सीबीएसई बोर्ड की मान्यता नहीं फिर भी शुल्क में की गई वृद्धि।
ओ पी एम शिक्षण केंद्र अमलाई में वसूली जा रही अवैध शिक्षा शुल्क।
शहडोल( बृजेंद्र मिश्रा )एशिया का ख्याति प्राप्त कागज कारखाना ओरियंट पेपर मिल अमलाई कर रहा निशुल्क शिक्षा चिकित्सा एवं अन्य जन सुविधाओं के नाम पर खोखला दावा। गौरतलब हो कि उद्योग की स्थापना संचालन उत्पादन को लेकर सदैव अपनी सक्रियता के लिए जाना जाता है कागज कारखाना किंतु स्थानीय जनों प्रभावित ग्रामों के साथ उद्योग में कार्य कर रहे श्रमिकों मजदूरों और अपने उद्योग के अधिकारी जनो के बच्चों को निशुल्क रूप से शिक्षा प्रदान करने के लिए ओरिएंट पेपर मिल के द्वारा अपनी स्वयं की निजी विद्यालय ओपियम शिक्षण केंद्र के नाम से संचालित है जोकि अर्ध शासकीय विद्यालय के रूप में हायरसेकेंडरी के रूप में संचालित है एवं कई वर्षों से इस विद्यालय में उद्योग प्रबंधन के द्वारा निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती रही अभी वर्तमान में इस विद्यालय में इंग्लिश मीडियम एवं हिंदी मीडियम की कक्षाएं संचालित रहती जिसमें आज की स्थिति में निशुल्क शिक्षा के स्थान पर जमकर विद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं छात्रों से उनके विद्यालय की फीस के रूप में अभिभावकों से जमकर रुपयों की वसूली की जा रही है। ज्ञात हो की अब ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है की जितना इस उद्योग में कार्य करने वाले कर्मचारियों मजदूरों का वेतन भुगतान नहीं होता उससे ज्यादा विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों छात्र-छात्राओं के फीस के रुप में वसूली की जा रही है। इस भीषण महंगाई में कम वेतन पर अपना परिवार चलाना मुश्किल जान पड़ता है वही उद्योग प्रबंधन के द्वारा शिक्षा को लेकर अपनी नीति बदल दी गई और यह कहा जा रहा है कि हमारे द्वारा विद्यालय को सीबीएससी बोर्ड की मान्यता दिलाई गई है जबकि किसी भी प्रकार से इस विद्यालय को आज की स्थिति में सीबीएसई बोर्ड का मान्यता प्राप्त नहीं है किंतु कूट रचित षडयंत्र पूर्वक मास्टर प्लान करते हुए सीबीएसई बोर्ड के नाम पर जहां पर फीस या शुल्क कम लगता था वहां आज शुल्क को बढ़ाकर 5 गुना ज्यादा कर दिया गया है जिसके कारण बच्चों से भरा खचाखच स्कूल अधिकतम फीस में वृद्धि करने की वजह से अभिभावक इस विद्यालय से निकालकर अपने बच्चों को अन्यत्र विद्यालय में दाखिला दिला रहे हैं।
ओरियंट पेपर मिल कागज कारखाना विद्यालय प्रबंधन के द्वारा इस प्रकार शिक्षा के नाम पर मचाई गई लूट का कारण क्या है इस बात की जानकारी लिए जाने पर पता चला कि उद्योग प्रबंधन के अधिकारी यहां पर कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान अपनी कंपनी के द्वारा ना करना पड़े उसे लेकर विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के अभिभावकों से उनकी फीस के नाम पर लूट मचाने का षड्यंत्र रच रहे हैं यही हाल इनके द्वारा संचालित चिकित्सा केंद्र प्राथमिक व्यवस्था के रूप में उद्योग के कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान तो की जाती है किंतु स्थानीय जनों को किसी भी प्रकार से इस चिकित्सालय में ना तो जांच की सुविधा है और ना ही दवाइयों का निशुल्क वितरण सिर्फ दिखावा और ढकोसला करना इनकी आदत में शुमार है जबकि वास्तविकता कुछ और ही है इस उद्योग से प्रभावित ग्रामीण जन स्थानीय जनमानस उद्योग में कार्य कर रहे कुशल श्रमिक अकुशल मजदूर एवं ठेकेदारी परखा में प्रथा में अपने शरीर के एक-एक अंग को तोड़कर मेहनत करने वाले श्रमिकों के परिवारजनों एवं उनके बच्चों को पूर्व में प्रबंधन के द्वारा निशुल्क शिक्षा निशुल्क वाहन व्यवस्था के साथ अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती रही है किंतु वर्तमान में उद्योग में आए अधिकारी जनों के द्वारा नित नए हथकंडे अपनाकर मजदूरों के बच्चों के साथ शिक्षा जैसी अत्यंत आवश्यक प्रणाली को अपने मन मुताबिक शुल्क निर्धारित करके मटिया पलीत करने में लगे हैं।