छतीसगढ़ देश का सबसे बड़ा ब्लेक होल है :प्रशांत भूषण
JOGI EXPRESS
बिलासपुर । छतीसगढ़ देश का सबसे बड़ा ब्लेक होल है जहाँ हर दिन मानवाधिकार पर कार्य करने वाले पत्रकारो और वकीलों पर हमले हो रहे है । मानवाधिकार समाज के लिए बेहद जरुरी है । मानवाधिकार के बिना कोई सभ्यता पनप ही नही सकती ।
उपरोक्त बाते देश के ख्यातिप्राप्त वकील प्रशांत भूषण ने बीते दिनों मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बिलासपुर के राजेंद्र नगर चौक में स्थित सामुदायिक भवन में लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) द्वारा आयोजित के. जी. कन्नाबीरन स्मृति सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता की आसंदी से उदबोधन के दौरान कही ।
श्री भूषण ने अपने उदबोधन में आगे कहा कि भ्रस्टाचार ख़त्म करने के नाम पर आई केंद्र की भाजपा सरकार साढ़े तीन साल में लोकपाल तक नही बना पाई है । भ्रस्टाचार के खिलाफ काम करने वाले सारे तंत्रों को ध्वस्त किया जा रहा है । ज्यादातर मेनस्ट्रीम मिडिया को या तो खरीद लिया गया है, या फिर घुस देकर या धमकी देकर अपने पक्ष में कर लिया गया है । लेकिन राहत की बात ये है कि सोशल मीडिया में कई विकल्प उभरकर सामने आ रहे है । अभी इसमें झूठ और गाली की भरमार है लेकिन अच्छी बात ये है कि सरकार न तो इसे रोक सकती है और न ही बंद कर सकती है । अब इंटरनेट में न्यूज़ पोर्टल भी चालू हो गए है । आने वाले 2-3 सालो में इसकी पहुँच मेनस्ट्रीम मीडिया से ज्यादा हो जायेगी ।
श्री भूषण ने अपने उदबोधन में आगे कहा कि न्यायपालिका का काम लोगो के अधिकारों की रक्षा करना, सरकार की ज्यादतियों को रोकना, सरकार के काम नही करने पर उसे फटकार लगाना है । लेकिन अब न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भी खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है । चुनाव आयोग पर भी कब्ज़ा करने की कोशिश की जा रही है । चुनाव में विदेशी पैसा लेने का नया कानून बन गया है । कंपनियों को इलेक्ट्रोल बांड के नाम से बिना नाम बताए चन्दा देने का कानून भी बन गया है ।
साऊथ एशिया ह्यूमन राइट्स डाकूमेंटेंशन सेंटर के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर रवि नायर ने अपने उदबोधन में कहा कि राजसत्ता पर जनसत्ता का अंकुश होना जरुरी है । हमारा 1950 का बना संविधान काफी अच्छा है, भले ही उसमे कुछ खामियां है । लेकिन अब इसे भी कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है । अमेरिका में राष्ट्रपति के खिलाफ मुकदमा किया जा सकता है लेकिन हमारे यहाँ नही । जब तक ये नही होगा तब तक राजशाही और नॉकरशाही खत्म नही हो सकती । लन्दन में 6 माह में ट्रायल ख़त्म हो जाता है लेकिन हमारे यहाँ दलील इस जन्म में और अपील अगले जन्म में होता है ।
पीयूसीएल के राष्ट्रीय सचिव वी. सुरेश ने रोहंगिया शरणार्थियों पर बोलते हुए कहा कि इस मामले में सरकार का रवैया मानवता और सहानुभूति ख़त्म करने वाला रहा है । 1971 में हमने 1 करोड़ बांग्लादेशियों को अपने देश में शरण दिया था लेकिन मात्र 35 हजार रोहिगिया को शरण देने से सरकार पीछे हट गई । जबकि हम म्यामार के सबसे नजदीकी पडोसी है ।
सिटीजन फोरम फार सिविल लिबर्टीज के गोपाल कृष्ण ने आधार कार्ड की अनिवार्यता को लोगो के निजता है हनन बताते हुए कहा कि सभी प्रकार के अन्याय से ज्यादा खतरनाक वो अन्याय है जो कानून के नाम पर किया जाता है । कैदियों के उंगलियों के निशान भी मजिस्ट्रेट की परमिशन के बाद लिया जाता है जो कैदी के बरी होने पर नष्ट कर दिया जाता है । आधार की अनिवार्यता हमें कैदियों से भी बदतर बनाने पर आमादा है । सितंबर 2012 में 17 लोगो ने सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड की अनिवार्यता के विरुद्ध केस फाइल किया है जिस पर अभी सुनवाई चल रही है । अभी तक कोर्ट ने इसे स्वेच्छिक ही माना है लेकिन सरकार इसे जबरन अनिवार्य करने पर तुली हुई है ।
कार्यक्रम के दौरान पीयूसीएल द्वारा सामाजिक न्याय के लिए काम करने वाले वकील अर्जुन सिंह नाग, पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल, बस्तर के वकील सोन सिंह झाली, अंबिकापुर के वकील अमरनाथ पांडेय, रजनी सोरेन, गायत्री सुमन नारंग, किशोर नारायण, सतीश चंद्र वर्मा, शोभाराम गिलहरे, मोहम्मद अरशद खान, निरुपमा शैल बाजपेयी, क्षितिज दुबे, सत्येंद्र कुमार चौबे को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया ।
कार्यक्रम के दौरान देश के सांस्कृतिक कार्यकर्ताओ और स्वतंत्र कलाकारो के समूह “रैला कलेक्टिव” ने देश के ज्वलंत मुद्दों को नुक्कड़ नाटक के मॉध्यम से प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के बाद पीयूसीएल ने प्रतिरोध मार्च भी निकाला ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में पीयूसीएल छतीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ लाखन सिंह, माहसचिव अधिवक्ता सुधा भारद्वाज के साथ ईशा खंडेलवाल, प्रियंका शुक्ला, शिशिर दीक्षित, नीलोत्पल शुक्ला की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।