धान की खेती को फायदेमंद बनाने के लिए मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा : अग्रवाल : धान उत्पादन तकनीक पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
कृषि मंत्री ने प्रदेश में पांच नये कृषि महाविद्यालय खोलने की घोषणा की
रायपुर, कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि धान की खेती को टिकाऊ बनाने के लिए इसकी उत्पादन लागत कम करने की जरूरत है जो कृषि यंत्रीकरण से ही संभव है। उन्हांेने कहा कि इसके लिए धान की खेती में मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही इसके साथ ही किसानों को सामुदायिक तथा सहकारी खेती के लिए प्रेरित करना होगा जिससे कृषि यंत्रों एवं अन्य संसाधनों का सामूहिक उपयोग किया जा सके। श्री अग्रवाल ने आज यहां इंदिरा गांधी कृषि वश्वविद्यालय रायपुर के 32वें स्थाना दिवस के अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा टाटा ट्रस्ट मुम्बई के सहयोग से धान की टिकाऊ खेती विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर कुरूद, महासमुंद, बालोद, कोरबा एवं जशपुर में पांच नये कृषि महाविद्यालय खोलने की घोषणा की। शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने की।
कृषि महाविद्यालय रायपुर के सभागार में आयोजित समारोह में कृषि मंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के 32वें स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन, कृषि वैज्ञानिकों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने बहुत कम समय में देश में अपना विशेष स्थान बनाया है। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि विकास में कृषि विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय आने वाले समय में देश के अग्रणी कृषि विश्वविद्यालयों में गिना जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से धान की खेती की लागत कम करने के लिए इसमें माइक्रो इरिगेशन तकनीक – ड्रिप एवं स्प्रिंकलर के उपयोग पर अनुसंधान करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षाें में छत्तीसगढ़ में धान की खेती में ट्रांसप्लांटर, हार्वेस्टर एवं कम्बाईन आदि कृषि यंत्रों के उपयोग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं टाटा ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी में धान की खेती के विभिन्न पहलुओं पर सार्थक चर्चा होगी जिससे धान की खेती को लाभप्रद बनाने एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने तथा उत्पादन लागत कम करने में मदद् मिलेगी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्याम बैस ने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षाें में कृषि उत्पादन बढ़ा है और अनाज के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर हो गया है लेकिन किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्हें फसलों का अच्छा मूल्य दिलवाने के साथ ही उत्पादकता में वृद्धि करना होगा। विशिष्ट अतिथि डॉ. आर.टी. पाटील ने धान की खेती में मशीनीकरण को बढ़ावा देने और इसका मूल्य संवर्धन कर विभिन्न उत्पाद तैयार करने पर जोर दिया। इस अवसर पर एक वृहद कृषि यंत्र प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया जिसमें देश के प्रमुख कृषि यंत्र निर्माताओं ने उन्नत कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. एस.एस. राव ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि इसकी स्थापना 20 जनवरी 1987 को की गई थी। उस समय कृषि महाविद्यालय रायपुर जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में संचालित एकमात्र कृषि महाविद्यालय था। आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत 32 शासकीय एवं निजी कृषि एवं संबंधित महाविद्यालय संचालित हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश के 72 कृषि विश्वविद्यालयों में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को 17वें स्थान पर रखा है। पिछले वर्ष नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर विश्वविद्यालय ने देष में पांचवा स्थान हासिल किया। विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों की 57 नयी किस्में भी विकसित की गई हैं। समारोह को टाटा ट्रस्ट मुम्बई के जोनल हेड श्री विश्वनाथ सिन्हा ने भी संबोधित किया। स्वागत भाषण स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय ने दिया और संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. अजय वर्मा ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।