चीन से आपूर्ति बंद होने के बाद भारत ने शुरू किया 1000 से ज्यादा वस्तुओं के लिए वैकल्पिक स्रोत ढूंढना: कोरोना वायरस

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नई दिल्ली

कोरोना वायरस की वजह से भारत के आयात पर बहुत बुरा असर पड़ा है। भारत के कुल आयात के 50 प्रतिशत से ज्यादा की सप्लाई तो अकेले चीन से होती है जो अब बाधित हो चुकी है। आलम यह है कि सरकार अब कपड़े, सूटकेस, ऐंटीबायॉटिक्स, विटमिंस, कीटनाशकों जैसे 1,050 आइटमों को दूसरे देशों से आयात की गुंजाइश ढूढ़ रही है।  चीन से आयात होने वाले सामानों की लिस्ट बहुत लंबी है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमैटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीनों, डायोड्स और सेमीकंडक्टर उपकरणों, ऑटो पार्ट्स और स्टील व ऐल्युमिनियम के आइटमों और मोबाइल फोन भी शामिल हैं।

चीन ने आपूर्ति बाधित होने के बाद सरकार ने दुनियाभर में भारतीय मिशनों को खत लिखा है कि वे संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करें। इसके लिए एक राउंड की विस्तृत बातचीत पहले ही हो चुकी है। सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कुछ संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान की गई है, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है।

उदाहरण के तौर पर ऐंटीबायॉटिक्स के लिए स्विटजरलैंड और इटली को संभावित आपूर्तिकर्ता के तौर पर चिह्नित किया गा है। दोनों देश चीन की तरह ही ऐंटीबायॉटिक्स के शीर्ष निर्यातकों में शामिल हैं।

इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन के आयात के लिए कुछ देशों से सकारात्मक जवाब मिले हैं। हालांकि, यह आसान नहीं है क्योंकि इस सेक्टर में चीन का पूरा दबदबा है।

इसके अलावा बड़ी मुश्किल यह भी है कि भारत की तरह ही तमाम दूसरे देश भी चीन से आपूर्ति बंद होने से प्रभावित हैं। वे देश भी वैकल्पिक स्रोत के लिए उन्हीं देशों के पीछे भाग रहे हैं, जिन पर भारत विचार कर रहा है।

सप्लाई चेन टूटने के बाद उपजे हालात पर विचार के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अगले हफ्ते विस्तृत सलाह-मशविरा करने वाले हैं। आयात के वैकल्पिक स्रोतों पर विचार के साथ-साथ स्थानीय प्रोडक्शन को बढ़ावा देने की संभावना भी तलाशी जा रही है।

फार्मा और केमिकल्स, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्लास्टिक के आयात के मामले में भारत बहुत हद तक चीन पर निर्भर है। इसलिए इनकी आपूर्ति सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है।

हालांकि, मौजूदा संकट निर्यात के मोर्चे पर भारत के लिए एक अवसर के जैसे है। गोयल जब सरकारी एजेंसियों और उद्योगों के प्रतिनिधियों ने चर्चा करेंगे तो उसमें 500 से 550 आइटमों के निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति पर भी बात होगी।

कपड़ों के धागे, कुछ खास ऑर्गेनिक केमिकल्स, जेम्स ऐंड जूलरी जैसे आइटम्स के भारतीय निर्यात पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इन आइटमों के चीन और हॉन्ग कॉन्ग बड़े खरीदार हैं। हालांकि, ट्रेड संगठनों ने कॉमर्स डिपार्टमेंट को बताया है कि निर्यात के लिहाज से चमड़े के उत्पादों, सिरैमिक और कृषि उत्पादों की मांग बढ़ी है।

सूत्रों ने बताया कि फार्मा इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स डरे हुए हैं कि क्लोराम्फेनिकोल, एरिथ्रोमाइसिन, अजिथ्रोमाइसिन, क्लरिथ्रोमाइसिन, एमोक्सिसिलिन जैसे ऐंटी-बायॉटिक्स, विटनमि ए, बी, सी और ई के अलावा प्रग्रेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स की कमी हो सकती है। इससे न सिर्फ दवाओं का घरेलू उत्पादन प्रभावित होगा बल्कि उनका निर्यात भी प्रभावित होगा।

वैसे थोड़ी राहत की सूरत भी नजर आ रही है। अनुमान है कि वुहान से 500 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी वाले इलाकों में प्रोडक्शन का काम मार्च में किसी भी वक्त बहाल हो सकता है। हालांकि, वुहान में अप्रैल के बाद ही हालात सामान्य होने की संभावना है। इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप्स फार्मा सेक्टर के लघु उद्योगों के लिए इन्सेंटिव चाहते हैं। इसके अलावा उनका सरकार को सुझाव है कि बंद हो चुके प्लांट्स को फिर से शुरू किया जाए।

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