November 23, 2024

बच्चों की थोड़ी सी सहभागिता लाती हैं छोटी-छोटी खुशियां

0

बच्चों को दे खुला आसमान:फैसबुक वाट्सअप और लैपटॉप से रखे दुर।

शशिभूषण सोनी की क़लम से


जांजगीर-चांपा । नन्हे-मुन्ने बच्चें तेरी मुठी में क्या हैं ? मुठ्ठी में हैं तकदीर हमारी•••आज से वर्षों पहले यह गीत हम-सबने सुना हैं,सबने कभी न कभी!गीत की गहराई में जाएं तो सचमुच यह महसूस होता हैं कि एक एक बच्चें की तकदीर आज सचमुच फैसबुक, वाट्सअप और लेपटाप पर हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में आज इंसान के पास समय की बेहद कमी हैं।बच्चों को शिक्षा-दीक्षा देने और अध्यापन में समय देने के बजाय आज-कल के पैरेंट्स बच्चों को यंत्रचलित मोबाईल, टेबलेट्स और लैपटॉप थमा देते हैं।
दीपावली के अवकाश पर एनटीपीसी सीपत [बिलासपुर] में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत सत्यनारायण सोनी अपने दोनों बच्चों सुश्री सौम्या और कृष्णा के साथ पहुंचे। मैंने देखा दिनभर बच्चों के हाथ में यही यंत्रचालित मोबाईल और लैपटॉप उनके हाथ था। उन्होंने अत्यंत गर्व के साथ बताया कि इस दीपावली दोनों के लिए अच्छी कंपनी का लैपटॉप खरीदें हैं!बच्चें अपने सारे होमवर्क इसी से कर लेते हैं। हमारी चिंता दूर। बच्चें नाज़ुक पेड़-पौधें की तरह होते हैं उनके व्यक्तित्व के विकास आजकल के यंत्रचालित साधन नहीं बल्कि आपका स्नेह,साथ और सहयोग की जरूरत हैं।
शशिभूषण सोनी ने बताया कि इंटरनेट और मोबाइल के इस दौर में बच्चें पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में अत्यंत जरुरी हैं कि उन्हें अध्ययन के लिए प्रेरित किया जाए। बच्चों को मोबाईल फोन या लैपटॉप नहीं बल्कि उन्हें पेन-पेंसिल और पुस्तकें देकर पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रेरित करे।बच्चें फैसबुक वाट्सअप और लैपटॉप तो चलाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उसके आदि हो जाते हैं और उनका सारा समय इसी में ही बीतता चला जाता हैं। आज़ स्थिति ऐसी हो गई है कि किसी काम के लिए कहो तो बच्चें उठते नहीं हैं। स्कूल के पूर्व और पश्चात् बच्चों के शिक्षक मम्मी-पापा ही होते हैं वे जैसा व्यवहार करते हैं उन्हीं का अनुसरण वे जिंदगी में करते हैं। नन्हे-मुन्ने बच्चों के प्रति अगाध स्नेह रखते हुए अपनी संस्कृति और अच्छें संस्कार दीजिए। छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से संस्कार से जुड़ी बातों को समझाइए। अच्छी आदतें विकसित कीजिए। पेड़-पौधे को पानी देना,गणित के अनसुलझे सवालों को हल करना सिखाना,अपनी लेखनशैली सुधारना, बड़े बुजुर्गो का आदर करना,घर के समानों को व्यवस्थित करना सहित अन्य कार्य सिखाना चाहिए। ऐसे छोटे-छोटे बहुत से काम हैं जिससे करने के लिए प्रेरित करने से बच्चों काआत्मविश्वास जागृत होता हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *