कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला- पानी पर सबका हक

0
SupremeCourt-735x400

नई दिल्ली .कावेरी जल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नदी के पानी पर किसी भी स्टेट का मालिकाना हक नहीं है।

कर्नाटक को आदेश दिया कि वह बिलिगुंडलू डैम से तमिलनाडु के लिए 177.25 टीएमसी (थाउजेंड मिलियन क्यूबिक) फीट पानी छोड़े। हालांकि कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में 14.75 टीएमसी फीट की कटौती की है।

यानी अब उसे पहले से 5% कम मिलेगा। वहीं, कर्नाटक के कोटे में 14.75 टीएमसी का इजाफा किया है। यानी उसे अब पहले से 5% ज्यादा पानी मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पानी का यह बंटवारा कर्नाटक अपने बिलिगुंडलु डैम से तमिलनाडु के लिए 177.25 क्यूसेक पानी छोड़ेगा। कर्नाटक को अतिरिक्त 14.75 क्यूसेक पानी मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक को अतिरिक्त पानी देने का फैसला बेंगलुरु में रहने वाले लोगों की जरूरतों को देखते हुए लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के चलते राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बेंगलुरु में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर दी गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। कावेरी विवाद पर यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ ही महीनों में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले साल 20 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह विवाद करीब 120 साल पुराना है।

कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के 2007 में दिए गए आदेश को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सीडब्ल्यूडीटी ने 2007 में इस विवाद पर सर्वसम्मति से फैसला दिया था।

उसने तमिलनाडु में 192 टीएमसी (1000 मिलियन क्यूबिक) फीट पानी को कर्नाटक द्वारा मेटटूर बांध में छोड़ने के आदेश दिए थे, जबकि कर्नाटक को 270, केरल को 30 और केरल को सात टीएमसी फीट जल आवंटित किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *