डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में कोविड-19 के लिए प्लाज्मा दान अभियान की शुरुआत की

0

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में प्लाज्मा दान अभियान की शुरुआत की। इस कार्यक्रम की सह-आयोजक दिल्ली पुलिस थी, दिल्ली पुलिस के कोविड-19 से स्वस्थ हुए 26 पुलिसकर्मियों ने अपनी स्वेच्छा से प्लाज्मा दान किया।

इस पहल के लिए दिल्ली पुलिस का आभार व्यक्त करते हुए मंत्री ने कहा कि यह बहुत दुःखद बात है कि कोरोना के कारण दिल्ली पुलिस के एक दर्जन कर्मियों की मौत हो गई। ऐसी क्षति होने के बावजूद, वे कोविड का प्रसार रोकने के लिए अपने कर्मियों की तैनाती करने का एक महान कार्य कर रहे हैं, जबकि कंटेनमेंट जोनों की संख्या अब 200 से बढ़कर 600 तक हो गई है।

डॉ. हर्षवर्धन ने 26 पुलिसकर्मियों को प्रमाणपत्र देकर, इन स्वयंसेवकों के योगदान की सराहना की। इन कर्मियों में श्री ओमप्रकाश आज तीसरी बार अपना प्लाज्मा दान कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन दानों का प्रभाव देश के अन्य नागरिकों पर लंबे समय तक पड़ेगा और उन्हें अपना प्लाज्मा दान करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ जीत की हमारी यात्रा में प्रत्येक डोनर महत्वपूर्ण है और इस महामारी के लिए एक निश्चित उपचार या टीका विकसित होने तक यही ज्यादा से ज्यादा कोरोना योद्धा ही इस लड़ाई में मददगार होंगे।

उन्होंने इस रणनीति की अपार संभावनाओं को स्वीकार किया और सरकार द्वारा इसका उपयोग करने की इच्छाशक्ति के बारे में बताया। उन्होंने टिप्पणी की कि, “अब तक 24 घंटे की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए, विभिन्न प्लाज्मा बैंकों के साथ कम्पैशनेट उपयोग के लिए कॉन्वलेसन्ट प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी प्रदान की गई है। इस तथ्य के बावजूद कि भारत में कोविड-19 रोगियों के ठीक होने की दर सबसे अधिक में से एक है, प्लाज्मा दान में अभी तेजी आना बाकी है। मुझे इस बात की खुशी है कि एम्स, नई दिल्ली द्वारा दिल्ली पुलिस के कोरोना योद्धाओं के सहयोग से, इस प्लाज्मा दान अभियान का आयोजन किया जा रहा है।”

1994 में पल्स पोलियो अभियान की सफलता के अभिन्न अंग के रूप में दिल्ली पुलिस के योगदान को याद करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कई हजार पुलिस कांस्टेबल इस अभियान में शामिल हुए थे और एक विशाल जागरूकता अभियान चलाया था। उन्होंने याद किया, इसके लिए 100 नंबर को भी समर्पित किया गया था।

कोविड-19 से ठीक हुए रोगियों से प्राप्त प्लाज्मा नोवेल सार्स-सीओवी-2 वायरस के लिए सुरक्षात्मक एंटीबॉडी होती है। जब इसे शरीर में प्रवेश कराया जाता है तब यह कोविड-19 के रोगियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर सकता है। इसके संभावित लाभ को ध्यान में रखते हुए, प्लाज्मा थैरेपी उन रोगियों को प्रदान की जाती है जो पारंपरिक उपचार से ठीक नहीं हो पा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति जो कोविड-19 से ठीक हो चुका है, और उपचार या होम आइसोलेशन के बाद 28 दिन पूरा कर चुका है, जिसका वजन 50 किलो से ज्यादा है और जिसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है, वह अपने रक्त प्लाज्मा को दान कर सकता है। उनके द्वारा प्लाज्मा दान करने से पहले, ब्लड बैंक द्वारा रक्तदान के लिए उनकी पात्रता का आकलन किया जाएगा और उनके रक्त में कोविड-19 के लिए सुरक्षात्मक एंटीबॉडी के स्तर की भी जांच की जाएगी। एक ठीक हुए व्यक्ति के रक्त में, आमतौर पर इस प्रकार के एंटीबॉडी का एक उच्च जमाव होता है और जब इसे एक अतिसंवेदनशील व्यक्ति को दिया जाता है, तो ये एंटीबॉडी रक्त में फैल जाती हैं, ऊतकों तक पहुंचते हैं और वायरस को बेअसर करते हैं। प्लाज्मा दान की प्रक्रिया एक से तीन घंटे में पूरी हो जाती है और उसी दिन प्लाज्मा को एकत्रित किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *