भाजपा के चाल चरित्र और चेहरे पर फिर लगा सवालिया निशान, अपने ही बयानों से पलट रही सरोज पाण्डेय को जेसीसी ‘जे’ प्रवक्ता नितिन भंसाली की सलाह

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जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर ,जे सी सी जे प्रवक्ता नितिन भंसाली ने एक बयान जारी करते हुए कहा की भाजपा अपने ही चाल चरित्र और चेहरों की वजह से हमेशा ही मुह की खानी पड़ती है  पिछले दिनों भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री सरोज पाण्डेय की बाते भी दीपावली के पटाखों की तरह फुस्स निकली . अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होंने जिस अंदाज पर केरल में हो रही भाजपा नेताओ की हत्या के विरोध में दबंगई  लहजे में उतारू नजर आई और एक विवादित बयान जारी  किया था जिसमे उन्होंने कहा था कि यदि अब कार्यकर्ताओ पर हमले हुए तो हम आँखे निकाल लेंगे . जिस पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रवक्ता नितिन भंसाली ने सोशल मिडिया पर ही भाजपा नेत्री की बातो की बखिया उधेड़ते हुए कहा था कि भाजपा नेत्री आँख निकालने में इतनी ही सक्षम हैं तो उनको सीमा पर हमले कर रहे पाकिस्तान के आतंकियों की आँखें निकालनी चाहिए. जिस पर 

उडती हुई खबरे भाजपा नेत्री के कानो पर पड़ी जिससे उनकी जगह जगह किरकिरी होती नजर आ रही है . हमेशा की तरह अपने बयानों से पलटना भाजपा का चलन रहा है . कभी वह जुमलो का शक्ल लेता है तो कभी चुनावी मुद्दों को गरमाने के लिए बयानबाजी की शक्ल . श्री भंसाली ने सवाल दागते हुए कहा कि जब भाजपा नेत्री सरोज पाण्डेय अपने क्षेत्र में इतनी ही ताकतवर है तो फिर छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटो में सिर्फ एक ही सीट में ही भाजपा क्यों हारी ? इस सवाल का जबाब भी भाजपा नेत्री सरोज पाण्डेय की ही सीट पर मिल जाता है . कैसे उन्हें जनता ने नकारा था . और उन्हें अपने बडबोलेपन की कीमत अपनी सीट को गवांकर देना पड़ा था . 

श्री भंसाली ने पुन: भाजपा नेत्री सरोज पाण्डेय से एक सवाल के माध्यम से जानना चाहा क्या यह भारतीय जनता पार्टी की आपसी गुटबाजी का नतीजा तो नहीं था ? वही श्री भंसाली ने कहा की चुनाव के हार का विशलेषण  कराने के लिए बाहर से केन्द्रीय नेताओ को बुला कर इस की समीक्षा क्यू कराई गई  और उसकी विशलेषण रिपोर्ट भी सार्वजनिक क्यू आज दिनाक तक नहीं की गई वही यह बात भी जग जाहिर है की भाजपा नेत्री का मुकाबला भाजपा के प्रदेश के ही किस कद्दावर नेता से है इसके पीछे के भी समीकरणों को देखना होगा .तब ही कुछ नया देखने को प्रदेश की जनता को मिलेगा 

यदि इसी प्रकार की बयानबाजी में चुनाव जीते जाते तो फिर इतनी बड़ी खीझ निकलने की या अपने ही बयान से मुहावरे का बहाना बनाकर पलटने की जरुरत नही पड़ती . लेकिन बडबोलेपन में भाजपा अर्थ का अनर्थ करने पर अपने ही नेताओ को रोक पाने में अक्षम है . भाजपा के बड़े बड़े नेता इसी तरह की बयानबाजी कर आज जनता की नजर में काफी हलके और उपहास की नजरो से देखे जाते है . क्या  मुहावरे पर भाजपा चल रही है ? श्री भंसाली ने कहा कि जब नेताओ के कद बड़े लेबल के हो तो उन्हें सोच विचारकर ही बयान देना चाहिए . ताकि भविष्य में फिर कभी अपने बयानों पर सफाई पेश करने जरूरत न आन पड़े .  

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