November 25, 2024

शासकीय कॉलेजों में सभी तरह के पद आधे से ज्यादा रिक्त, ऐसे में क्या सिर्फ नए बने भवन ही हैं उपलब्धि?: टी.एस सिंहदेव

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JOGI EXPRESS

14 साल की सबसे बड़ी उपलब्धि, राज्य के 19 लाख युवा बेरोजगार: कांग्रेस


रायपुर/ कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में पिछले 14 वर्ष की उपलब्धि गिनाने वाले उच्च शिक्षा एवं राजस्व मंत्री पहले यह बताएं कि क्या राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री के परिजनों द्वारा शासकीय भूमि पर कब्जा कर रिसॉर्ट बना लिया जाना ही रमन सरकार की उपलब्धि है। कांग्रेस भवन रायपुर में आयोजित पत्रवार्ता में नेता प्रतिपक्ष टी.एस सिंहदेव ने कहा कि उच्च शिक्षा की प्रदेश में स्थिति यह है कि प्रदेश में संचालित 216 शासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के स्वीकृत 209 पद के विरुद्ध 106 पद रिक्त है। प्राध्यापको के 487 पद स्वीकृत है जिसमें पूरे के पूरे 487 पद रिक्त है। राज्य के लाखों युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं और रमन सरकार और उसके मंत्री तथाकथित उपलब्धियों का ढिंढोरा पीट रहे हैं। उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने वाले उच्च शिक्षा एवं राजस्व मंत्री स्वयं को हाईटेक दिखाने के लिए फेसबुक लाइव पर अपने क्षेत्र की जनता से स्वच्छता अभियान की अपील करने में व्यस्त रहते हैं।

राजस्व विभाग

राजस्व के क्षेत्र में उपलब्धि गिनाने वाले मंत्री महोदय को पहले यह बताना चाहिए कि वे प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ व प्रभावशाली मंत्री द्वारा महासमुंद जिले के जलकी गांव में 300 एकड़ से अधिक शासकीय भूमि, जिसमें जल-संसाधन, वन भूमि, नजूल और सरकारी उपयोग की अन्य भूमि पर अनाधिकृत कब्जा कर बनाये गए रिसोर्ट के बारे क्यों कुछ नहीं कह पाए। एक ओर मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, जबकि वहीं दूसरी ओर आरोपो से घिरे अपने मंत्री को बचा रहे हैं। राजस्व मंत्री को बताने की जरूरत है कि भष्ट्राचार की जांच पुलिस की बजाय भाजपा अध्यक्ष अमितशाह से कैसे कराया जा सकता है? क्या इस संदर्भ में केंद्र की भाजपा सरकार ने कोई नया कानून तो नही बना लिया है कि भाजपा पार्टी के मुखिया द्वारा दी गई क्लीनचिट के बाद अनियमितताओं की किसी शासकीय एजेंसियो से जांच की जरुरत नहीं।

