November 22, 2024

पकोड़ा बेचना अगर इतना ही अच्छा लगता है तो मुख्यमंत्री रमन सिंह, शिवरतन शर्मा अपने बेटों को पकोड़ा बनाने के काम में क्यों नहीं लगा देते – भूपेश बघेल

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रायपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने विधानसभा में मीडिया के प्रश्नो पर की भाजपा द्वारा पकोड़े को कौशल विकास में शामिल किये जाने के संबंध में कहा कि यह बेहद दुर्भाग्य जनक और शर्मनाक स्थिति है, देश के प्रधानमंत्री से लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा के वरिष्ठ विधायक नौजवानो के रोजगार के सवाल को मजाक बनाकर रखे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के युवाओं को भरोसा दिलाया था की प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ लोगों को नौकरी देगें और आज पकौड़ा दे के रोजगार देने की बात कर रहे है। नौजवान रात-रात भर जागकर पढ़ाई करते है जो इंजीनियरिंग, एमबीए, मेडिकल किये है, इन नौजवानो को कहते है कि पकोड़ा बेच के रोजगार प्राप्त करें।
पकोड़ा बनाने में या पकोड़ा बनाने सिखाने के लिये सरकार का क्या योगदान है जिसमें पकोड़ा बचने से रोजगार मिलता है यह कह कर नौजवानों का मजाक उड़ाया जा रहा है। अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा जो मॉ-बाप अपने जमीन ज्यजाद बेचकर अपने पेट काटकर बच्चों को शिक्षा दिलाई है कि वो बड़े होकर सरकारी नौकरी करेगा, और उसे आप कह रहे है कि पकोड़ा बचे। पकोड़ा तो एक अनपढ़ आदमी भी बना लेता है, घर की घृणियां, बेटिया और आम आदमी भी बना लेता है इसमें सरकार का योगदान क्या है? जिसको बढ़ा चढ़ाकर बात कर रहे है। मैं तो समझता हूं की इससे ज्यादा हमारे देश के नौजवानों के साथ भद्दा मजाक और कोई नही हो सकता।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि इंजिनियरिंग कॉलेज, एमबीए कॉलेज, आईटीआई, जैसे उच्च शिक्षण संस्थानो को बंद कर देना चाहिये फिर करोड़ो अरबो रूपये खर्च करके ये इंस्टीट्यूट खड़ा क्यों किया गया। संस्थाये तो बड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया गया है अब उसे ये बंद करना चाहते है और उन्होंने बंद करना भी शुरू किया गया है। छत्तीसगढ़ में 3 हजार स्कूल को बंद कर ही दिया गया है। क्या इस देश को अंधकार की ओर धकेलना चाहते है? क्या यहां के लोग को अनपढ़ और गरीब बनाना चाहते है। पकोड़ा बेच के कोई आदमी अपने परिवार को पाल तो सकता है, मजबूरी में करते भी है और रस्ते में तो कहीं प्रतिक्षालय के बगल में या छोटा सा टपरी बना के कुछ काम नहीं मिलता तो रोजगार अपने बच्चो को पालने के लिये, लेकिन वो व्यक्ति क्या स्वेच्छा से काम कर रहा है? एमबीए पढ़ाई में जितना खर्च किया गया है क्या इस रोजगार से जीवन भर मेहनत कर उसको वसूल कर पायेगा? जो छात्र इंजिनियरिंग किये है वो नौजवान स्वेच्छा से यह काम करेंगे? क्या वह यही सपना लेकर शिक्षा प्राप्त किये थे, ये सारे सवाल है। सपना को चकनाचूर करने वाला ये बयान है, बेशर्मी की हद है। नाकामी को छिपाने और खुश करने के लिये प्रधानमंत्री ने कहा है कि पकोड़ा बेचने वाले भी रोजगार प्राप्त कर रहे है, नौजवानों का मजाक बनाया गया है और उसको सही ठहराने के लिये चाटुकारिता के परिकाष्ठा पर जाकर अमित शाह से लेकर शिवरतन शर्मा तक उस बात का जायज ठहराने में लगे है। पकोड़ बेचना अगर इतना ही अच्छा लगता है तो मुख्यमंत्री रमन सिंह, विधायक शिवरतन शर्मा अपने बेटों को पकोड़ा बनाने के काम में क्यों नहीं लगा देते।

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