November 25, 2024

पोलावरम बांध से छत्तीसगढ़ के सैकड़ों गाॅव को डूबने का खतरा :धनेन्द्र

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JOGI EXPRESS

रायपुर ,छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा भारत शासन से चार बार कृषि क्रमण पुरस्कार मिलने को स्वयं को श्रेय देने में लगी है। जबकि यह पुरस्कार सरकार के कार्यो के बदौलत नही है। बल्की यह छत्तीसगढ़ के मेहनतकश किसानो के खून पसीने की कमाई का पुरस्कार हैं । छत्तीसढ़ शासन ने तो अपनी किसान विरोधी नीतियो के चलते किसानो को सिर्फ आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का काम किया है।
ग्रीष्मकालीन धान को किसी भी वर्ष समर्थन मूल्य मे खरीदी नही करना, धान के समर्थन मूल्य को 2100 रू क्विंटल वादे के मुताबिक नही करना, एक-एक दाना धान खरीदी किए जाने के वादे करके सिर्फ आधी मात्रा में धान की खरीदी करना, 5 वर्ष के बदले सिर्फ 2 वर्ष ही बोनस देना, 37 लाख किसानों में से मात्र 13 लाख किसानो को बोनस देना, प्रदेश के कृषि मंडियों में समर्थन मूल्य से काफी कम दाम में धान की बिक्री करा कर किसानो को लूटना, किसानो को नकली खाद, नकली बीज एवं नकली दवाईयाॅ देकर कृषि के लागत बढ़ाना, ग्रीष्म कालीन धान की फसल बोने वाले किसानो को उनके बिजली कनेक्शन काट दिये जाना तथा पंपो को जब्त करने का आदेश देना, फसल बीमा का सही लाभ नही देना, यही इस सरकार की किसान विरोधी दुष्कर्म है। फिर यह कृषि क्रमण पुरस्कार का हकदार किसानो के बदले शासन के द्वारा खुद श्रेय लेना यह एक शर्मनाक कृत्य एवं निंदनीय है।
जल संसाधन विभाग
1.    सिंचाई का राष्ट्रीय औसत 38 प्रतिशत जबकि छ0ग0 राज्य का सिंचाई प्रतिशत मात्र 23 प्रतिशत है।
2.    राज्य निर्माण उपरान्त अभी तक जल संसाधन विभाग द्वारा करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद भी सिचाई का मास्टर प्लान नही बना सका
3.    छ0ग0 राज्य निर्माण के बाद जल संसाधन विभाग द्वारा 25 हजार करोड़ की राशि खर्चा कर 30 लाख 45 हजार हेक्टे. नया क्षेत्र में सिंचाई संसाधन विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था परन्तु वर्तमान शासन द्वारा, दिसम्बर 2016 तक 16560 करोड़ रूपये खर्चा करके शासकीय आंकड़ों के अनुसार मात्र 675000 हेक्टे. में नया सिंचाई रकबा में बढ़ोत्तरी किया है लेकिन वास्तविक इससे कम है।
4.    राज्य में सिंचाई हेतु बजट में दी जा रही राशि में लगभग 20 गुणा से अधिक की वृद्धि, राज्य निर्माण के समय से की गई है।
5.    बजट में प्रावधानित राशि का शासन द्वारा खर्च नही किया जा पा रहा है। हर वर्ष बजट में स्वीकृत राशि 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की राशि लेप्स हो रहा है। जैसे वर्ष 2016-17 में स्वीकृत 2891.40 करोड़ रूपये में से मात्र 1338.70 करोड़ ही ,खर्च हुआ है।
6.    राज्य में सिचाई हेतु संसाधन निर्माण कर 43 लाख हेक्टे. क्षेत्र में सिंचाई किए जाने की संभावनाए है। परन्तु अभी तक शासकीय आंकड़ों के अनुसार अभी तक मात्र 20 लाख हेक्टे. में  सिंचन क्षेत्र सृजित हुआ है।
7.    प्रदेश में शासकीय संसाधनो से प्रतिवर्ष रबी में सिचाई की सुनिश्चित क्षमता 0 प्रतिशत है। सिंचाई के आंकड़े सिर्फ खरीफ मौसम का है।
8.    राज्य में शासन द्वारा नदी, नालो, जलाश्यो, एवं भूगर्भीय जलो का उपयोग कृषि के बदले उद्योेगोे को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।
9.    राज्य में जल संसाधन विभाग द्वारा कई हजारों करोड़ रूप्ये की राशि खर्च करके लगभग 587 एनीकट/स्टाप डेम का निर्माण किया जा चुका हैं तथा 208 एनीकट निर्माणाधीन हैं। जिसमे सिचाई प्रतिशत नगण्य है।
10.    राज्य में  जल संसाधन विभाग द्वारा कराये जा रहें निर्माण कार्यो में कही भी गुणवत्ता का पालन नही किया जा रहा है। विभाग के सारे निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्यापत है। भ्रष्टाचार को शासन द्वारा संरक्षण देने के कारण थोड़े ही भ्रष्ट्राचार सामने आये है। जैसेः- कोडार, जलाशय नहर, पैरी नहर परियोजना, अरपा भैसा झर परियोजना, राजीव गाॅधी ब्यवपर्तन योजना, सर्वेश्वर एनीकट घोटाला, जशपुर जिले में स्टाप डेम निर्माण घोटाला आदि ही सामने आऐ है। केग के रिर्पोट अनुसार जल संसाधन विभाग में 1473 करोड़ की वित्तीय अनियमितता पाई गई है।
11.    राज्य में नया एक भी बड़ी सिंचाई योजना की स्वीकृति नही दी गई ।
12.    राज्य की नदियों की पानी को उद्योगो को बेचा जा रहा है।
13.    पोलावरम बांध से छत्तीसगढ़ के सैकड़ों गाॅव को डुबने का खतरा हो गया है।
14.    जल उपभोक्ता संस्थाओं का कई वर्षो से चुनाव नही कराया जा रहा है। वर्ष 2007 के बाद से चुनाव नही हुआ है।

