November 23, 2024

वृक्षारोपण के नाम पर मनेंद्रगढ़ वन मंडल में हुआ बड़ा झोल, सिर्फ कागजों में कर दिया प्लांटेशन

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मनेंद्रगढ़ वन मंडल ने लगाया शासन को करोड़ो रूपए का चूना

मनेंद्रगढ़ परिक्षेत्र में 65 हेक्टेयर का प्लांटेशन सिमटा महज कुछ ही रकबों में

इंट्रो;प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वन मंत्री मोहम्मद अकबर इन दिनों पर्यावरण पर्यावरण को लेकर काफी चिंतित हैं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नरवा घुरवा बाड़ी पर जोर दे रहे हैं शासन हर संभव प्रयास प्रदेश के वन क्षेत्रों को सघन और घनत्व वाला बनाने की कवायद में लाखों रुपए खर्च कर रहा है शासन द्वारा सभी वन मंडलों को नरवा व वृक्षारोपण के लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराई जा रही है साथ ही उत्तम और अच्छी क्वालिटी के पौधे भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं परंतु वन मंडल मनेंद्रगढ़ अपनी ही ढपली अपनी ही राग अलापने में लगा हुआ है आपको बता दें कि वृक्षारोपण में जो गोलमाल यहाँ देखने को मिल रहा उतना गोलमाल तो शायद ही किसी वन मंडल में देखने को मिले,
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आए दिन अपने स्टेटमेंट में खास तौर पर जल जंगल जमीन को लेकर अधिकारियों से मंत्रण करते हैं परंतु यहां के अफसरशाही का आलम यह है कि इन्हें जंगलों को सघन और पर्यत ऑक्सीजन के लिए पौधों का जीवित होना जरूरी नही मानते।वन मंडल मनेंद्रगढ़ को इसका बिल्कुल भी ज्ञान नही।जब ऊपर बैठे आला अधिकारियों को वनों से ज़्यादा अपनी जेब की चिंता हो तो वहां भगवान ही मालिक होता है।जानकारों की माने तो यदि इस फर्जीवाड़े की शासन उच्च स्तरीय जांच कर आता है तो निश्चय ही भ्रष्टाचार की कई परतें खुलेगी जिसमें कई दागी अफसर लपेटे में शासन के आएंगे शासन को जिन्होंने लाखों रुपए का चूना लगाया है निश्चय ही उन पर कार्यवाही होने से अन्य क्षेत्रों में इस तरह के काला पीला करने वाले अधिकारियों में शासन का खौफ पैदा होगा अब देखना यह है कि शासन इन भ्रष्ट अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करता है।

कोरिया मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक आर एफ 699 आर एफ 679,पी 715,669,670 व 694 के लगभग 70 हेक्टेयर रकबे में कुछ मिश्रित व सागौन के वृक्षारोपण वर्ष 2019-20 व 2020-21 के दौरान नदी तट वृक्षारोपण योजनांतर्गत हसदेव नदी तट पर किया गया था।आपको बता दें की मौका मुआयना के बाद इन सभी कक्ष और स्थलों में दर्ज रकबों से काफी कम रकबों में वृक्षारोपण कार्य किया गया है।जो बड़ा ही गंभीर मामला साबित होता है।सभी कक्षों के वृक्षारोपण और कागजों में दर्ज आंकड़ों के जमीनी हकीकत की बात करें तो ये पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि मनेंद्रगढ़ वन मंडल और उसके अधिकारी ग्राउंड जीरो को छोड़ सिर्फ कागजों में ही कार्य करने में पारंगत हैं। जहां एक तरफ राज्य की भूपेश सरकार जंगलों की वृद्धि की बात करती है वहीं दूसरी तरफ इनके नेताओं के पाले पोषे और संरक्षित सहित इनकी कृपा दृष्टि से एक ही जगह बैठे भ्रष्ट अधिकारी सरकारी योजनाओं की जमकर मट्टी पलीत करने में लगे हैं।आपको अवगत करा दें कि मनेंद्रगढ़ वन मंडल के डी एफ ओ के बहुत ख़ास और करीबी मनेंद्रगढ़ रेंजर पहले भी पत्थरों में प्लांटेशन कराने की बड़ी उपलब्धि साबित कर चुके हैं।और जिसके बाद रोपण स्थल पर एक भी पौधा जीवित नहीं है।

नरवा योजना की दुर्दशा और नरवा के नाम पर हुआ खुला भ्रष्टाचार,,,

मनेंद्रगढ़ वन मंडल के ज्यादातर परिक्षेत्रों के नरवों की कलई खुलने लगी है। बिहड़ों में बने नरवों से योजना के उद्देश्य पूर्ति का थोड़ा सा भी वास्ता नजर नहीं आता दिखता है।भारी भरकम राशि को कागजों में खपाकर मिट्टी और पत्थरों के कूड़े लगा रखे हैं।जंगल की मिट्टी और संग्रहित पत्थरों से निर्मित आधे अधूरे और उद्देश्य हीन नरवो के नाम बड़े पैमाने पर भ्रटाचार कर रहा है।कई नरवों की स्थिति तो इतनी दयनीय है कि पूरी बरसात गुजर जाने के बाद भी पानी का एक कतरा भी जमा नहीं हो सका है। नरवों की मेड़ पर जितनी मिट्टी डाली गई है और जितना उसका असल मापदंड है उससे काफी ज्यादा बड़ा और खर्चीला मेजरमेंट दर्ज किया गया है।जिसकी अगर दोबारा जांच की जाती है तो यहां पर भी मनेंद्रगढ़ वन मंडल के अधिकारी घिरते नजर आते हैं।

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