जनता को परेशान करने के लिये रोज नये-नये नियम बनाये जा रहे है हाऊसिंग सोसाईटियो के बजाय भूखण्डधारियों को सीधे राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज किए जाने का सब्जबाग दिखाए जाने के बावजूद आज तक भूस्वामियों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज तो नही हो पा रहे हैं। किन्तु लोग रोज कलेक्टर कार्यालय से लेकर तहसील कार्यालय के चक्कर लगाकर थक चुके है, किंतु शासन प्रशासन में बैठे लोग नियम कानून का हवाला देकर इस मामले में पूरी तरह चूप्पी साधे हुये है जनता परेशान है और वहीं दूसरी और यह आदेश भ्रष्टाचार का एक और नया जरिया बन गया है।
ठीक उसी तरह शासन प्रशासन के जारी तुगलकी फरमान से 2200 वर्ग फुट प्लाट के रजिस्ट्री पर रोक लगा देने से और जिनकी रजिस्ट्री हो चुकी है उनका राजस्व रिकॉर्ड में नामान्तरण पर रोक लगा देने से लोग बहुत परेशान है। सबसे ज्यादा परेशानी की बात तो और है जब प्रमाणीकरण हुए प्लाट के डायवर्सन पर रोक लगा दी गयी है। लोगों द्वारा बार-बार गुहार लगाए जाने के बावजूद सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किये जाना चिंता का विषय है, लोगो को अपनी मेहनत की कमाई से अर्जित पूंजी की भविष्य में होने वाली अनियमित्ता की अंदेशा को लेकर कई प्रकार की भय सताना लाजमी है। लेकिन इस सरकार में बैठे लोगो को जनसमान्य को होने वाले तकलीफो एवं परेशानियों की कभी चिंता नहीं रही।
वहीं बस्तर जिले में टाटा और एस्सार कंपनी द्वारा उद्योग नही लगाए जाने के निर्णय और बोरिया बिस्तर समेट कर वापस चले जाने के बाद भी अधिग्रहित जमीनों को प्रावधानों के बावजूद किसानों को वापस नहीं किया गया है। राजस्व मंत्री और सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या अधिग्रहित जमीनों को अडानी या अंबानी को देने की कोई विशेष योजना तो नहीं बनाई जा रही है, क्योंकि विशेष योजना बनाकर अपने लोगों को उपकृत करने में रमन सरकार और उसके मंत्रियों को महारत हासिल हो चुका है।

ऽ    उद्योगों को बंदरबाट किये जाने के चलते-घटते जा रहे कृषि भूमि के रकबे के बारे में मंत्री जी क्यो खामोश है?

ऽ    ठीक उसी तरह राजस्व विभाग में 2200 वर्गफुट से कम की रजिस्ट्री जमीन का न तो प्रमाणीकरण हो रहा है और न ही उसका डायवर्सन हो पा रहा है। इसके चलते लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है, जिसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि प्लाट की रजिस्ट्री हो जाने के बावजूद भी राजस्व रिकार्ड में अभी तक याने तीन-चार साल बाद भी लोग प्रमाणीकरण और डायवर्सन की लिये भटक रहे है। रजिस्ट्री हो जाने के बाद भी नाम दुरुस्त नही होने के चलते विक्रेता के नाम से ही राजस्व रिकॉर्ड में उल्लेख होने से दुरुपयोग होने की आशंका का भय क्रेता के मन में बना रहता है, और न ही क्रेता मकान बनाने के अपने सपनो को साकार बना रहे है।

ऽ    बीस सू़त्रीय कार्यक्रम के तहत भूमिहिनो को आंबटित काबिल-कास्त की जमीने सरकारी संरक्षण में प्रभावशाली लोग खरीदी ब्रिकी करने में लगे है, मंत्री जी मौन है।

ऽ    गांवो में सार्वजनिक उपयोग एवं चारागाह के लिये सुरक्षित जगहों को बिना ग्राम सभा की अनुमति के प्रशासन के संरक्षण में बंदरबाट किया जा रहा है। मंत्री जी की चुप्पी कई संदहो को जन्म देता है।

ऽ    राजस्व विभाग द्वारा भूईयां कार्यक्रम के तहत चाॅईस सेंटरों से प्राप्त ई-नक्शा को राजस्व अधिकारियो से अटेस्टेड करवाना पड़ता है, जिसके चलते लोगो को पुनः पटवारी का चक्कर लगाना पड़ता है। ई-नक्शे का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

ऽ    कलेक्टर, राजस्व विभाग के जिला प्रमुख होने के कारण सिटीजन चार्टर्ड का पालन करवाने की जिम्मेदारी होती है, अगर ये जिम्मेदारी निर्वहन किया जाता तो बच्चू लाल को मुख्यमंत्री निवास के सामने मौत को गले लगाने की नौबत नहीं आती।

ऽ    प्रदेश के लगभग 96 तहसील सूखाग्रस्त घोषित होने के बावजूद जिला कलेक्टरों की उदासीनता के चलते  आरबीसी की धारा 4,6 तहत प्रभावितों को मिलने वाले राजस्व मुआवजे का निर्धारण अब तक नहीं हो पाना बहुत ही दुर्भाग्यजनक है।

