अमलाई ओ सी एम में नही बंद हो रही कोयला चोरी की घटनाएं, अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
कालरी कर्मचारियों की सांठगांठ से हो रहा कंपनी को करोड़ों रुपए का घाटा
धनपुरी, सोहागपुर छेत्र अंतर्गत आने वाली अमलाई ओपन कस्ट में इन दिनों सबकुछ गड़बड़ चल रहा है सूत्र बताते है कि अमलाई खुली खदान में कॉल माफिया सक्रिय है और प्रतिदिन कोयले की तस्करी कर रहे है। ऐसे कैसा चल रहा कहना उचित नही होगा अमलाई ओ सी एम खुली खदान में पहले तो बूम बैरियल की सेटिंग कर के ट्रकों को अंदर किया जाता है और फर्जी नम्बर प्लेटो के माध्यम से और जीपीआरएस की सेटिंग कर कोयला भारी तादाद में कोल माफियाओ तक पहुँच रहा है।बीते रात गाड़ी क्रमांक CG22-AC 3390 व गाड़ी क्रमांक CG22-G-1166 नम्बर की गाड़ी बैरियल से बाकायदा कालरी के अंदर होती है और अंदर जाने के बाद गाड़ी का नम्बर बदल कर CG22-G-1166 कैसे हो जाता है यह तो सामझ से परे है वाहन चालक सचिन पाल और मोटरमालिक नवजोत सिंह के नाम पर गाड़ी के कागजात होने की जानकारी खबर लिखने तक मिल पाई है। कोयले की तस्करी को ले कर बीते दिनों जोगी एक्सप्रेस ने एक खबर प्रकाशित करते हुए इस सनसनीखेज मामले का खुलासा किया जिस पर एसईसीएल प्रबंधन कुंभकरण की नींद से जागा
रात्रिकालीन डयूटी पर तैनात कालरी कर्मचारी नारायण कचेर ने जब शंका होने पर ऊपर दिए गए नम्बर के ट्रक को संदिग्ध पाया तो जाँच के लिए रोका जिससे चालक ने सफाई देते हुए अपनी कथा बताई जिसको सुनकर यकीन नही होता वही इस बात की खबर जब मीडिया तक पहुँची तो अनान फानन में गाड़ी के कागजात में हेराफेरी करने में पूरा प्रबंधन जुट गया
शंका होने पर भी पुलिस को नही दी जानकारी
सोहागपुर छेत्र अंतर्गत अमलाई ओ सी एम से जब लगातार कोयला चोरी की घटनाएं सामने आ रही थी तो इस बात की सूचना पुलिस विभाग को क्यू नही दी गई, वही ट्रक चालकों को रात भर मोहलत दे कर रातो रात गाड़ी के पेपर्स सही करवाने में ही कालरी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्घ नज़र आ रही है। जबकि रात में ही संदिग्ध परिस्थितियों में दिखे ट्रक को कालरी के इमानदार और कंपनी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने वाले नारायण कचेर से प्रबंधन का कोई जिम्मेदार रात में वहाँ पहुँच कर पूछताछ क्यू नही किया अंतहीन सवालों के दायरे में कही न कही एस ई सी एल के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है।
आए दिन होती है कोयले की तस्करी
सूत्रों की माने तो राज उजागर म हो इसके लिए कालरी कर्मचारियों और कोयला तस्करों के बीच इतनी अच्छी ट्यूनिंग बिठाई जाती है कि इसकी भनक तक परिसर के बाहर नही निकलती लेकिन एक कहावत है जहां न पहुचे रवि वहां पहुँचे कवि बस ऐसा ही मामला अमलाई खुली खदान में चल रहा कोयला तस्करों द्वारा नित नए प्लान के साथ कोयला चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है। लेकिन कालरी के ही कुछ भृष्ट अधिकारियों के दम पर ही मिनी रत्न कंपनी एसईसीएल लगातार सुहागपुर एरिया से निरंतर घाटे सहती आ रही है।
नंबरों और जीपीआरएस का खेल
दिखाने के लिए तो कोयला साइडिंग के लिए निकलता है लेकिन जिस ट्रक को गतंव्य तक पहुचना होता है उसे कोल माफियाओ के है टेक इंतजाम को देख कर आप मुँह तले उँगली दबा लेंगे, चलती गाड़ी से स्टिकर निकालकर और जीपीआरएस की सेटिंग का तोड़ निकाल कर बीच रास्ते मे ही नम्बर प्लेट को बदल दिया जाता है।
कैसे होता है खेल
जब स्टिकर लगी गाड़िया अमलाई ओ सी एम के अंदर प्रवेश करती है तो उस पर फर्जी नम्बर प्लेट और फर्जीवाड़े से बने गाड़ी के पेपर्स दिए जाते है। लोडिंग लेने के बाद कोयला तस्करों की टीम गाड़ी को माइंस से निकलते ही अपने पास रखे दूसरे पेपर्स दे कर गाड़ी को अपने ठीहो मे ले जाते है।
सीसीटीवी और गार्डो को कौन कर रहा मैनेज
सोहागपुर छेत्र अंतर्गत आने वाली खुली खदान से कोयला चोरी की घटना सामने आ रही उसकी रोकथाम के लिए यू तो एस ई सी एल प्रबंधन अपनी पूरी ताकत और तंत्र झोंक रही है लेकिन हांथी के दाँत खाने के और दिखाने के अलग होते है लोग तो अब दबी जुबान में ये तक कहने लगे है कि चोर चोर सब मौसेरे भाई बन गए है। सीसीटीवी फुटेज और सारी फ़ौज को इकट्ठा कर के भी एस ई सी एल के नकारे हो चले कर्मचारियों को चोरी होने से नही रोका पाना मुश्किल नज़र आ रहा है। प्रबंधन को चाहिए कि जो भी इसमे संलिप्त हो उसे तत्काल प्रभाव से हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित करें और कार्यो को दुरुस्त करे
आज ये रही अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जब इस बावत हमने आज अधिकारियों से पकड़ी गई गाड़ियों के संबंध में जानकारी लेनी चाही तो अधिकारियों ने फोन व्यस्त आए