पी.एल. पुनिया ने राज्यसभा में उठाया एथेनॉल, बायो इंधन का मामला

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छत्तीसगढ़ राज्य में लम्बित प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय लेने एवं राष्ट्रीय जैव ईधन नीति 2018 के बिन्दु संख्या 5.3 में बदलाव करने के संबंध में राज्यसभा सदस्य और एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी.एल. पुनिया द्वारा विशेष उल्लेख 

नई दिल्ली। एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी.एल. पुनिया ने राज्यसभा में कहा महोदय, राष्ट्रीय जैव ईधन नीति, 2018 के अन्तर्गत वर्ष 2030 तक पैट्रोल में 20 प्रतिशत बायोथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में केवल 5 प्रतिशत ही एथेनॉल मिलाया जा रहा है। देश के सामने अगले 10 वर्षो में इस 15 प्रतिशत बायोथेनॉल का उत्पादन करना एक बड़ा लक्ष्य है। छत्तीसगढ़ राज्य में धान की अधिकता होने और बायोथेनॉल में अधिक संभावनायें होने के कारण राज्य ने धान से बायोथेनॉल के उत्पादन संयंत्रो की स्थापना की जा रही है।

धान से बायोथेनॉल के उत्पादन के लिये आवश्यक सहमति देने के लिये कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से अनुरोध किया गया है। इसी तरह धान आधारित बायोथेनॉल का विक्रय मूल्य गन्ना आधारित बायोथेनॉल के मूल्य के बराबर करने के लिये पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को भी अनुरोध किया गया है। राष्ट्रीय जैव ईधन नीति, 2018 में बिन्दु संख्या 5.3 के अनुसार अतिरिक्त खाद्यान्न से बायोथेनॉल के उत्पादन की सहमति कृषि मंत्रालय से प्रत्येक वर्ष ली जाएगी जो कि एक अव्यवहारिक नियम है। इसके कारण निजी-निवेशक छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में धान से बायोथेनॉल के उत्पादन संयंत्रों की स्थापना में इच्छुक नहीं है।

अतः आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बायोथेनॉल का विक्रय मूल्य गन्ना आधारित बायोथेनॉल के विक्रय मूल्य के बराबर करने एवं राष्ट्रीय जैव ईधन नीति, 2018 में बिन्दु संख्या 5.3 में अतिरिक्त खाद्यान्न से बायोथेनॉल के उत्पादन की सहमति प्रतिवर्ष लेने के नियम को बदला जाये।

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