राजनीतिक गतिविधियां और आयोजनों के बाद उलट पलायन और रोजगार मूलक काम, कोरोना के नए सुपर स्प्रेंडर
- अर्जुनी – एडवाइजरी, अलर्ट के बावजूद राजनैतिक आयोजन। विरोध, धरना और प्रदर्शन के बाद ज्ञापन देने जैसे काम खूब हो रहे हैं। अब मजदूरों का उलट पलायन और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मूलक काम की थोक शुरुआत कोरोना के सुपर स्प्रेंडर बन रहे हैं।
छोटे-छोटे समूह में जमा होने वाले युवा, होती छोटी पार्टियां, वायरस को आमंत्रित कर रहीं हैं तो उलट पलायन से ग्रामीण क्षेत्र हॉटस्पॉट बन रहे हैं। रही- सही कसर राजनैतिक गतिविधियां पूरा कर रहीं हैं। इन सबके बाद ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार मूलक काम का थोक में चालू होना ताबूत में अंतिम कील ठोंकने जैसा ही माना जा रहा है। अब भी समय है ऐसी गतिविधियों पर प्रभावी रोक के लिए, लेकिन हम नहीं सुधरेंगे, की तर्ज पर बेखौफ ऐसे काम में अपनी हिस्सेदारी दे रहे हैं।
उलट पलायन लाया चुनौती
रोजगार की तलाश में अन्य राज्य गए मजदूरों की वापसी होने लगी है। फिलहाल जो ट्रेनें चल रही हैं, उनमें ये कोरोना के साथ आ रहे हैं। स्टेशनों में हो रही सघन जांच में मिल रहे नतीजे इसकी पुष्टि भी कर रहे हैं। छोटे समूह में लौट रहे, यह लोग गांव पहुंचने के बाद बड़ी चुनौती बन रहें हैं। स्थिति विकट तब होगी जब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के परिचालन को मंजूरी दी जाएगी।
यह नए केंद्र
अर्थ संकट से छुटकारा दिलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में थोक में रोजगार मूलक काम चालू हो चुके हैं। इनमें नए तालाब निर्माण, पुराने तालाबों का गहरीकरण, रोक बांध, भू -जल संवर्धन से जुड़े काम मुख्य हैं। अच्छीं हैं यह योजनाएं। रोजगार भी देतीं हैं लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल कहां है? कौन करवाएगा पालन? जैसे सवाल के जवाब ना तो रोजगार सहायक के पास हैं, ना पंचायत सचिव और सरपंच के पास।
इन्हें कौन रोकेगा
राजनैतिक आयोजन, जिनमें जयंती, श्रद्धांजलि, धरना -प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने जैसे काम खूब हो रहे हैं। योजनाओं के निरीक्षण के लिए निकले लोगों के साथ समूह भी चल रहा होता है। इन्हीं के बीच गाइडलाइन को दबते और कुचलते देखा जा सकता है। स्पष्ट है कि यह वर्ग प्रोटोकॉल की परवाह नहीं कर रहा है।