रीढ़ की हड्डी की चोट से जूझ रहे पेशंट्स को असिस्ट करेगा रोबोटिक डिवाइस

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एक भारतीय वैज्ञानिक द्वारा लीड की गई कोलंबिया के इंजीनियर्स की टीम ने ऐसी रोबोटिक डिवाइस बनाई है, जो रीढ़ की हड्डी की चोट से जूझ रहे पेशंट्स को असिस्ट और ट्रेंन करने का काम करेगी। यह पेशंट्स को अपनी बॉडी पर पूरा नियंत्रण रखने, सही पोश्चर में बैठने और बिना हाथों का सहारा लिए अपनी बॉडी का बैलंस बनाने में उन्हें मदद करेगी। अगर स्पाइनल कोड की चोट से जूझ रहे लोगों को वक्त पर यह सपॉर्ट मिल सकेगा तो वे अपने चलने-फिरने की आजादी को बनाए रख सकेंगे और उन्हें किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग ऐंड रिहैबिलिटेशन ऐंड रिजेनेरेटिव मेडिसिन में प्रोफेसर, सुनील अग्रवाल का कहना है कि हमने SCI वाले लोगों के लिए ट्रंक-सपॉर्ट ट्रेनर (TruST) डिज़ाइन किया है, यह खासतौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो आमतौर पर व्हीलचेयर का उपयोग करते हैं। टेस्टिंग के दौरान हमने पाया कि TruST न केवल रोगियों को गिरने से रोकता है, बल्कि मरीजों के पोस्टुरल कंट्रोल या बैलेंस लिमिट से परे ट्रंक मूवमेंट्स को भी अधिक से अधिक बढ़ाता है।

यह स्टडी जर्नल, स्पाइनल कॉर्ड सीरीज ऐंड केसेस में प्रकाशित की गई। ट्रंक-सपॉर्ट ट्रेनर (TruST) एक ऐसी रोबोटिक डिवाइस है, जो ऐक्टिव ट्रंक्स के मूवमेंट बढ़ाने में मदद करने के साथ ही रीढ़ की हड्डी के रोगियों के बैठने की जगह को भी मापता है।

रोबोट ट्रंक एक मोटराइज्ड-केबल से चलनेवाली बेल्ट है, जिसे उपयोगकर्ता के शरीर पर बांधा जाता है ताकि रीढ़ की हड्डी की चोट वाले लोगों में पोस्टुरल कंट्रोल लिमिट और बैठने के स्पेस का निर्धारण करती है। जब उपयोगकर्ता बैठते हैं तो यह पोस्टुरल स्टेबिलिटी लिमिट के साथ ही उनके ऊपरी हिस्से का बैलंस बनाने में भी मदद करता है। परीक्षण के दौरान इसे 8 अलग-अलग डायरेक्शंस के साथ परखा गया। इसकी मदद से बैठने के दौरान पेशंट अपना सिटिंग स्पेस 25 प्रतिशत तक बढ़ा कर सकते हैं।

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