November 23, 2024

ग्राम रावन के गांधी चौक में चल रहे श्रीमद्भागवत यज्ञ महापुराण

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दुनिया में तीन चीजें हैं जो मृत्यु के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती पुण्य, पाप और गुरु मंत्र- पंडित राजेश पांडे।

अर्जुनी – स्थानीय गांधी चौक रावन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा पुराण के आठवें दिवस की कथा में कथावाचक पंडित राजेश पांडे चंदनु बेमेतरा ने कथा -रासलीला रुक्मणी विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि प्राणी जब ज्ञान की चरम पर पहुंचता है तो उसे मेरी पराभक्ति की प्राप्ति हो जाती है इसलिए परमात्मा के चरणों में जो भक्ति की जाए वह निष्काम भक्ति होनी चाहिए भक्ति के बिना ज्ञान नहीं होता और ज्ञान के बिना भक्ति संभव नहीं है रास वर्णन में कहा कि रास श्रीमद् भागवत के पंचप्राण है जिसके गोपियों के साथ प्रभु ने रास किया वो गोपी का मतलब गो-माने इंद्रियां पी माने पीना जो प्रत्येक इंद्रियों से कृष्ण रस का पान करें उसका नाम गोपी है, रास जीव और ईश्वर का ही मिलन है। कामदेव के अभिमान को दूर करने के लिए प्रभु ने रासलीला की और इंद्रियों पर जिसका नियंत्रण है उसे कोई विचलित नहीं कर सकता ।जीवन में आशा करनी है तो गोविंद से मिलने की करो। संसार की आशाएं व्यर्थ है जीवन में जो भी करो परमात्मा से जोड़कर करो। रुक्मणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि संपत्ति और भक्ति का सदुपयोग करने वाले को सुख मिलता है। और दुरूपयोग से दुख ही मिलता है। जीव को समय, शक्ति और संपत्ति का सदुपयोग करना चाहिए। दुनिया में तीन चीजें हैं, जो मृत्यु के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती। एक पुण्य! पुण्य मृत्यु के बाद व्यक्ति को स्वर्ग ले जाता है। दो पाप! पाप मृत्यु के बाद व्यक्ति को नरक ले जाता है। तीन गुरु मंत्र! गुरु मंत्र को श्रद्धा से जपा तो वह ईश्वर के पास ले जाता है। वह कार्य जो प्रसंता दें पुण्य है।जिससे पश्चात हो वह पाप है और महापुरुष के जिस शब्द से हमारी जिंदगी बदल जाए वह गुरु मंत्र है। आगे कहां की दुनिया में सज्जन और दुर्जन दो तरह के मनुष्य होते हैं ।दोनों जीते हैं मगर दोनों में फर्क केवल इतना है कि सज्जन दूसरों को हंसाकर और दुर्जन रुलाकर जीता है और जब दोनों दुनिया से विदा लेते हैं तो सज्जन लोगों को रुलाकर और दुर्जन हंसाकर जाता है। जीवन में ऐसा जीना कि जब तुम दुनिया से जाओ तो लोग तुम्हारे लिए रोये तुम्हें याद करें। ऐसा जीवन मत जीना कि लोग कहे कि अच्छा हुआ एक और पाप कटा!दुनिया से जाओ तो लोगों के दिलों में मुझे याद और आंखों में प्यार के आंसू छोड़कर जाना। श्रीमद् भागवत कथा सुनने अंचल श्रोतागन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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