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बेघरों के लिए खरीद डाली 1 करोड़ की जमीन - Jogi Express

बेघरों के लिए खरीद डाली 1 करोड़ की जमीन

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तिरुवनंतपुरम
'यह पैसा होने की बात नहीं है, यह बात है कि हम पैसे को कैसे खर्च करते हैं। अगर आपका पैसा ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जिन्हें इनकी जरूरत है तभी आपकी संपत्तियों का कोई मतलब है।' 51 साल के के. अब्दुल्ला के लिए यह सिर्फ बातें नहीं हैं बल्कि उन्होंने अपने जीवन में जरूरतमंद लोगों के मददगार बनकर इसे सार्थक भी किया है। अब्दुल्ला ने तमाम गरीब जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए काम किया है।

अब्दुल्ला तमिलनाडु के एक हिंदू परिवार में जन्मे थे और उनके माता-पिता ने उनका नाम सुब्रमणि रखा था। बाद में साल 2001 में उन्होंने इस्लाम से प्रभावित होकर धर्म परिवर्तन कर लिया और अपना नाम अब्दुल्ला रख लिया। अब्दुल्ला के परिवार में उनकी एक बेटी और एक बेटा हैं। फिलहाल, अब्दुल्ला केरल सरकार की बेघरों को घर देने की योजना में अहम योगदान देने के लिए चर्चा में हैं।

सरकारी योजना के लिए खरीदी जमीन
अब्दुल्ला ने केरल के कोल्लम जिले के कोडक्कल में एक करोड़ रुपये की कीमत वाली एक एकड़ जमीन खरीदी है, जिस पर 87 बेघर परिवारों के लिए घर की व्यवस्था की जाएगी। ये घर प्रदेश सरकार की योजना लाइफ (लिवलीहुड इन्क्लूजन ऐंड फाइनेंसियल एंपॉवरमेंट) के तहत बनाए जाएंगे। अब्दुल्ला अगले हफ्ते सीएम पिनराई विजयन को इस जमीन के कागज हैंडओवर करेंगे।

स्नैक्स की दुकान पर काम करते थे अब्दुल्ला
बताया जा रहा है कि 35 साल पहले कोडक्कल में ही अब्दुल्ला ने अपनी आजीविका की शुरुआत की थी। वह अपने पैतृक गांव तमिलनाडु के तेनकासी जिले के पुलियाकुंडी से यहां आए थे और स्नैक्स की एक दुकान पर काम करते थे। बाद में उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से होलसेल ग्रोसरी स्टोर की एक श्रृंखला शुरू की। यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई। जिस समाज ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया, अब्दुल्ला अब उसके लिए कुछ करना चाहते हैं।

महंगी जमीन की वजह से नहीं हो पा रहा था सौदा
अब्दुल्ला के लिए यह मौका तब आया जब कोडक्कल पंचायत राज्य सरकार की लाइफ योजना के लिए जमीन तलाश रही थी। पंचायत प्रमुख बीजू ने बताया कि ग्राम पंचायत में कुल 127 लोग बेघर हैं। इनमें से 87 लोगों को मिशन लाइफ योजना के तहत घर दिया जाना है लेकिन पंचायत को महंगी होने के नाते जमीन के सौदे में काफी मुश्किल हो रही थी। ऐसे समय में अब्दुल्ला ने मदद की पेशकश की। उन्होंने आगे कहा कि जब बात चैरिटी की आती है तब अब्दुल्ला हमेशा आगे रहते हैं।

वहीं, इस पर अब्दुल्ला ने कहा, 'जब मैं दूसरों पर पैसे खर्च करता हूं तो मैं यह नहीं सोचता कि मैं कुछ खो रहा हूं। मैं वास्तव में अपने आपको रिच महसूस करता हूं।' क्लास वन ड्रॉपआउट अब्दुल्ला बताते हैं कि उनके जीवन की परिस्थितियां ऐसी नहीं थी कि वह पढ़ाई कर सकें इसलिए उन्हें बहुत कम उम्र से ही काम करना शुरू कर देना पड़ा। वह कहते हैं कि कोई भी आदमी हर किसी की मदद नहीं कर सकता लेकिन वह कुछ लोगों की मदद करके उनकी तकलीफें जरूर कम कर सकता है। अब्दुल्ला के चैरिटी के कामों में उनका परिवार उन्हें काफी सपॉर्ट करता है।

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