श्री रूद्र महायज्ञ में आज अनंत विभूषित श्री जगतगुरु कामदगिरि का हो रहा आगमन।
पतिव्रत नारी की शक्ति के प्रभाव से कौन नहीं परिचित अखिलेश्वरी देवी
अनूपपुर (अविरल गौतम)।श्री राधा कृष्ण गौरी शंकर मंदिर कैल्होरी चचाई मैं चल रहे रूद्र महायज्ञ के आयोजन में आज अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य जी स्वामी श्री रामस्वरूपा आचार्य श्री कामदगिरि पीठाधीश का आगमन होने जा रहा है बड़े ही सौभाग्य की बात है की आज हमारे बीच जगतगुरु के रूप में स्वयं ईश्वर से ऊंचा स्थान प्राप्त स्वामी गुरुदेव हम सभी को ईश्वर के गुणों का गुणगान अपने मुखारविंद से श्रवण कराएंगे जगतगुरु के स्वागत में यज्ञ मैं बैठे यजमान श्रोता गण भक्तजन एवं स्थानीय लोगों के द्वारा भव्य स्वागत की तैयारी पूर्व से ही कर ली गई है।
श्री रूद्र महायज्ञ थे नवम दिवस पूज्या अखिलेश्वरी देवी जी मानस माधुरी जालौन कथा व्यास के द्वारा उपस्थित श्रोता जनों को धार्मिक ग्रंथों वेद उपनिषदों आदि में नारी शक्ति के प्रभाव से परिचित कराते हुए कहा कि जो स्त्री पतिव्रत धर्म का पालन करती हैं उन्हें सती के रूप में जाना जाता है जिसका प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथ वेदों में वर्णन किया गया है की नारी सत्य के प्रभाव से सूर्य के उदय को भी रोक सकती है इस पर उन्होंने माता अनसूया जिनके द्वारा स्वयं त्रिदेवो को भी अपनी शक्ति से बालक के रूप में मातृत्व सुख का अनुभव कराया। यही नहीं उपस्थित कथा श्रवण करने वालों को कहा कि नारी एक ऐसी शक्ति है जिसके पतिव्रत धर्म से स्वयं मृत्यु के देवता यमराज को भी वापस होना पड़ा जिसमें अलग-अलग नामों का वर्णन करते हुए मांडव ऋषि के द्वारा दिए गए श्राप की सूर्योदय होने से पहले तुम्हारे पति की मृत्यु हो जाएगीऔर सती माता के द्वारा अपने सतीत्व के प्रभाव से सूर्य का उदय होना ही रोक दिया जिससे पूरे सृष्टि में चराचर जीव काया अतीत होने लगे हाहाकार मच गई सभी देवी देवताओं ने आकर आग्रह किया किंतु किसी का भी ना सुने अंत में माता अनुसूया के द्वारा सतीत्व के प्रभाव पतिव्रत धर्म के परिपालन में हिमालय की तरह अडिग अपनी शक्ति और सामर्थ्य से कौशिक ऋषि को श्राप से मुक्त कराते हुए यमराज को भी विवश होना पड़ा और उनकी आग्रह पर जिन्हें श्रापित किया गया था उनकी पत्नी के द्वारा सूर्य भगवान को भी अपने पतिव्रत धर्म के प्रभाव से मुक्त किया गया जिस प्रकार मंत्रमुग्ध होकर उपस्थित कथा श्रवण कर रहे अपार भीड़ ने जयकारा भगवान शिव शंकर यज्ञ देव की करने लगे।