भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष का चेहरा बदला अपना चरित्र नही है
रायपुर/17 अगस्त 2022। भाजपा के नेता प्रतिपक्ष बदले जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा नेतृत्व मुगालते में है कि वह नेतृत्व में बदलाव कर छत्तीसगढ़ में जनता का खोया भरोसा फिर से जीत लेगी। राज्य की जनता भाजपा के चरित्र को समझ चुकी है इसीलिये 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव दर चुनाव जनता भाजपा पर अविश्वास जता रही है। भाजपा कुछ भी कर ले 2023 के चुनाव में एक बार फिर से भाजपा का सफाया होगा। कांग्रेस की सरकार बनेगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय के बाद नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक को पद से हटा कर भाजपा खुद को रमन सिंह के साये से दूर होने का दिखावाकर रही है। भाजपा नेतृत्व को लगता है कि वह रमन सिंह गुट के लोगों को दरकिनार कर के 15 साल के भाजपा के कुशासन से जनता का ध्यान हटा लेंगे। भाजपा नेतृत्व भुलावे में हैं। ताश के 52 पत्ते होते है भाजपा का 52 का 52 पत्ता दागदार है। भाजपा में ऐसा एक भी नेता नहीं है जिसके ऊपर भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी का दाग न लगा हो। भाजपा किसी भी नेता को सामने लाये कोई फर्क नहीं पड़ने वाला छत्तीसगढ़ की जनता भाजपा के भ्रष्टाचार वाले शासन की कल्पना से सिहर उठती है जब मुख्यमंत्री को अपने नेताओं से भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी बंद करने की गुहार लगानी पड़ती थी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा ने आदिवासी वर्ग के अध्यक्ष को हटाया था तो यह उम्मीद जागी थी नेता प्रतिपक्ष की जवाबदारी किसी आदिवासी नेता को दी जायेगी। भाजपा के पास आदिवासी समाज से वरिष्ठ और समर्थ विधायक के रूप में ननकी राम कंवर थे लेकिन भाजपा नेतृत्व की मानसिकता आदिवासी विरोधी है इसीलिये ननकी राम जैसे वरिष्ठ नेता के नाम पर विचार नहीं किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा को छत्तीसगढ़ की जनता को बताना चाहिए जिस धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी क्या वह नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे हैं? क्या नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक आर.एस.एस. और भाजपा के तानाशाह लीडरों के हां में हां नहीं मिलाते थे इसलिए उन्हें बदल दिया गया? इसका जवाब देना चाहिए। धरमलाल को क्यों हटाया गया?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि वैसे भी नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक नेता प्रतिपक्ष के जिम्मेदारियों को कम डॉ. रमन सिंह के सिपासलार होने के जिम्मेदारियों को ज्यादा निभाते थे। राज्य सरकार ने 36 हजार करोड़ के नान घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया ताकि नान घोटाले के आरोपी मैडम सीएम और अन्य की गिरफ्तारी हो सके तो धरमलाल कौशिक ने न्यायालय में याचिका लगाकर भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश किया। झीरम घाटी कांड की सच्चाई जनता के बीच उजागर हो इसके लिए न्यायिक जांच आयोग के कार्यकाल को बढ़ाया गया तो जांच को रुकवाने के लिए धरमलाल कौशिक न्यायालय गए और झीरम घाटी कांड के षड्यंत्रकारियो को अप्रत्यक्ष रूप से बचाने का काम किए। धरमलाल कौशिक कभी भी एक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किए वह पूरी तरीके से रमन सिंह के एजेंट की तरह ही काम करते थे, उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।