छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की खुशबू लोगों को खींच ला रही स्टालों तक

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रायपुर
आदिवासी गीत संगीत और नृत्य के समागम के साथ साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव कार्यक्रम पूरे सबाब पर है। देश-विदेश से पहुंचे आदिवासी कलाकारों के नृत्य और संस्कृति को देखने लोगों की भीड़ निरन्तर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच रही है। एक तरफ लोगों को जहाँ विविध लोक नृत्यों को देखने का सुनहरा अवसर राज्य में पहली बार मिल रहा है वही यहां स्टालों के माध्यम से लगी छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की स्टालों में खाने का स्वाद भी मिल रहा है।

लोगों की भीड़ इन स्टालों में सुबह से शाम तक दिखाई देती है। लगभग 11 से 12 स्टाल है जो स्व सहायता समूहों की महिलाओं के अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित की जा रही हैं। इन स्टालों में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजन चौसेला,पपची, आइरसा,चीला, फरा, गुझियां, खाजा, ठेठरी,खुरमी, छिटहा लड्डू,करी लड्डू, जोरन, भजिया सहित अन्य व्यंजन उपलब्ध है। बहुत ही कम दर पर छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद सभी को भा रहा है। रायपुर के आशीष वर्मा और उनकी पत्नी सीमा वर्मा को आदिवासी महोत्सव का आयोजन बहुत बढ़िया लगा। सीमा वर्मा का कहना है कि अपने प्रदेश में पहली बार इस तरह का आयोजन होना गौरव की बात है। अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों की प्रस्तुति शानदार रही। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद उठातें हुए वर्मा दंपति ने बताया कि अपने राज्य के व्यंजनों का स्वाद न सिर्फ लजीज है सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

कार्यक्रम स्थल पर इन व्यंजनों का स्टाल हर किसी को यहाँ आकर खाने के लिए मजबूर करता है। कॉलेज छात्रा मंजूषा और आदिति शर्मा ने आदिवासी महोत्सव की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब तक वे टेलीविजन या फिल्मों में ही उनकी नृत्य को देख पाई थी आज बहुत ही करीब से कलाकारों को मंच पर नृत्य करते देखने के साथ उनकी संस्कृति को जानने समझने का अवसर मिला। मंजूषा ने बताया कि कार्यक्रम स्थल में अलग -अलग विभागों की प्रदर्शनी भी देखने लायक है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्टाल भी है जहां अलग-अलग खाने के पकवान है जो बहुत स्वादिष्ट है।

आदिति ने बताया कि छत्तीसगढ़ी व्यंजन तुरंत और ताजा मिलना भी इन पकवानों के स्वाद को बढ़ाता है ऐसे में भला छत्तीसगढ़ी व्यंजन कौन खाना नही चाहेगा। इधर स्व सहायता समूह की महिलाओं ने भी बताया कि आदिवासी महोत्सव को देखने आने वाले अधिकांश लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजन का स्वाद लेने उनके स्टाल तक पहुंच रहे हैं। गायत्री चंद्राकर छत्तीसगढ़ कलेवा सेंटर की संचालिका ने बताया कि उनके स्टाल में चीला, फरा,चौसेला, सहित अन्य व्यंजन है। पहले ही दिन लगभग 35 हजार रुपए तक का व्यंजन का व्यवसाय किया है। इसी तरह गढ़ कलेवा, बिहान, सहित अन्य स्व सहायता समूह की महिलाओं ने भी यहाँ छत्तीसगढ़ी व्यंजन बेचकर अच्छा खासा व्यवसाय कर रुपए अर्जित किया है। आदिवासी नृत्य में आए कलाकारों को भी छत्तीसगढ़ का व्यंजन स्वादिष्ट लग रहा है। आंध्रप्रदेश की टी कीर्ति ने बताया कि गरम गरम चीला और अन्य व्यंजन का स्वाद बढ़िया है।

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