आउटरीच कार्यक्रम आशा फाउंडेशन एनजीओ किसानों के साथ कर रहा छलावा।


आयोजित कार्यक्रम और कागजों पर चल रहा कृषकों लाभ व विकास
शहडोल।ओरियंट पेपर मिल कागज कारखाना के द्वारा आयोजित आउटरीच कार्यक्रम किसान सम्मेलन किसानों के हितों की बड़ी-बड़ी बातें करने वाला कागज कारखाना और साथ में आशा फाउंडेशन एनजीओ के द्वारा सिर्फ दिखावा रह गया कार्यक्रम हुआ फेल।
58 वर्षों से संचालित उद्योग कागज कारखाना के स्थापना से पूर्व बरगवां, बकहीं, बकहो,बटुरा,बिछिया,केल्होरी जिनमें 24 ग्राम को सर्व सुविधा युक्त बुनियादी एवं मूलभूत सुविधाओं को प्रदान करने का वादा करने वाली ओरियंट पेपर मिल अपने वादे से मुकर गई इनमें सबसे अधिक प्रभावित ग्राम वर्ग में बरगवां जहां की अत्याधिक भूमि अधिग्रहित की गई उसके एवज में सर्वप्रथम पहली बार स्थानी किसानों को मुआवजा एवं नौकरी कौड़ियों के दाम भूमि अधिग्रहित कर एक बार नौकरी में रखने के बाद संपूर्ण रुप से किसानों की भूमि को बंजर कर छोड़ दिया गया जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी कई एकड़ भूमि खेती के अभाव में खाली पढ़े हुए हैं और 30 से 35 वर्षों से बची हुई कृषकों की भूमि में किसी भी प्रकार की खेती नहीं की जा रही है बेरोजगारों की संख्या अत्याधिक हो गई है जिनके द्वारा इस आशा और उम्मीद के साथ इस उद्योग को स्थापित करने में और संचालन में यह सोच कर अपनी भूमि दी गई की आने वाले समय में इस क्षेत्र के विकास में उद्योग की अहम भूमिका होगी और सर्व सुविधा युक्त मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाएं जिसमें शिक्षा चिकित्सा रोजगार पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा किंतु यहां तो इतने वर्षों के अंतराल में सिर्फ प्रदूषण और गंदगी के बीच कृषक सहित संपूर्ण आबादी जी रही है।
कृषकों को लाभ पहुंचाने के नाम पर किए जा रहे ढोंग जिसमें आउटरीच कार्यक्रम और आशा फाउंडेशन एनजीओ के द्वारा किसानों के भले की बात की जा रही है जिसकी सच्चाई जमीनी स्तर पर या फिर कहें धरातल में सिर्फ इनके द्वारा अपने यूनियन के नेताओं स्टाफ कर्मचारियों को एकत्रित कर प्रभावित किसानों को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ और सिर्फ दिखावा किया जा रहा है।
आज दिनांक तक इनके द्वारा प्रभावित ग्रामों में फलदार वृक्ष एवं औषधीय वृक्षों का पौधारोपण नहीं किया गया अपितु अपने स्वार्थ के लिए यूकेलिप्टस के पेड़ का रोपण कर भूमि को बंजर और जलस्रोत को कम करने का कार्य किया गया है ज्ञात हो कि यूकेलिप्टस एक ऐसा पेड़ है जिससे ना तो छाया मिल सकती है और ना ही फल यह एक ऐसा पेड़ है जो कि सिर्फ उद्योग के कागज बनाने के काम ही आ सकता है। कृषकों से सीधे तौर पर यूकेलिप्टस की खरीदी ना कर इस कार्य में लगे इनके द्वारा नियुक्त ठेकेदारों को करोड़पति बनाया गया कारण कृषकों की भूमि पर रोपित पौधों के बढ़ने पर अगर कृषक कंपनी को दे रहा है तो उसमें कंपनी के द्वारा इस कार्य में लगाए गए ठेकेदारों के माध्यम से यूकेलिप्टस खरीदी की जा रही है जिससे कंपनी के द्वारा बनाया गया बोनस का प्रावधान किसानों के हत्थे नहीं लगता बल्कि इसका संपूर्ण लाभ ठेकेदार करोड़पति हो गए। और इसी को लेकर झूठे दावे करने वाला उद्योग कागज कारखाना ओरियंट पेपर मिल और यहां पर बैठे अधिकारी झूठ ही वाहवाही लूटने के लिए एनजीओ के माध्यम से सिर्फ कागजों पर ही कृषकों को लाभ पहुंचाने और उनका विकास करने का दावा कर रहे हैं।