अजित पवार को डेप्युटी सीएम पद है इशारा, शरद पवार के लिए उन्हें किनारे लगाना नहीं आसान

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मुंबई
एनसीपी नेता अजित पवार एक महीने में दूसरी बार डेप्युटी सीएम के पद पर बैठे हैं। इस बार उद्धव ठाकरे की सरकार में उन्होंने यह पद संभाला है। उनकी वापसी से एक बात यह साबित हो गई है कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार अपने भतीजे को किनारे नहीं लगा सकते, जिनके साथ कई विधायक जुड़े हैं। बता दें कि 28 नवंबर को जब उद्धव को मुख्यमंत्री बनाया गया तो माना जा रहा था कि अजित को डेप्युटी सीएम बनाया जाएगा, लेकिन उस वक्त शरद पवार ने यह कहा कि अजित को जानबूझकर सत्ता से दूर रखा गया है।

दरअसल, इससे पहले अजित ने सबको चौंकाते हुए देवेंद्र फडणवीस सरकार को समर्थन दे दिया था। हालांकि, बाद में वह इस्तीफा देकर वापस आ गए थे। एक सीनियर एनसीपी नेता ने कहा है, 'इस बात में कोई शक नहीं है कि अजित पवार की सत्ता पलट की कोशिश नाकाम हो गई लेकिन इससे यह साफ हो गया कि एनसीपी में उनका कितना दबदबा है। इसमें शक नहीं है कि एनसीपी के विधायक शरद पवार के वफादार हैं।'

सीनियर एनसीपी और सेना के नेताओं को लगता है कि अजित पवार पहले भी डेप्युटी सीएम रह चुके हैं। इसलिए उनका प्रशासनिक कौशल सीएम उद्धव ठाकरे के काम आएगा। एक एनसीपी नेता के मुताबिक अजित के वापस आने के बाद उन्हें लेकर दो विचार हैं। पहला यह कि बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए उन्हें कुछ इंतजार कराना चाहिए।

दूसरा विचार यह है कि उनके पार्टी में दबदबे को देखते हुए उन्हें माफ कर देना चाहिए। इस नेता ने बताया कि पहले विस्तार के दौरान यह फैसला किया गया कि उन्हें डेप्युटी सीएम बनाया जाए वरना एनसीपी को भारी कीमत चुकानी होगी।

बता दें कि सोमवार को हुए ठाकरे सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में सबसे पहले एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ लेकर अजित सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बगलवाली कुर्सी पर जाकर बैठ गए। पवार चौथी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं। पवार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि एक-दो दिन में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया जाएगा।

नियमों के मुताबिक, 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर 43 मंत्री (असेंबली स्ट्रेंथ का 15 फीसदी) हो सकते हैं। सोमवार को शपथ लेने वाले 36 मंत्री और पहले शपथ ले चुके 6 मंत्रियों को मिलाकर सरकार में 43 मंत्रियों का कोटा हाउसफुल हो चुका है। आघाड़ी सरकार में एनसीपी के 16, शिवसेना के पास मुख्यमंत्री सहित 15 मंत्री पद हैं।

वहीं कांग्रेस को 12 मंत्री पद मिले हैं। शिवसेना को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों बच्चू कडु, राजेंद्र पाटील (वड्रावरकर) और शंकरराव गडाख को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। हालांकि सरकार को समर्थन दे रहे छोटे दलों के किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। एक भी मंत्री पद खाली नहीं रखा गया है।

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