ऽ    लगता है राज्य के जिला कलेक्टरों को अब राजस्व विभाग के बजाय चुनावी/ईवीएम मैनेजमेंट में ज्यादा दिलचस्पी होने लगी है।

उच्च शिक्षा

वर्चुअल लाइफ से रीयल लाइफ पर आकर देखें उच्च शिक्षा मंत्री जी, कि राज्य में कितने बेरोजगार इस भाजपा सरकार को कोस रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष टी.एस सिंहदेव एवं पूर्व सांसद करूणा शुक्ला ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक के 3338 स्वीकृत पदों में से 1526 पर सहायक प्राध्यापक के पद अभी तक रिक्त है, जबकि क्रीड़ा अधिकारी के स्वीकृत 115 पदों में से 62 पद खाली पड़े है। ग्रन्थपाल 123 पद में से 54 पद खाली पड़े है। महाविद्यालयांे में तृतीय श्रेणी शैक्षणिक पदों के लिए स्वीकृत 1578 में से केवल 1087 पद ही भरे गए है अर्थात लगभग 500 पद अभी भी रिक्त हैं। प्रदेश के 3 शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय व 31 शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में स्वीकृत 3647 पदों के विरुद्ध केवल 1641 पड़ ही भरे गये है अर्थात 2006 पद खाली पड़े है। जिसमे शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय रायपुर में 243 के विरुद्ध 136 पद खाली है वही बिलासपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय में 231 पदों के विरुद्ध 126 पड़ रिक्त पड़े है। वही हाल जगदलपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय का भी है जहाँ 227 पदों में से 115 पद खाली पड़े हैं। क्या यही है रमन सरकार की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियां?
उन्होंने कहा कि सरकार कौशल उन्नयन योजना के तहत प्रशिक्षण एवं रोजगार की बात को बहुत बढ़-चढ़कर अपनी उपलब्धियां का बखान करने से नही थकती किन्तु हकीकत ये कि सरकार के बताएं आकड़े ही पोल खोलने के लिए पर्याप्त है राज्य के 27 जिलो में 2016-17 में 93264 युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया किन्तु केवल 27116 लोगो ही रोजगार प्राप्त करने में सफल हो सके, लगभग दो तिहाई याने 66,000 से ज्यादा प्रशिक्षित युवा रोजगार से वंचित रह गए है। जबकि ढिंढोरा पीटने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह गुरुवार को ही जशपुर की 2 बालिकाओं को दिल्ली लेकर गए और वहां एक समिट में दिखावा कर आए। समिट वालों को हकीकत दिखानी ही है तो उन्हें स्वतंत्र रुप से जांच करने के लिए छत्तीसगढ़ बुलाएं और उनकी जांच में सरकार का कोई दखल न हो।
उन्होंने कहा कि राज्य में बेरोजगारी की स्थिति यह है कि जिला रोजगार एवं स्वरोजगार केंद्र में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों की संख्या जनवरी 2017 की स्थिति में 19 लाख 53 हजार 556 है, यह बात रमन सरकार स्वयं विधानसभा में स्वीकार कर चुकी है। वहीं 2015 के बाद से राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों को दिए जाने वाले रोजगार भत्ता योजना पर रोक लगा दी है। कितना दुर्भाग्य है कि वर्ष 2015-16 तक प्रदेश के जिला रोजगार व स्वरोजगार मार्गदर्शन केंद्रों में 6 लाख 13 हजार 322 बेरोजगारों ने रोजगार के लिए पंजीयन कराया लेकिन रमन सरकार उनमें से केवल 397 बेरोजगारों को ही शासकीय नौकरी उपलब्ध करा पाई।
नेता प्रतिपक्ष टी.एस सिंहदेव एवं पूर्व सांसद करूणा शुक्ला ने कहा कि राज्य में रोजगार उपलब्ध कराने का दावा करने वाली मंत्री जी को यह जानने की जरुरत है कि केवल 2014 से 2017 तक के तीन सालों में प्रदेश के लगभग 57 हजार से ज्यादा मजदूरो ने रोजी-रोटी की तलाश में राज्य के बाहर पलायन कर गये। 80 हजार करोड़ से ज्यादा बजट वाले राज्य की जब यह हालात है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किन लोगों के लिए सरकार चल रही है, और इस बजट में कितनी की कमीशनखोरी हो रही व कितना जनता पर खर्च हो रहा है?

