पवन वर्मा की खुली चिट्ठी को लेकर जेडीयू में मच गया बवाल

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नई दिल्ली/पटना
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर जेडीयू नेता पवन वर्मा की खुली चिट्ठी को लेकर जेडीयू में बवाल मच गया है। पवन वर्मा की चिट्ठी पर कड़ा संदेश देते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वह चाहें तो किसी भी पार्टी में जा सकते हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर ऐसी बयानबाजी ठीक नहीं है। दरअसल नीतीश कुमार के पहले एनआरसी लागू न करने के ऐलान और फिर संसद में सीएए का समर्थन करने की अपनी राजनीतिक वजहें और पवन वर्मा की अपनी राजनीति है।

अगले 5 साल की राजनीति पर नीतीश का फोकसदरअसल नीतीश कुमार राजनीति के हमेशा से मंझे हुए खिलाड़ी रहे हैं और उन्हें सत्ता में बने रहना बखूबी आता है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक आरजेडी से रातोंरात अलग होकर एक बार फिर बीजेपी संग सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार को यह मालूम है कि वह यदि फिर पाला बदलते हैं, तब भी उन्हें मुस्लिम समाज का पहले जैसा समर्थन नहीं मिल सकता। ऐसे में वह बीजेपी संग चुनाव लड़ने में ही भलाई समझ रहे हैं। शायद यही वजह है कि संसद में उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन किया।

बीजेपी दे रही भाव तो आरजेडी संग क्यों जाएंगे नीतीश
इसके अलावा बीजेपी खुद कई राज्यों में सहयोगियों से अनबन के चलते सत्ता गंवा चुकी है। ऐसे में वह बिहार में नीतीश कुमार को ही चेहरा बनाकर चुनाव लड़ने के पक्ष में है। इसलिए नीतीश कुमार भी यही चाहते हैं कि बीजेपी के पक्ष में रहा जाए। एक तरफ उनके सामने आरजेडी के साथ जाकर फिर से विश्वसनीयता बनाने की चुनौती होगी और दूसरी तरफ बीजेपी उन्हें खुद आगे रखने के पक्ष में है। ऐसे में उनके लिए शायद बीजेपी के साथ रहना ही बेहतर विकल्प लगता है।

राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने क्यों लिखी चिट्ठी
जेडीयू कोटे से राज्यसभा सांसद पवन वर्मा का कार्यकाल इसी साल मार्च में खत्म हो रहा है। कहा जा रहा है कि पार्टी से उन्हें स्पष्ट संकेत मिले हैं कि उनको अगला कार्यकाल नहीं दिया जा सकता। ऐसे में उन्होंने अपनी आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। दरअसल पवन वर्मा नीतीश कुमार को दी गई, जिस सलाह की बात कर रहे हैं, वह 2012 की बात है। नीतीश कुमार खुद 2017 में आरजेडी से अलग होकर बीजेपी से जुड़े हैं तो फिर उस पुरानी सलाह का क्या महत्व है। ऐसे में स्पष्ट है कि पवन वर्मा अपनी आगामी राजनीतिक संभावनाओं के लिहाज से बात कर रहे हैं।

पवन के बहाने प्रशांत किशोर को भी मिला संदेश!
जेडीयू के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक चुनावी रणनीतिकार प्रशांक किशोर भी पवन वर्मा के ही करीबी हैं। किशोर और पवन वर्मा का एनआरसी और सीएए को लेकर स्टैंड भी साफ दिखा है। इसलिए पवन वर्मा के रवैये पर नीतीश कुमार के कड़े बयान का संदेश जितना वर्मा के लिए है, उतना ही प्रशांत किशोर और अन्य ऐसे नेताओं के लिए भी है।

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