इस भीषण महामारी से मुक्ति पाने के लिए हनुमान बाहुक का पाठ वाचन व हवन करने से हो सकता है निदान:पंडित अजय मिश्रा

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अनूपपुर बरगवां अविरल गौतम,प्रिय धर्म प्रेमियों धर्मावलंबियों और धर्म के प्रति आस्था रखने वाले ईश्वर के प्रति विश्वास रखने वाले सभी प्रिय जनों से निवेदन व अनुरोध है कि हम सभी सनातन धर्म के अनुयाई और भारत भूमि जो ईश्वर की कर्म स्थली है साथी इस बात से भी आप अनभिज्ञ नहीं है की पूर्व काल में हमारे देश में संत महात्माओं के द्वारा जब जब धर्म पर संकट मंडरा या इंसानियत पर कुठाराघात हुआ तब इन पुण्य आत्माओं के द्वारा धर्म के आधार पर यज्ञ हवन इत्यादि करके पर्यावरण को स्वच्छ एवं शुद्ध रखने के लिए इस उपाय का भरपूर समायोजन किया गया इस आधार पर आप सभी से मेरा हनुमान जी के सानिध्य में संपूर्ण जिले के लोगों से जनमानस से आग्रह निवेदन है कि अपने घरों में हनुमान बाहुक यह पुस्तक उस समय निर्मित किया गया लेखन किया गया जब स्वयं महाकाव्य के रचयिता श्री रामचरितमानस के लेखक स्वामी तुलसीदास जी ने अचानक ज्वर (बुखार)से पीड़ित हो गए तदुपरांत उन्होंने हनुमान बाहुक की रचना की जिसमें हनुमान जी की प्रमाणीकरण हस्ताक्षर पूर्ण रचना संपन्न हुई उसका वाचन स्वयं स्वामी तुलसीदास जी ने किया और उन्हें रोग विकार शारीरिक कष्ट से उन्हें मुक्ति मिल गई मेरा मानना है आप हम सभी अपने घरों में हनुमान बाहुक का पाठ करते हुए 30 मिनट के समय को निकाल कर स्नान ध्यान कर इस पाठ को करें साथ ही हनुमान जी का स्मरण करते हुए परम आराध्य देव बरगवां नाथ हनुमान जी महाराज महाशक्तिशाली महाबली जगतगुरु ब्रह्मांड के गुरु हनुमान जी का हवन करें अपने हाथों से ही हवन सामग्री तैयार करें इस हवन के माध्यम से वायुमंडल में व्याप्त दूषित वायरस इस हवन के माध्यम से समाप्त हो सकता है हो सकता है नहीं समाप्त होगा ही इसलिए इस धार्मिक वैज्ञानिक अनुष्ठान को आवश्यक रूप से करें।

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