दंतेवाड़ा में बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के विषय पर ग्रामीणों को सुझाव देंगी गाँव की दादियां

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दंतेवाड़ा के पोषण-स्तर में सुधार लाने के लिए ली जाएगी गाँवों की बुज़ुर्ग महिलाओं से मदद

‘बापी ना उवैत’-दंतेवाड़ा में स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए ग्रामीण स्तर के संचारकों की अभिनव पहल

दंतेवाड़ा, 8 दिसंबर 2020: दंतेवाड़ा जिले में पोषण का स्तर बेहतर बनाने के लिए एक अभिनव पहल की जा रही है। इस पहल के तहत जिले के सभी 239 गांवों में बुजुर्ग महिलाएं मिलकर स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ावा देंगी। ‘बापी ना उवैट ’(गोंडी भाषा में दादी के नुस्खे) के नाम से की जा रही ये अनूठी पहल, जिला प्रशासन द्वारा संचालित और यूनिसेफ द्वारा समर्थित है। इसे दंतेवाड़ा में गुरुवार 10 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा।

पहल के तहत, जिले के प्रत्येक गाँव के लिए एक ‘बापी’ (दादी) होंगी जो परिवारों और ग्रामीणों से बात कर उन्हें पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, बच्चों की देखभाल और कोविड की रोकथाम जैसे विषयों पर सलाह देंगी और उन्हें व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेंगी। इन बुजुर्ग महिलाओं को महिला शक्ति केंद्र के ग्राम स्वयंसेवकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।

‘बापी’ कार्यक्रम का एक मैस्कॉट और एक थीम गीत भी है, जिसकी रचना आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई है। बापियों का चयन गांवों से किया जाएगा, जो स्वैच्छिक रूप से इस कार्यक्रम से जुड़ेंगी। बापी और गाँव के स्वयंसेवकों का पारस्परिक संचार कौशल, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान ’जैसे सरकारी कार्यक्रमों और बाल कुपोषण, बाल मृत्यु और एनीमिया कम करने जैसे विषयों पर उन्मुखीकरण किया जाएगा।

यूनिसेफ के चीफ जॉब ज़करिया ने कहा कि “यह एक अनूठी पहल है क्योंकि यह पहली बार हुआ है कि गांव-स्तर के संचारकों और प्रभावी व्यक्तियों के कैडर का गठन किया गया है ताकि बाल कुपोषण, एनीमिया और बाल मृत्यु जैसी समस्याओं को संबोधित किया जा सके। गाँवों में टीकाकरण, पोषण, एनीमिया में कमी, किशोर स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी सरकारी सेवाओं को बढ़ावा देने का कार्य बापियों द्वारा प्रभावी रूप से किया जा सकेगा। यह कार्यक्रम अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में उभर सकता है।

दंतेवाड़ा के जिला कलेक्टर दीपक सोनी कहते हैं, ” बापियों को उनकी समझदारी और अनुभव के कारण समुदाय में सम्मान दिया जाता है और इसलिए वे माताओं, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और समुदाय के सदस्यों को स्वास्थ्य और पोषण पर महत्वपूर्ण व्यवहार करने के लिए प्रेरित करने में सक्षम हैं। यूनिसेफ की तकनीकी विशेषज्ञता से इन इन्फ्लुएंसर्स को बच्चे और किशोर कल्याण और हित के लिए कार्य करने में मदद मिलेगी “।

अभिषेक सिंह, यूनिसेफ के C4D विशेषज्ञ, कहते हैं, “गांवों में इन विशेष संचार दूतों की मदद से समुदाय के पिछड़े वर्ग भी आवश्यक सेवाओं का लाभ ले सकेंगे।

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