ऽ    उच्चशिक्षा के लगातार गिरते स्तर के बारे में मंत्रीजी कुछ बोलते नहीं जबकि महोदय को जवाब देने की जरूरत है कि। क्यों प्रदेश के एक भी विश्वविद्यालय देश के प्रथम 100 स्थानों में अपना स्थान नही बना पाया है। मंत्रीजी को यह भी बताना चाहिए कि क्या पिछले 14 वर्षों में राज्य के किसी विश्वविद्यालय से कोई राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध हुआ है, और नहीं हुआ तो उसके लिए शिक्षा के गिरते स्तर का जिम्मेदार कौन हैं।

ऽ    बिलासपुर विश्वविद्यालय के लिये पूरे मापदण्डो एवं प्रावधानो के तहत चयनित कुलपति प्रोफेसर सदानंद साही (बनारस) को किस आधार पर पद ग्रहण नहीं कराया गया। विचारधारा के नाम पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे अधिनायकवादी प्रवृत्ति पर राज्य के बुद्धजीवियों के लिये चिंता का विषय होने एवं चैतरफा विरोध के बावजूद उच्च शिक्षा के मंत्री अपने संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन क्यों नहीं कर पाये? इस विषय पर वे खामोश क्यों रह गये?

ऽ    निजी महाविद्यालयों को युजीसी से मिलने वाले अनुदान राशि पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) द्वारा रोक लगा दिये जाने (जब तक राज्य सरकार द्वारा निजी महाविद्यालयों को नियमित अनुदान नहीं प्राप्त होगा) के चलते केन्द्र सरकार से मिलने वाले करोड़ो रूपये के सहयोग राशि से राज्य वंचित हो गया है। जिसके चलते उच्च शिक्षा के क्षेत्र के विस्तार पर बहुत हद तक रोक लग गयी है, राज्य सरकार के द्वारा इस संदर्भ में कोई सार्थक पहल क्यो नही की गई है?

ऽ    मंत्री जी को यह भी बताना चाहिए कि इन 14 वर्षों में सरकार ने अब तक कोई शिक्षा नीति क्यों नहीं बना पायी है? जबकि शिक्षा का भगवाकरण में यह सरकार जोर-शोर से लगी हुई है। कुलपतियों की बैठक उच्च शिक्षा मंत्री के बजाय आरएसएस के लोग सरस्वती शिशु मंदिर में लेते हैं। कुलपतियों की हुई इस अवमानना पर मंत्री जी की चुप्पी क्या उसकी विवशता को प्रर्दशित नहीं करता?

नेता प्रतिपक्ष टी.एस सिंहदेव एवं पूर्व सांसद करूणा शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार के मंत्रीगण 14 वर्षों में जो उपलब्धियां गिना रहे हैं, उनमें सबसे प्रमुख सिर्फ यही है कि 14 वर्षों में उनके विभागों का बजट कितना गुना बढ़ गया है, यही असली मुद्दा है, मंत्रियों को सिर्फ बजट ही याद रहता है, क्योंकि उसमें ही कमीशनखोरी की गुंजाईश रहती है। जनता की क्या स्थिति, बेरोजगारों की क्या स्थिति, शिक्षा के स्तर की क्या स्थिति इन सब से मंत्रीगणों को कोई मतलब नहीं। क्योंकि मुख्यमंत्री स्वयं कमीशनखोरी रोकने की अपील कर चुके हैं इससे साफ जाहिर है कि यह कमीशनखोरों की सरकार है।

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