September 22, 2024

अब केरल सरकार ने भी रोका एनपीआर का काम

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तिरुवनंतपुरम
पश्चिम बंगाल के बाद केरल सरकार ने भी राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) से जुड़े सभी काम रोकने के आदेश दिए हैं। यह आदेश लोगों के बीच पैदा इस आशंका के मद्देनजर लिया गया कि विवादित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए)के बाद एनपीआर के जरिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ)की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के कार्यालय ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि एनपीआर संवैधानिक मूल्यों से दूर करता है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। राज्य की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से यह फैसला राज्य के विभिन्न हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बीच किया गया है। इससे पहले पश्चिम बंगाल ने भी सीएए के खिलाफ बढ़े गुस्से के बीच एनपीआर को तैयार और अद्यतन करने संबंधी सभी गतिविधियों को रोक दिया था।

क्या है एनपीआर का उद्देश्य?
केरल के प्रधान सचिव (आम प्रशासन) द्वारा जारी आदेश के अनुसार, संशोधित नागरिकता कानून के बीच आम लोगों में एनपीआर संबंधित गतिविधियों के बाद एनआरसी लागू होने की आशंका थी। इसी के चलते एनपीआर का काम रोका गया है। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट के मुताबिक, एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायॉमीट्रिक जानकारी भी होगी। उल्लेखनीय है कि सीएम पिनाराई विजयन ने सीएए की आलोचना करते हुए इसे लोगों की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश करार दिया था और वह सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी यूडीएफ के संयुक्त प्रदर्शन में शामिल हुए थे।

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