शिक्षामित्रों के साथ राज्य में अन्याय, देश के इतिहास में काला अध्याय शिक्षकों के साथ हुआ अपराधियों जैसा व्यवहार, शिक्षकों के साथ दमनात्मक कार्यवाही, भारतीय संस्कृति के विरूध्द
JOGI EXPRESS
रायपुर छ.ग.छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 180000 शिक्षामित्रों के साथ छ.ग.सरकार के द्वारा अत्याचार किया जा रहा है लोकतांत्रिक तरीके से अपने जायज मांगों को लेकर आज प्रदेश भर से राजधानी में हजारों की संख्या में पहुंचे शिक्षकों के साथ पुलिसकर्मीयों के द्वारा न सिर्फ दुव्र्यहार किया गया बल्कि उन्हें बलपूर्वक गिरफतार भी किया जो भारत के इतिहास में काला दिवस के रूप में जाना जायेगा। भाजपा इन शिक्षामित्रों को हर बार झुठा सपना दिखाकर सत्ता में आई, मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह और भाजपा ने तीन बार उनकी मांगो पूरा करने की घोषण की लेकिन अपने वादे को सरकार ने कभी भी पूरा नही किया बल्कि उन्ही शिक्षकों के खिलाफ दमनात्मक कार्यवाही कर रही है। जिनके हाथों में प्रदेश का भविष्य है उन पर बरबरता पूर्वक पुलिसिया कार्यवाही कर रही है। यदि सरकार शराब जैसी सामाजिक बुराई के लिए शराब विक्रय का सरकारी करण के लिए नई नीति बना सकती हैं तो समाज के भविष्य निर्माताओं के लिए क्यों नियमों में संसोधन नहीं करती। क्या ये शिक्षक एक ही पद पर जीवन भर कार्य करते रहे इनकी पदोन्नति नहीं होनी चाहिए ? क्या दिवंगतों का अनुकंपा का लाभ नहीं मिलना चाहिए ? क्या इन्हें तबादला का लाभ नहीं मिलना चाहिए ? क्या इन्हें नियमित रूप से वेतन नहीं मिलना चाहिए ? सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाने वाले, सुदुर ग्रामीण अंचल जहां सरकार की भी पहुंच नहीं हैं वहां शिक्षामित्र जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं ऐसे भविष्य निर्माताओं का सम्मान करने के बजाए सरकार अपमान कर रही है। अस्सी हजार करोड़ रूपए की बजट वाली सरकार एक तरफ तो कहती हैं प्रदेश के विकास मंे रूपए की कमी नहीं हैं, सबका साथ सबका विकास का नारा देती हैं आज वहीं सरकार लोकतांत्रिक तरीके से अपनी जायज मांग की आवाज उठाने पर उनके साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया जा रहा है। सरकार को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा