एक साल से नहीं है कोई रेडियोलॉजिस्ट, बंद पड़ी है सोनोग्राफी मशीन जांच हेतू भटक रहीं महिलाएं व मरीज, प्रायवेट सेन्टरों में करानी पड़ रही जांच
अनूपपुर –
एक ओर सरकारी अस्पतालों में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे, वहीं डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल में बीते एक वर्ष से रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी हुई है। जिला अस्पताल में सोनाग्राफी की सुविधा न होने से सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से सोनाग्राफी के लिए मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है, लेकिन यहां भी सोनोग्राफी नहीं होने के कारण मरीज यहां-वहां भटकने के लिए मजबूर हैं। जिला अस्पताल में सोनोग्राफी न होने के कारण मरीज प्रायवेट सेंटरों से जांच करा रहे है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी आदिवासी जिले के गरीब तबके के लोगों को उठानी पड़ रही है। वहीं प्रसव के लिए आई महिलाओं के लिए यह समस्या ज्यादा हो रही है, क्योंकि उन्हें इस कठिन समय में अस्पताल से बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है। लेकिन इस समस्या को लेकर किसी का ध्यान इस ओर नहीं है, जो दिन बा दिन विकराल होती जा रही है।
निजी अस्पतालों में मरीज जाकर करवा रहे जांच –
जिला अस्पताल की सोनोग्राफी मशीन बंद होने के कारण जांच के लिए अनूपपुर जिले के मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। वहीं मरीजों को निजी अस्पतालों में जाकर जांच करानी पड़ रही है और इसके बदले महंगी फीस देनी पड़ रही। एक वर्ष से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी जनप्रतिनिधियों व अफसरों ने इस ओर जिम्मेदारी से कोई ध्यान भी नहीं दिया।
ज्यादातर गर्भवती महिलाएं कराती हैं जांच –
सोनीग्राफी की जांच सबसे अधिक जरूरी गर्भवती महिलाओं के लिए होती है। इस जांच से गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में पूरी तरह से पता चल जाता है। इसके अलावा मरीज के पेट में यदि कोई समस्या है तो उसके बारे में भी पता करने के लिए डॉक्टर सोनोग्राफी कराते हैं। लेकिन जिला अस्पताल का आलम यह है कि इस कठिन समय में भी महिलाओं को अस्पताल से बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है।
जिम्मेदार अधिकारी नहीं दिखा रहे गंभीरता –
जिले का इकलौता सरकारी अस्पताल खुद अव्यवस्थाओं व लापरवाही का शिकार हो रहा है। यहां मरीजों की सोनोग्राफी के लिए सिर्फ एक ही मशीन है वो भी लगभग एक साल से ज्यादा समय से बंद पड़ी है। मशीन बंद हो जाने के कारण जांच नहीं हो पा रही है और मरीजों को निजी सोनोग्राफी सेंटरों पर जांच के लिए भटकना पड़ रहा है। व्यवस्था ठप्प हो जाने से न सिर्फ मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है बल्कि मजबूरी में उनकी जेब भी खाली हो रही है।
सुविधा नहीं होने से मरीजों पर पड़ रहा आर्थिक भार –
आज के समय में पेट, लीवर, किडनी सहित अन्य अंगों से जुड़ी सामान्य बीमारियों में भी सोनोग्राफी करवाई जाती है। डॉक्टर मरीज को सोनोग्राफी लिखते तो हैं लेकिन जांच हो नहीं पा रही। अस्पताल के डॉक्टर खुद स्वीकार रहे हैं कि मशीन बंद हुए एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है जबकि हैरत की बात है कि इतने बड़े अस्पताल में तत्कालीन व्यवस्था को लेकर जिम्मेदारों के पास किसी तरह की कोई योजना नहीं है और जिले में सरकारी लापरवाही की सजा आम मरीजों को भुगतना पड़ रही है।
इनका कहना है –
सोनोग्राफी मशीन क्रियाशील है, इसमें कोई डॉक्टर पदस्थ नहीं है। पत्र लिखा गया है प्रशासन को, बांकि जो होगा वो भोपाल से होगा।
डॉ एन. आर. परस्ते
सिविल सर्जन, जिला अस्पताल अनूपपुर
मेरे जानकारी में है कि मशीन एक साल से बंद है, मशीन में कोई भी खराबी नहीं है। हमारे द्वारा कलेक्टर मैडम को भी जानकारी दी जा चुकी है और उन्होंने कमिश्नर सर को जानकारी दे दी है। अब चूंकि फील्ड में भी डॉक्टरों की कमी है, इस वजह से सोनोग्राफी नहीं हो पा रही है।
डॉ एस. सी. राय
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अनूपपुर