निपाह वायरस के मरीजों का इलाज करते करते जान कुर्बान करने वाली नर्स को दिया गया फ्लोरेंस नाइटेंगल अवॉर्ड

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 नई दिल्ली 
वर्ष 2018 में केरल में फैले घातक निपाह वायरस से पीड़ित मरीजों का इलाज करते करते अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाली नर्स लिनी पुथुस्सेरी को मरणोपरांत नेशनल फ्लोरेंस नाइटेंगल अवॉर्ड 2019 से सम्मानित किया गया है। ईएमएस मेमोरियल कोऑपरेटिव अस्पताल में निपाह वायरस से ग्रसित मरीजों के इलाज के दौरान 30 वर्षीय नर्स लिनी पुथुस्सेरी भी निपाह वायरस का शिकार बन गई थीं। तब उनका दाह संस्कार भी आनन-फानन में कर दिया गया था ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके, और इसी कारण वह अपने परिवार को देख भी नहीं पाई थीं। परिवार की सहमति से मृत्यु के तुरंत बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। 

भारत सरकार ने वर्ष 1973 में नर्सों द्वारा की जाने वाली मानव सेवा और सरानीय कार्य को ध्यान में रखते हुए नेशनल फ्लोरेंस नाइटिंगल अवॉर्ड की शुरुआत की थी। लिनी पुथुस्सेरी के पति संजीव पुथुस्सेरी ने गुरुवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंग से यह पुरस्कार प्राप्त किया। 

निपाह से मरने वालों का अपनों ने नहीं किया अंतिम संस्कार
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के मुताबिक, इस वायरस का इलाज करने के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संस्था का कहना है कि इस वायरस से पीड़ित लोगों का मुख्य उपचार 'इन्टेंसिव सपोर्टिव केयर' ही है। इस वायरस के केस में मृत्य दर 70 प्रतिशत है। इसके लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, बुखार, मस्तिष्क में जलन, सिरदर्द, चक्कर आना, गफलत तथा सन्निपात शामिल हैं। निपाह वायरस, या एनआईवी संक्रमण आमतौर पर चमगादड़ों से फैलता है।

राष्ट्रपति कोविंद ने इस मौके पर सराहनीय कार्य के लिए सभी अवॉर्ड विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच नर्सें मरीजों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाती हैं। वह मरीजों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें पूरी करती हैं। 

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