जीएसटीः रिटर्न फाइल करने में आती है परेशानी, तो यह उपाय होगा कारगर

0

नई दिल्ली
वस्तु और सेवा कर (गुड्स एंड सर्विस टैक्स या जीएसटी) की प्रणाली की शुरुआत हमारे देश में विकास की रफ्तार को तेज करने और उत्पादकों पर टैक्स देने का बोझ कम करने के लिए की गई थी। हालांकि इस सिस्टम ने रिटर्न भरने की प्रणाली को आसान बनाने की कोशिश की है, लोकिन अब भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) को जीएसटी के तहत टैक्स रिटर्न फाइल करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अब जीएसटी प्रणाली में कुछ बदलाव किए गए हैं। इस सिस्टम में छोटे कारोबारियों को राहत दिलाने के लिए छूट की सीमा को बढ़ाया गया है। इस प्रणाली ने लघु करदाताओं का वर्गीकरण कर दिया है। इसके एक वर्ग में सालाना 5 करोड़ के टर्नओवर वाले कारोबारियों को रखा गया है, जबकि दूसरे वर्ग में 5 करोड़ से ज्यादा के औसत टर्नओवर वाले ज्यादा टैक्स देने वाले कारोबारी हैं।

जीएसटी कानून में किए गए बदलाव के अनुसार कम टैक्स अदा करने वाले करदाताओं के वर्ग आने वाले सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को तीन महीने में एक बार रिटर्न फाइल करने की इजाजत दी गई है,जबकि बड़े करदाताओं के लिए हर महीने रिटर्न भरना आवश्यक बनाया गया है।

एचएसएन या “हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नॉमेनक्लेचर” वस्तुओं और सेवाओं के वर्गीकरण का एक अंतरराष्ट्रीय तरीका है। मासिक रूप से जीएसटीआर 3 बी फाइल करने के लिए सप्लाई की जाने वाली वस्तुओं के इंटरनेशनल कोड का विस्तृत विवरण भरने की आवश्यकता नहीं है। एचएसएन कोड का पता लगाते हुए महीने में या हर तीन महीने में जीएसटी फाइल करने में काफी समय और मेहनत लगती है। बिक्री की हर वस्तु का एचएसएन कोड पता लगाना काफी मुश्किल काम है। हालांकि अगर दीर्घकालीन अवधि में देखें तो जीएसटी प्रणाली के साथ सिस्टम को एकीकृत न करने से इंडस्ट्री पर कई प्रभाव पड़ सकते हैं।

जीएसटी कानून हर अपराध और उससे जुड़े हुए हर दंड की स्पष्ट रूप से व्याख्या करता है। उदाहरण के लिए कानून के तहत जरूरी होते हुए भी अगर अपने कारोबार का किसी कारोबारी ने जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं किया है तो यह एक अपराध है। देश में जीएसटी की लोकप्रियता फैलने में अड़चन डालने वाले कई अन्य अपराध और दंड के प्रावधान इसमें शामिल हैं।

जैसे यदि किसी अपराध के लिए दंड के प्रावधान की स्पष्ट रुप से या खासतौर पर जीएसटी कानून में व्याख्या नहीं की गई हो तो जीएसटी के उन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 25,000 रुपये से ज्यादा का दंड भरना होगा। जीएसटी विधेयक के अनुसार वस्तु और सेवा कर के नियमों का उल्लंघन करने के कुछ विशेष मामलों में कोई अधिकृत सीजीएसटी या एसजीएसटी अधिकारी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।

जीएसटी के तहत आंकड़ों का मिलान करना और किसी अवधि के दौरान लेन-देन की रिकॉर्डिंग काफी जटिल प्रक्रिया है। हालांकि इससे पहले की वैट और एक्साइज टैक्स प्रणाली में इसे काफी आसानी से किया जा सकता था। जीएसटी में सामान के सप्लायर के आंकड़ों का मिलान उसे प्राप्त करने वाले लोगों से किया जाता है।

यह प्रक्रिया काफी जटिल है क्योंकि इसमें खरीदने वाले की ओर से रेकॉर्ड किया बिल नंबर 2 ए के तहत प्राप्त होने वाले विक्रेता के बिल नंबर से मेल नहीं खाता क्योंकि हो सकता है कि दोनों पक्षों का इनवॉयस, के नंबर रखने का तरीका अलग-अलग हो। हालांकि जमीनी हकीकत में इनवॉयस नंबर मैच करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

जब जीएसटी को लागू किया गया था, तब यह कहा गया था कि 90 फीसदी रिफंड 7 दिन में मिल जाएंगे। लेकिन दीर्घकालीन अवधि में यह नहीं हो पाया। हाल ही में कई जाली रसीदों और फर्जी तरीके से टैक्स बचाने के मामले सामने आए हैं। इससे जांच प्रक्रिया में और देर लग सकती है। इससे रिफंड मिलने में और भी देरी हो सकती है।  इसके नतीजे के तौर पर इस प्रणाली में मानवीय दखल की संभावना बढ़ जाती है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है।

हर समस्या का समाधान होता है। इसी तरह बिना किसी परेशानी के जीएसटी रिटर्न फाइल करने के भी कई समाधान उपलब्ध हैं। बाजार में कई अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जो जीएसटी रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को परेशानी मुक्त बनाते हैं। इसमें से खासतौर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों के लिए ज्यादातर सॉफ्टवेयर सस्ते, किफायती और आसानी से मेंटेन किए जा सकते हैं।

इन अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मार्केट में अच्छी-खासी डिमांड है। इस तरह के सॉफ्टवेयर कई देशों में कारोबार को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। इन सॉफ्टवेयर को आंकड़ों की गणना के लिहाज से बेहतरीन ढंग से डिजाइन किया गया है। इन सॉफ्टवेयर की मदद से जीएसटी फाइल करते हुए किसी भी स्टेप पर गलती तुरंत पकड़ी जाती है। इससे यह पूरी प्रणाली पूरी तरह से सही, सटीक और तेज बन जाती है।

हालांकि जीएसटी फाइलिंग सिस्टम में अभी कुछ अड़चनें या चुनैतियां समाने आ रही हैं। लेकिन इसके समाधान भी मौजूद है। समय बीतने के साथ मौजूदा समाधानों से जीएसटी के तहत टैक्स रिटर्न फाइल करने में कोई परेशानी नहीं रहेगी।

जीएसटी संबंधी विधेयक पर फिर विचार करने की जरूरत है क्योंकि मौजूदा कानून में कई खामियां हैं। जीएसटी कानून में संशोधन से जहां टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा, वहीं दीर्घ अवधि में इससे देश की अर्थव्यवस्था भी फलेगी-फूलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *