इंदिरा गांधी केवल देश और देशवासियों के हित को ध्यान में रखकर निर्णय लेती थी, मोदी केवल अपने अहंम की पूर्ति और भाजपा हित से ऊपर उठकर नहीं सोच पा रहे है – सुरेन्द्र शर्मा

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jogi express

रायपुरप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र शर्मा ने भारतीय जनता पार्टी के इस सवाल का जवाब दिया है कि – इंदिरा गांधी ने नोटबन्दी का साहस नहीं दिखाया ।
सुरेन्द्र शर्मा ने जवाब में कहा कि कोई भी विवेक वान नेता बिना सोचे समझे देश को इस पीड़ा दायक स्थिति में नही डाल सकता तो इंदिरा जी कैसे यह कदम उठाती ।
भारतीय जनता पार्टी शायद इस बात से अनभिज्ञ है कि नोट बदली एक सतत आर्थिक प्रक्रिया है जो बिना किसी के संज्ञान में आये चलता रहता है ।
देखते-देखते कई नोट परिदृश्य से गायब हो गए और उसकी जगह नए नोटो ने ले लिया ताकि जाली नोट को बाजार से बाहर किया जा सके ।
मगर इंदिरा जी जैसी सख्शियत सामान्य काम को देश की आजादी नही बता सकती थी ।
भारतीय जनता पार्टी को नरेंद्र मोदी जी मे महाबली नजर आता है किंतु वे अभी इंदिरा गांधी के तुलना के योग्य नही हुए है ।
इंदिरा जी ने तो पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बंगला देश बना दिया और मोदी जी नवाज शरीफ का बर्थ डे मना कर अपना समय ब्यर्थ करते है।
इंदिरा जी ने गरीबी हटाओ का नारा देकर बैंको का राष्ट्रीय करण किया ताकि किसानों को साहूकार के चंगुल से बचाया जा सके और मोदी जी 100 प्रतिशत एफडीआई लागू कर देश के किसानों के भविष्य को दांव में लगा रहे है ।
इंदिरा जी ने बीस सूत्रीय कार्यक्रम के तहत देश के भूमिहीनों को ढाई एकड़ जमीन देकर उन्हें किसान बनाया और मोदी जी प्रधान मंत्री बनते ही भूमिअधिग्रहण कानून को निरस्त करने अध्यादेश लाते हैं ताकि किसानों को उनके सही हक से वंचित किया जा सके ।
इंदिरा जी ने अपने जीवन मे किसी सभा मे किसी विपक्षी दल का नाम तक नही लिया जबकि मोदी जी प्रधानमंत्री कम और भारतीय जनता पार्टी के प्रचारक अधिक नजर आते है ।
इंदिरा जी के प्रयासों से भारत अन्न उत्पादन में आत्म निर्भर हुआ ,उनके हरितक्रांति योजना ने चमत्कार करके दिखाया जबकि मोदी जी वही करते है जो पूंजीपतियों के हित मे हो ।
इंदिरा जी विरोधियो का भी सम्मान करती थी और सम्मान पाती थी जबकि आज लालकृष्ण आडवाणी जैसे भा ज पा संस्थापक अकेले जन्म दिन मनाने के लिए मजबूर कर दिए गए है, अटल बिहारी बाजपेयी ने इन्हें राज धर्म के पालन का सलाह दिया था आज बोल पाते तो कहते ‘‘मरे हुए का मूंछ उखड़ना कोई बहादुरी का काम नही है।’’
बहुत अंतर है इंदिरा जी और मोदी में इंदिरा जी जबरजस्त अंतराष्ट्रीय नेता थी जबकि मोदी जी जबरजस्ती बनने का प्रयास कर रहे है ।
इंदिरा जी ने जो राष्ट्र के लिए और गरीबो के लिए किया वह मोदी जी के सोच से भी बाहर की बात है।
सुरेन्द्र शर्मा ने कहा बेहतर होगा आप इंदिरा गांधी से तुलना छोड़ देश को बताए अच्छे दिन कब औएँगे, 15 लाख सबके खातों में कब जमा होगा, दो करोड़ बेरोजगारों को नौकरी कब मिलेगी, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट कब लागू होगी, भ्रष्टाचार कब मिटेगा, महंगाई कब कम होगी, पेट्रोल कब सस्ते होंगे? जनता इसका जवाब चाहती है बिना कुछ किये इंदिरा जी से तुलना सम्भव नही है।

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