमा विधानसभा सीट पर 2018 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के द‍िलीप कुमार जायसवाल और कांग्रेस के सुनील सराफ के बीच मुकाबला था. इस सीट पर कांग्रेस के सुनील कुमार ने 11429 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।

2023 में कॉन्ग्रेस के संभावित दावेंदार

कोतमा विधानसभा सीट इस बार सामान्य सीट होने के कारण दावेदारों की संख्या अधिक है, क्षेत्रीय दावेदारों के अलावा बाहरी प्रत्यासी भी अपनी किस्मत आजमाने जोर आजमाइश कर रहे हैं। बीते दिनों होने वाले होली मिलन समारोह व अन्य आयोजनों में नेताओ की अचानक बढ़ी उपस्थिति से दावेदारों के चेहरे चर्चा में आये है। जिनमे से मुख्य रूप से कॉन्ग्रेस से संभावित दावेंदार में कांग्रेस के वर्तमान विधायक़ सुनील जिला पंचायत सदस्य रामजी मिश्रा रिंकू डॉक्टर बी पी एस चौहान, राजकुमार शुक्ला, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नागेन्द्रनाथ सिंह, पूर्व विधायक मनोज अग्रवाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मंगलदीन साहू,अशोक त्रिपाठी,के नाम शामिल हैं।

2023 में भाजपा से संभावित दर्जन दावेंदार

भाजपा से दावेदारी की बात करें तो सबसे तेज चर्चाओं में पूर्व विधायक दिलीप जैसवाल, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज द्विवेदी,लवकुश शुक्ला,अजय शुक्ला, हनुमान गर्ग,उमा सोनी,मोहिनी वर्मा,ज्योति सोनी के अलावा मुनेश्वर पांडे के नामो की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

नामो पर चल रहा मंथन

राजनैतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के नाम सर्वे सूची है। कांग्रेस के राजनैतिक जानकारों व सूत्रों की माने तो कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य रामजी मिश्रा, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष नागेंद नाथ सिंह व पूर्व विधायक मनोज अग्रवाल के नामो पर मंथन चल रहा है।

जिलाऊ प्रत्यासी की है दोनों दलों को तलाश

कोतमा विधानसभा के राजनैतिक समीकरण की बात करें तो यहां सियासी ऊंट कब किस करवट बैठ जाये यह कहना थोड़ा कठिन है । राजनैतिक विश्लेषकों का मत यह है कि कोतमा विधानसभा में दोनों दलों के प्रत्यासियो के टिकट घोषणा के बाद एक तीसरे मोर्चे का गठन होता है। जिंसमे भाजपा औऱ कांग्रेस के बागी नेता आपस मे एक होकर यह तय करते हैं। कि किसे जिताना है और किसे हराना है। बहरहाल वर्तमान में आज भले कोंग्रेस जमीनी स्थिति में कमजोर है औऱ भाजपा बूथ स्तर तक मजबूत है। मगर हकीकत में देखा जाए तो कांग्रेस भाजपा से बहुत अच्छी मजबूत स्थिति में है। बहरहाल भाजपा और कांग्रेस दोनों दल जिताऊ प्रत्यासी की तलाश में हैं। आगामी विधानसभा में किसका भाग्य उदय होगा यह तो आने वाला समय बताएगा।

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