बिरला उद्योग के द्वारा जनहित में किए गए वादे से मुकर गए प्रबंधन के अधिकारी।
निशुल्क शिक्षा की जगह पर वसूला जा रहा 6 गुना शिक्षा शुल्क।
शहडोल।इस क्षेत्र के गरीब मजदूर परिवार के पेट में और उनकी रोटी में डाल रहा डाका ओरियंट पेपर मिल कागज कारखाना उद्योग का अधिकारी वर्ग ज्ञात हो कि निरंतर 7 दशकों से संचालित कागज कारखाना और इसके आसपास बसे ग्राम जोकि इनके द्वारा बांटे जा रहे प्रदूषण, मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाओं पेयजल चिकित्सा शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकता के साथ बेबसी भूखमरी और बेरोजगारी का दंश वर्षों से झेल रहे हैं।
उद्योग स्थापना से पूर्व प्रभावित ग्रामों के साथ उद्योग प्रबंधन के द्वारा साफ तौर पर अनुबंध किया गया था कि उद्योग से प्रभावित ग्रामों को निशुल्क शिक्षा निशुल्क चिकित्सा के साथ अन्य मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था निशुल्क की जाएगी किंतु यहां तो स्कूल एवं ओपियम प्रबंधन के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे चाल और चरित्र का निर्माण किया जा रहा है जिसके कारण यहां के ओपियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के ऊपर कूट रचित षडयंत्र पूर्वक नीति और नियम बनाकर जबरिया थोपने का कार्य किया जा रहा है। विदित हो कि कुछ वर्षों पूर्व इस विद्यालय में अधिकाधिक संख्या में छात्र छात्राएं शिक्षा अध्ययन करते थे और शिक्षा शुल्क के रूप में बहुत ही कम मात्रा में शिक्षा शुल्क लिया जाता था परंतु वर्तमान स्थिति में उद्योग प्रबंधन के कुछ तथाकथित अधिकारी और स्कूल के जिम्मेदार की मिलीभगत से बिना सीबीएसई बोर्ड की मान्यता प्राप्त किए ही संपूर्ण व्यवस्था को बदलने का प्रयास किया जा रहा है जबकि शिक्षा का स्तर वही पुराने शिक्षकों के उपस्थिति में उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जा रही है इस प्रकार अगर सीबीएसई बोर्ड की मान्यता प्राप्त है उसके आधार पर शिक्षा के स्तर पर भी सुधार दिखना चाहिए किंतु ऐसा कुछ भी नहीं है सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ा कर हवा हवाई एवं दिखावा करके यहां अध्ययनरत गरीब मजदूर कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है जबकि इस विद्यालय में निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के अभिभावकों के द्वारा 6 गुना अधिकतम फीस शिक्षा शुल्क में वृद्धि किए जाने के कारण अन्यत्र विद्यालय में जहां पर उनकी सुविधा के अनुसार शिक्षा शुल्क लिया जाता है वहां अपने बच्चों का दाखिला करा रहे हैं इस पर भी स्कूल प्रबंधन एवं उद्योग के अधिकारियों की मिलीभगत से अभिभावकों से यह कहकर उन्हें स्थानांतरण प्रमाण पत्र प्रदान किया जा रहा है की हमारा अन्यत्र स्थानांतरण हो गया है और हम वही के विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाएंगे जबकि यह नहीं दिखाया जा रहा है की स्कूल प्रबंधन और अधिकारियों के द्वारा कूट रचित षडयंत्र पूर्वक अचानक विद्यालय के शिक्षा शुल्क में बढ़ोतरी की गई है जिसे ना दे पाने की स्थिति में विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों के द्वारा वहां से नाम कटवा कर अन्य विद्यालय में दर्ज कराए जा रहे हैं।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार ओपियम शिक्षण केंद्र की महिला प्राचार्य के द्वारा ओपियम शिक्षण केंद्र की शिक्षा स्तर को सुधारने का प्रयास नहीं किया जा रहा है सिर्फ उद्योग प्रबंधन के अधिकारियों के द्वारा सोची समझी साजिश जिस पर उद्योग के अधिकारियों के द्वारा विद्यालय में शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों को मासिक वेतन भुगतान स्वयं ओरिएंट पेपर मिल के द्वारा ना करना पड़े इसलिए यह सब खेल किया जा रहा है जिससे विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों से शिक्षकों का वेतन भुगतान शिक्षा शुल्क में वृद्धि कर किया जा सके।