ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे फर्जी बनिए ने ठगा नहीं….
अनूपपुर। जैसी नियत वैसी बरकत…..जी हां यहां चर्चा जिले ही नहीं बल्कि संभाग के सबसे बड़े फर्जी पत्रकार की हो रही है जो दसवीं फेल होने के बाद भी अपनी फेसबुक आई डी में योग्यता अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय लिखा हुआ है, अमलाई में लोग इसे धरती पकड़ के नाम से भी जानते है, जिसने चुनाव तो पांच से लेकर जनपद ब जिला पंचायत का लड़ा लेकिन फर्जी की हर जगह जमानत जब्त होती गई, सुबह से कटोरा लेकर भीख को जुगाड़ बताने वाले की कहानी यहीं नहीं रुकती तथाकथित 10वीं फेल पत्रकार के संदर्भ में यह भी जानकारी आई की यह दस्तूर उसका आज का नहीं बल्कि वर्षों पुराना है,खासकर उसके लिए यह भी कहावत कही जाती है कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसको फर्जी ने डसा नहीं, किराना दुकान से लेकर होटल और फिर पत्रकारिता का काम करने वाले तथाकथित फर्जी, कभी नेता बन जाता है तो कभी अपने जैसे ही कुछ लोगों के नाम शामिल कर खुद को कभी जिलाध्यक्ष और कभी प्रदेश अध्यक्ष तो कभी संभागीय अध्यक्ष बताने लगता है। आज हम यहां पर उसके करीबियों की करते हैं जिसे उसने कभी अपना खून का रिश्ता बताया था,आज भी उसकी लगातार धोखाधड़ी के कारण खुद को किनारे कर लिया है,कोयलांचल के वरिष्ठ पत्रकार श्री तिवारी कभी उनके निकटतम माने जाते थे यही माना जाता है कि पत्रकारिता में एबीसीडी सिखाने वाले श्री तिवारी के साथ भी धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आए, यहां यह कहा जाए कि फर्जी ने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया तो यह भी अतिशयोक्ति नहीं होगी, यह बताया जा रहा है कि पत्रकारिता में श्री तिवारी से एबीसीडी सीखने के तत्काल बाद ही तिवारी को ही आंखें दिखाने लगा और जिस फर्जी हुल्लड़ पत्रिका में विज्ञापन छापने और रुपए वसूलने का मामला और साइडिंग के आंदोलन तक पहुंचाया जा रहा है उसका मुख्य मामला हुल्लड़ पत्रिका ही रही है तथाकथित नटवरलाल से जुड़े उसके करीबी एक-एक कर उसे धोखा खाते गए और वह उनकी थाली में छेद करता रहा, पीठ के पीछे छूरा भोक्ता रहा, विजय तिवारी के अलावा उनके कोयलांचल के सबसे करीबी साथी प्रताप धामेंजा रहे जिन्हें बीते चुनावों में उसने पीठ में छुरा भोंका, इस कदर धोखा दिया कि उन्हें अपना शहर ही छोड़ना पड़ गया। इसी क्रम में उनके बचपन के मित्र और हम प्याला रहे ओमप्रकाश दहिया जिसे लोग भूरा और दद्दा के नाम से जानते हैं इन दोनों की दोस्ती की मिसाल भी लोग उसी तरह देते हैं जो कभी प्रताप और नीरज की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, लेकिन अपने स्वभाव की तरह उसने इन दोनों के भी पीठ में छुरा भोंकने में कोई कमी नहीं छोड़ी, भूरा दद्दा जिस वाशरी या शेडिंग में काम देखते हैं, फर्जी उन्हीं को फर्जी बिल थमा कर ब्लैकमेल करना चाहता था यही नहीं आज अपने मित्र को बेरोजगार करने में भी कोई कसर तथाकथित नटवरलाल के द्वारा नहीं छोड़ी जा रही है, अब तो कोयलांचल में यह भी चर्चा होने लगी है कि जिस किसी ने भी फर्जी को अपने घर में बैठाया, उस घर में न सिर्फ मंहुसियत छा गई बल्कि फर्जी के कारण कब उसका धंधा काम और उसकी छवि कब चौपट हो जाए कहा नहीं जा सकता।