कुंतीबाई की खुली मोची की दुकान 2 घंटे में कमाये 100 रूपए कुन्तीबाई कहती है राशन की चिन्ता नहीं पर दुकान खुल जाने से नगदी की कमी होगी दूर

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रायपुर, नारायणपुर की कुन्तीबाई पति के निधन के बाद लगभग 21 वर्षों से मोची का काम करती आ रही है। कुन्तीबाई जूता-चप्पल बनाकर अपना गुजारा करती हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लॉकडाउन हो जाने से कुन्तीबाई अपने मोची की दुकान नहीं खोल पा रही थी। एक महीने बाद आज दुकान खोली तो कुन्तीबाई ने दो घण्टे में ही जूता-चप्पल मरम्मत कर 100 रूपए प्राप्त किया। कुन्तीबाई बताती है कि 22-23 साल पहले पति के निधन के बाद उसकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी, कम उम्र और दो बच्चों की परवरिश करना कठिन हो गया था। कुन्तीबाई ने पति के काम को ही अपने आजीविका का साधन बनाया और लगातार जूता-चप्पल मरम्मत करने का काम करते आ रही है। कुन्तीबाई ने बताया कोरोना वायरस के वजह से लॉकडाउन के कारण दुकान बंद हो जाने के कारण उन्हें नगदी की समस्या होने लगी थी। किन्तु राज्य शासन के निर्णय से दुकान खुल जाने पर अब नगदी की समस्या धीरे-धीरे दूर हो सकेगी। 
कुन्तीबाई ने बताया कि सरकार ने गरीबों के लिए दो माह का मुफ्त राशन दिया है। मुझे भी 70 किलो चावल मिला है। आने वाले मई के महीने में भी निःशुल्क चावल मिलेगा। इसके अलावा अलग से दाल, तेल, मसाले, गुड़, आलू-प्याज भी मिले है। अब केवल नगदी की ही जरूरत थी, दुकान खुल गई है, नगदी की समस्या भी दूर हो जाएगी। कुन्तीबाई कहती गई की उसके पति जूते-चप्पल की मरम्मत बहुत बारीकी से और जूतों की पालिश चमकदार करते थे। पता नहीं चलता था कि इनकी सिलाई हुई या मरम्मत। कुछ जूते भी बना लिया करते थे। जिसे वह हॉट-बाजार में बेच दिया करते थे। कुन्तीबाई कहती है कि जब कोई महिला पांव से चम्पल उतार कर सुधरवाने या पालिश करने के लिए देती है तो उसके पांव में लगे महावर देखकर पुरानी यादें आ जाती है। कुंतीबाई मास्क लगाकर अपनी मोची की दुकान में जूता-चप्पल बनाती है। सोशल डिस्टेसिंग का भी पालन करती है और दूसरों को भी एक दूसरे से एक मीटर दूर रहने और मास्क लगाकर दुकान में आने की बात कहती है।  

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