छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरोध, अंबिकापुर में एथेनिक टूरिज्म:अब लीजिये आनंन्द आदिवासियों के बीच रहने का, टूरिज्म विलेज से मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा

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जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरोध और अंबिकापुर में एथेनिक टूरिज्म विलेज बनाए जा रहे हैं। प्रोजेक्ट को कुछ इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि यदि आप वहां रुकेंगे तो लगेगा कि आदिवासियों के बीच हैं। वहां जनजातियों के घर के समान ही घरों का निर्माण किया जा रहा है।इसके साथ ही वहां ऐसे स्पॉट बनाए जाएंगे, जहां पर आदिवासियों की संस्कृति और रहन-सहन के संबं में आपको जानकारी भी मिल जाएगी। पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य के साथ आदिवासी संस्कृति की भी झलक देखने को मिलेगी। ट्राइबल थीम पर बन रहा यह प्रोजेक्ट अपनी तरह का एक अनूठा काम है।100 करोड़ की लागत से बन रहा यह अगले चरण में बिलासपुर, कबीराम, मा, कांकेर, कोण्डागांव, जगदलपुर को भी शामिल किया जाएगा। पर्यटन मंडल दिसंबर 2018 तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाने का अनुमान लगा रहा है।पर्यटन क्षेत्रों में पर्याप्त रुकने और खाने की व्यवस्था न होने के कारण पर्यटक चाह कर भी वहां रुक नहीं पाते हैं।प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद रहने, खाने, आने-जाने में किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होगी, जिससे पर्यटक आसानी से वहां रुक सकेंगे। इसका दूसरा फायदा यह होगा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा। पर्यटन स्पॉट के रूप में विकास होगा।

इन क्षेत्रों में चल रहा काम

जशपुर, सरोध और अंबिकापुर में एथेनिक टूरिज्म विलेज बनाए जाएंगे। वैसे ही मैनपाट, कुरदर, गंगरेल बां, कोंडागांव, जगदलपुर, चित्रकोट, तीरथगढ़ को और अधिक विकसित किया जा रहा है। पर्यटकों के लिए रेस्टोरेंट, पार्किंग, कॉटेज आदि बनाए जा रहे हैं।

इनका कहना है…………..

बाहर से आने वाले टूरिस्टों के पास समय कम रहता है। एथेनिक टूरिज्म विलेज पर्यटन क्षेत्र के रास्ते में ही बनाए जा रहे हैं, ताकि पर्यटक गांव की संस्कृति को जान सकें। इससे छत्तीसगढ़ टूरिज्म को बहुत फायदा होगा। 

केदार गुप्ता, वाइस चेयरमेन, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल

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