उमर, महबूबा भी शांति के लिए खतरा, लगा PSA

0

श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर श‍िकंजा और कस गया है। गुरुवार को प्रशासन ने इन दोनों नेताओं पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगा दिया। पिछले साल अगस्‍त में जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही ये दोनों नेता नजरबंद चल रहे हैं। इनके साथ दो अन्य नेताओं पर भी पीएसए लगाया गया है। बता दें कि उमर के पिता तथा नैशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारूक अब्दुल्ला पहले से ही पीएसए के तहत बंद हैं।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को छह महीने ऐहतियातन हिरासत में लिए जाने की अवधि गुरुवार को समाप्त हो रही थी। ये सभी नेता पिछले वर्ष पांच अगस्त के बाद से ऐहतियातन हिरासत में रखे गए थे। अब इन पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगा दिया गया है। पुलिस के साथ पहुंचे मैजिस्ट्रेट ने महबूबा के आवास पर जाकर उन्‍हें इस आदेश के बारे में जानकारी दी। महबूबा इसी बंगले में नजरबंद हैं।

दो अन्य नेताओं पर भी लगा पीएसए
इसके अलावा जिन दो अन्य नेताओं पर पीएसए लगाया गया, उनमें नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के सीनियर नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के सरताज मदनी शामिल हैं। पूर्व विधायक बशीर अहमद वीरी पर भी पीएसए लगने की खबरें आ रही थीं, लेकिन बाद में उन्हें रिहा किए जाने की सूचना है। गौरतलब है कि उमर के पिता तथा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके फारूक अब्दुल्ला पहले से ही पीएसए के तहत बंद हैं।

मुफ्ती का ट्वीट- कब तक बनेंगे दर्शक!
इस बीच पीएसए लगने के बाद महबूबा मुफ्ती के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया गया है। ट्वीट में मुफ्ती पर पीएसए लगाए जाने की जानकारी देते हुए लिखा गया है, 'इस तानाशाही सरकार से राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए जैसा कठोर कानून लगाने की उम्मीद कर सकते हैं, जिसने 9 साल के बच्चे पर भी देशद्रोही टिप्पणी के लिए केस किया हो। देश के मूल्यों को अपमान किया जा रहा है, ऐसे में हम कब तक दर्शक बने रहेंगे।' बता दें कि महबूबा का ट्विटर अकाउंट उनकी बेटी संभालती हैं।

क्या है जन सुरक्षा अधिनियम?
जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) उन लोगों पर लगाया जा सकता है, जिन्हें सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो। 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था। 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार चाहे तो इस अवधि को बढ़ाकर दो साल तक भी किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *