मां ने चूड़ियां बेचकर दिलाई शिक्षा, एएमयू की छात्रा बनी जज

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 अलीगढ़ 
कोई दूसरा आपको अपनी मंजिल पाने का मार्ग जरूर दिखा सकता है, लेकिन उस मंजिल को पाने के लिए परिश्रम आपको खुद करना पड़ता है। यह एएमयू से एलएलबी की पढ़ाई करने वाली छात्रा अकमल ने सिद्ध कर दिखाया है।

हरिद्वार निवासी अकमल ने पिता की मृत्यु के बाद परिवार के समक्ष एएमयू में पढ़ने की इच्छा जतायी तो परिवार ने समाज के माहौल को देखते हुए शहर से बाहर पढ़ाई कराने में हाथ खड़े कर दिये। लेकिन बेटी अकमल नहीं मानी और उसकी जिद के सामने परिजनों को झुकना पड़ा। मां ने बेटी के उज्ज्वल भविष्य के खातिर चूडि़यों की दुकान खोलकर बेचना शुरू किया और एलएलबी की पढ़ाई के लिए एएमयू में दाखिला दिलाया। उसका परिणाम रहा कि आज अकमल ने जज बनकर पूरे परिवार का नाम रोशन किया।

हरिद्वार के घिस्सुपुरा गांव की निवासी और एएमयू से एलएलबी और एलएलएम की पढ़ाई करने वाली अकमल ने बताया कि उनकी शुरुआत से ही जज बनने की इच्छा थी। वर्ष 2007 में पिता का देहांत हुआ तो घर का सारा बोझ मां हाशमी बेगम के कंधों पर आ गया। मां ने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करके बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। हरिद्वार के एक इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद एएमयू से पहले बीए एलएलबी और एलएलएम की पढ़ाई की। साथ ही जज बनने की तैयारी भी शुरू कर दी।

अकमल ने बताया कि शुरुआत में परिवार उन्हें पढ़ाई के लिए अलीगढ़ भेजने के लिए तैयार नहीं था। इसकी वजह माहौल ठीक न होने का हवाला दिया जाता था। लेकिन जब परिवार के सामने जिद की तो परिवार ने एएमयू पढ़ाई के लिए भेजा और नतीजा आज सभी के सामने है। 

मुस्लिम बहनें घरों से निकले और दुनिया को देखें : अकमल 
जज बनने के बाद अकमल ने मुस्लिम बहनों को संदेश दिया कि वह घरों में न रहें। घरों से बाहर निकलें और दुनिया को देखें। उन्होंने कहा कि लक्ष्य तय करके पढ़ाई करेंगी तो मंजिद जरूर कदम चूमेंगी। 

दो बड़े भाई चलाते हैं ऑटो
अकमल के दो बड़े भाई है। दोनों भाई साजिद व राशिद ऑटों चलाते है। जबकि छोटा भाई हसनैन एएमयू से बीए एलएलबी की पढ़ाई कर रहा है।

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