  कृषि 
1.    राज्य में किसानो की संख्या 44.54 लाख से घटकर 32.88 लाख हो गई हैै।
2.    2.5 लाख किसान भुमिहीन हो गये है।
3.    मजदूरों की संख्या 31.94 से बढ़कर 41.80 लाख हो गया है।
4.    शासकीय आंकड़ो के मुताबिक प्रदेश में किसानो द्वारा आत्म हत्या किये जाने के प्रकरणों की संख्या में प्रतिवर्ष काफी बढ़ोत्तरी हुई तथा प्रतिदिन 5 से अधिक किसानो के द्वारा आत्महत्या की घटना हो रही है।
5.    राज्य में नये कृषि योग्य रकबें में वृद्धि के बावजूद भी, शहरी करण , उद्योगो, सड़क, रेलवे लाईन आदि के लिए ली जा रही जमीनो के कारण प्रतिवर्ष हजारों एकड़ कृषि  भूमि समाप्त हो रही है।
6.    गैर कृषकों के द्वारा कृषि भूमि की खरीद को रोकने हेतु विधान सभा में विधेयक पारित होने के बाद भी इसे लागू नही किया जा रहा है।
7.    प्रदेश में शासकीय संसाधनों से रबी फसलों की सिंचाई हेतु रकबा की बढ़ोत्तरी नही कराया जा सका है। सिर्फ निजी संसाधनो से ही रबी की फसल ली जा रही है। लगभग 90 प्रतिशत कृषि भूमि में मात्र चार माह ही खेती हो पा रही है।
8.    फसल बीमा का सही लाभ किसानो को नही मिल पा रहा है। फसल छति का आंकलन सही एवं निष्पक्ष नही होने से किसानो एवं शासन द्वारा भारी भरकम बीमा की प्रीमियम राशि पटाने के बाद भी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ नही मिल रहा है। इसका पूरा निजी बीमा कम्पनी को ही मिल रहा है।
9.    प्रदेश में नकली खाद एवं दवाईयों के बिक्री को रोकने में नाकाम नही हैं और इन कम्पनियों द्वारा किसानो को लुटा जा रहा हैं ।
10.    किसानों को उनके उपज का सही मूल्य नही मिल रहा हैं । मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल द्वारा विधानसभा में घोषणा किये जाने के बाद भी उनके सभी धान की खरीदी नही कि जा रही है। तथा 300रूपया प्रति क्वींटल की बोनस की राशि पूरे 5 वर्षो का एवं सभी किसानो को नही दिया गया । राज्य के 25 लाख से अधिक बोनस से वंचित है। तथा राज्य के 37 लाख किसान तीन वर्ष के बोनस से वंचित हो गये है।
इसी तरह 2100 रूपये समर्थन मूल्य भी किसानों को नही दिया गया
11.    मुफ्त में सिंचाई हेतु विद्युत दिये जाने की बात शासन द्वारा की जा रही है। परन्तु किसानों को भारी महंगी बिजली का बिल देना पड़ रहा है।
12.    शासन द्वारा धान की खेती को लगातार हतोत्साहित किया जा रहा है। ग्रीष्मकालीन धान की उत्पादित धान की फसल को शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी नही किया गया।
13.    इस वर्ष प्रदेश में ग्रीष्मकालीन धान की फसल लिये जाने पर प्रतिबंध लगाकर किसानो को विद्युत कनेक्शन स्थायी रूप से काटे जाने तथा पंपो को जब्ती करने का तुगलकी आदेश जारी किया गया है।
14.    कृषि मंत्री के उपर सिरपुर के पास जलकी गाॅव के फार्म शासकीय एवं निजी भूमि के गलत हस्तगन पर लगाये गये आरोपो की जाॅच कराने के बजाय चर्चा से बचने के लिए विधान सभा के बैठक का 11 दिन के बदले मात्र 2 दिन में समाप्त कर दिया गया।
पत्रकार-वार्ता में पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे, मीडिया अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता महेन्द्र छाबड़ा, घनश्याम राजू तिवारी, विकास तिवारी, मनीष दयाल महिला कांग्रेस अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम उपस्थित थे।

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