विकास का लाभ बिना किसी देरी के अपने मूल रुप में लोगों तक सही तरीके से पहुंचना चाहिए : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज जनप्रतिनिधियों और सरकारों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि विकास का फायदा बिना किसी देरी के अपने मूल रूप में सही तरीके से लोगों तक पहुंचे। उन्होंने यह इच्छा भी व्यक्त की कि सांसद लोकलुभावने तरीकों से दूर रहें और लोगों का उनकी विकास संबंधी जरूरतों पर मार्गदर्शन करें।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में ”राजस्थान में संसंद के दूत” नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने सांसदों से आदर्श ग्राम योजना के लिए सांसंद निधियों का उपयोग करने का आग्रह किया। डॉ. के. एन. भंडारी द्वारा लिखित पुस्तक राजस्थान में संसंद के दूत पुस्तक 2006 से 2018 तक 12 वर्षों में राजस्थान में डॉ. अभिषेक सिंघवी की अनुशंसा पर सांसंद निधि योजना के माध्यम से शुरू की गई स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में की गई पहलों पर केंद्रित है।
श्री नायडू ने जन प्रतिनिधियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों के विकास में सक्षम बनाने की सांसंद निधि योजना के उद्देश्य को हवाला देते हुए कहा कि 1993 में अपनी स्थापना के बाद से सांसंद निधियों के माध्यम से 19 करोड़ 47 हजार से अधिक के काम पूरे किए जा चुके हैं और इसने देशभर में परिसंपत्तियां बनाने में मदद की है।
योजना के कार्यान्वयन की निगरानी पर तैयार की गई रिपोर्टों में कुछ कमियों के उल्लेख पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि योजना के सकारात्मक पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इनमें से कार्यों की पहचान के लिए व्यापक स्तर पर सामुदायिक भागीदारी भी एक महत्वपूर्ण पहलु है।
उन्होंने पारदर्शी तरीके से सांसद निधियों के निष्पादन के लिए तीसरे पक्ष द्वारा निगरानी किए जाने के सरकार के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि सांसदों के ज्ञान और अनुभव के साथ तीसरे पक्ष के निगरानी के माध्यम से परिसंपत्तियों के निर्माण की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।”
उपराष्ट्रपति ने इस योजना को और बेहतर बनाने के लिए संसदीय समितियों द्वारा सांसद निधियों को समय पर जारी करने, धन का उचित उपयोग, कार्यों / परियोजनाओं की गुणवत्ता और इन सबके लिए सांसदों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच प्रभावी समन्वय की आवश्यकता से संबधित सुझावों का उल्लेख किया।
श्री नायडू ने राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन से सांसदों के सुझावों का अक्षरशः पालन करते हुए सांसद निधियों से जुड़ी परियोजनाओं का समय पर निष्पादन सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया ।
उन्होंने सदन में बहस के स्तर और राजनेताओं की छवि लोगों की नजरों में खराब होने का उल्लेख करते हुए कहा कि सांसदों को चाहिए कि वह संसंद की गरिमा और शालीनता बनाए रखें और अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाएं। उन्होंने कहा कि “सांसदों को अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए एक आर्दश बनना चाहिए”।
श्री नायडू ने एक वकील और एक सांसद के रूप में तथा कई साल पहले कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. अभिषेक सिंघवी के कार्यों और उनके योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक सांसद निधि के माध्यम से जनकल्याणकारी कार्य कैसे होते हैं इनका बखूबी चित्रण करती है। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि यह पुस्तक सांसद निधि के माध्यम से किए जाने वाले विकास कार्यों में शामिल सभी हितधारकों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी।
राज्य सभा के उपाध्यक्ष श्री हरिवंश, केंद्रीय मंत्री श्री थावरचंद गहलोत , राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री गुलाम नबी आज़ाद, डॉ. अभिषेक सिंघवी और अन्य सांसदों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।