November 23, 2024

नौकरी की आड़ में महिलाओ का शोषण : अधिकारी की गिद्ध दृष्टि फंड पर

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1 उच्च अधिकारीयों द्वारा जारी शोषण के दौर का आखिर कब होगा अंत

*2  नारी सशक्तीकरण के दावे हो रहे खोखले साबित

3 मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में  गोबर पुताई में  शासकीय महिलाओ का उपयोग :नारी सशक्ती करण का निकला जनाजा


*4 जिले के महिला बाल विकास की करतुत उजागर
*5 शासकीय कर्मीओं को बनाया निजी नौकर
*6  भूख – प्यास से बिलखती रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं
जोगी एक्सप्रेस
सूरजपुर – मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतगर्त सामूहिक विवाह हेतु लगाये पंडाल में विवाह के एक दिन पूर्व जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताये कही झाडू लगाते दिखाई दी तो कहि पर गोबर से पुताई करते हुए ।
एक तरफ तो प्रदेश की सरकार नारी सशक्तिकरण की बात कर नारीयों को सम्मान दिलाने हेतु पहल करने का बखान करते नहीं थकती है वहीं दूसरी ओर कार्यकर्ताओं से समुचे ग्राउंड की साफ सफाई एवं लिपाई करा कर महिला कार्यकर्ताओं का शोषण विभागीय अधिकारीयों द्वारा लगातार जारी है जो नारी सशक्तिकरण के दावों को खोखला करने का कार्य बखूबी कर रही है ।
विदित हो की जिले भर में शासन द्वारा जिले को कुपोषण मुक्त व गरिब बच्चों को अच्छा पूरक पोषण आहार प्रदाय करने के उद्देश्य से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई थी परन्तु प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा इन कार्यकर्ताओं को आंगनबाडी़यों से कार्यक्रम स्थल पर बुलाकर जहां शासन की मंशा के विपरीत कार्य किया है वहीं नौकरी की आड़ इनका शोषण भी लगातार किया जा रहा है।

ज्ञात हो की शासन के उद्देश्य को दरकिनार करते हुए उच्च अधिकारियों इन कार्यकर्ताओं को कहीं पर भी अपना मनमर्जी चलाते हुए काम करने में लगा दिया जाता है, जो शासन के उद्देश्य की धज्जियां उडाने का कार्य कर रही है। उच्च अधिकारीयों द्वारा आंगनबाडी कार्यकर्ताओं का शोषण करना जैसे एक परम्परा सा बन गया हैै।

गौरतलब है की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंर्तगत नगर से लगे चन्दरपुर में सामूहिक विवाह होना है, जिसकी तैयारीयों के लिए प्रशासनिक अधिकारीयों की झोली में लाखों रूपये आते परन्तु इन पैसों को अधिकारीयों द्वारा डकार लिया जाता है और शासकिय कर्मचारी कहे जाने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नौकरी से बर्खास्त करने का भय दिखा कर मजदूरी करा कर उनका शोषण किया जाता है ।इस तरह हो रहे जिले के आंगनबाडी कार्यकर्ताओं का शोषण देख ऐसा प्रतित होता है जैसे ये आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शासन की नहीं वरन अधिकारीयों के निजी नौकर है। इन कार्यकर्ताओं का शोषण विभाग द्वारा इस कदर जारी है की नौकरी जाने के भय के कारण यह खुलकर किसी से अपनी पिड़ा बयां भी नहीं कर सकती है।

न तो पानी और न ही मिला नास्ता
जब इस संबंध में चल-चलाती धूप में लिपाई और सफाई कर रहे कार्यकर्ताओं से बात की गई तो उन्होने बताया की उन्हे उक्त कार्य को करने के लिए विभाग के सुपरवाइजर और जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा निर्देश दिये गये थे। जिले के आंगनबाड़ी कार्यकार्ताओं को खुले मैदान की साफ सफाई व सम्पूर्ण मैदान की लिपाई करने हेतु महिला बाल विकास विभाग के आला अधिकारीयों द्वारा सक्त निर्देश जारी तो कर दिये गये परन्तु इन कार्यकर्ताओं के लिए न तो स्वच्छ पेय जल की कोई व्यवस्था की गई न तो भोजन की चलचलाती धूप में बिना कुछ खाये पीये इन कार्यकर्ताओं का शोषण किया जाता रहा।

300 – 500 मिटर दूर से पानी लाकर पुताई करने मजबूर कार्यकर्ता

लिपाई कार्य में लगे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि लिपाई करने के लिए पानी की भी व्यवस्था नही की गई है ।हमलोगों के द्वारा स्वम ही हैण्डपम्प से बाल्टी में पानी लाकर लिपाई किया जा रहा है ।उनसे पूछने पर बताया गया कि एक हैंडपंप की दुरी 300 मिटर है तथा दूसरे की दूसरी 500 मीटर है

पत्रकारों को देख हुए प्रशानिक अधिकारी अंतरध्यान

जब इस संबंध में पत्रकारों को जानकारी प्राप्त हुई और उनके द्वारा उक्त स्थान पर जाकर देखा गया तो वहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल की लिपाई करते हुए नजर आयी और पत्रकारों को देख आला अधिकारीयों उक्त कार्यक्रम स्थल छोड़कर अंतरध्यान हो गये ।नियम कानून को ताक पर महिला बाल विकास विभाग के अधिकारीयों द्वारा किये जा रहे इस तरह के कृत्य को देखकर यह साफ स्पष्ट होता है की इन अधिकारीयों को शासन द्वारा अपने निचले स्तर के कर्मचारीयों का शोषण करने हेतु ही नियुक्त किया गया है।

ये कहते है जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी………
जब इस संबंध में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी से बात की गई तो उनके द्वारा इस शोषण का पक्ष लेते हुए यह कहा गया की यह कार्यकर्ताओं का कार्य है इसमें कोई गलत बात नहीं है इस कार्य से किसी कार्यकर्ता का शोषण कहां हो रहा है इस कथन को सुनकर यह कहा जा सकता है की जिले के आला अधिकारीयों को भी निचले स्तर के कर्मचारीयों का शोषण करना अच्छा लगता है।

इस संबंध में जिले के कलेक्टर से उनका पक्ष ज्ञात करने हेतु सम्पर्क किया गया लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नही किये जाने से पक्ष ज्ञात नही हो सका ।

ब्यूरो अजय तिवारी जोगी एक्सप्रेस छत्तीसगढ़

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