बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद भी नहीं चेता पाकिस्तान, फिर शुरू किया आतंकी कैंप

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नई दिल्ली 

बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद एक बार फिर वहां आतंकी कैंप की शुरुआत हो गई है. पाकिस्तान स्थित बालाकोट, जहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप चलाए जा रहे थे उसे फरवरी में पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक कर नष्ट कर दिया था. लेकिन अब फिर से वहां पर आतंक की ट्रेनिंग दी जाने लगी है.

कांग्रेस सांसद अहमद पटेल के सवाल पर जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में जानकारी दी कि बालाकोट में आतंकी ट्रेनिंग कैंप को दोबारा से एक्टिवेट कर दिया गया है और वहां पर आतंकवादियों को रेडिकलाइज तो किया ही जा रहा है, साथ ही जेहादी ट्रेनिंग भी दी जा रही है.

यही नहीं सवाल का उत्तर देते हुए गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए हर एक तरीके के कदम उठाने के लिए संकल्पबद्ध है.
 
मशकीन महल में आतंक की ट्रेनिंग
आजतक ने सबसे पहले बताया था कि जैश कैसे बालाकोट के मशकीन महल में आतंक की ट्रेनिंग दे रहा था. मसूद अजहर ने बालाकोट को कैसे जैश ए मोहम्मद की फिदायीन फैक्ट्री बनाया था.

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मौजूद बालाकोट ट्रेनिंग कैंप पर भारतीय सेना ने फरवरी में एयरस्ट्राइक कर उसे नष्ट कर दिया था. फ़िदायीन ट्रेनिंग कैंप पाकिस्तान के मानसेहरा-नारन-जलखांड रोड राष्ट्रीय राजमार्ग-15 मार्ग पर पड़ता है. बालाकोट ट्रेनिंग कैंप यहीं पर मौजूद था, जिसे भारतीय वायुसेना ने ध्वस्त कर दिया था.

इस आतंकी ट्रेनिंग में 600 से ज्यादा आतंकी एक साथ 5 से 6 बड़ी बिल्डिंग में रहते थे. इन आतंकियों को मदरसा आयशा सादिक की आड़ में फ़िदायीन हमले करने की ट्रेनिंग दी जाती थी.

कैसे होती है आतंकियों की भर्ती
बालाकोट के इस आतंकी कैंप में जैश के मास्टरमाइंड किस तरीके से आतंकवादियों को ब्रैनवाश कर उनको आतंकी ट्रेनिंग में शामिल किया करते थे, उसका पूरा कच्चा चिट्ठा भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद है.

मुज्जफराबाद के "सवाई नाला" में मौजूद जैश के ऑफिस में सबसे पहले आतंकियों को अलमियत के जरिये छांटा जाता था. फिर उनके लिए "इजाजतनामा/तजकियां" तैयार किया जाता था. नए भर्ती हुए आतंकी का जब इजाजतनामा या तजकियां तैयार हो जाता था तब उसको मुजफ्फराबाद के सवाई नाला में मौजूद आतंकी कमांडर की साइन वाली चिट्ठी दी जाती थी, इस चिट्ठी में "अल रहमत ट्रस्ट" का स्टैंप लगा होता था.

इस स्टैंप के लगे होने का मतलब यह था कि उस आतंकी की भर्ती जैश के संगठन में हो चुकी है. मुजफ्फराबाद के ऑफिस में नए रंगरूट जो आते थे उनको या तो कश्मीर से या फिर पाक अधिकृत कश्मीर के इलाके से ब्रेनवाश कर लाया जाता था.

खुफिया एजेंसियों ने आजतक को जानकारी दी कि मुजफ्फराबाद के इस ऑफिस में एक रात रुकने के बाद गाड़ी के जरिए "बालाकोट" के आतंकी कैंप में भर्ती हुए इन आतंकवादियों को ले जाया जाता है और फिर शुरू होता था यहां पर आतंकियो को फ़िदायीन या आत्मघाती बनाने का सिलसिला.

आतंकी कैंप में 3 महीने की ट्रेनिंग
बालाकोट के इस कैंप में जैश के आतंकियों को 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी जिसको तीन भागों में बांटा गया था. पहला, दौर ए खास/एडवांस कॉम्बैट कोर्स, दूसरा, दौरा-अल- राद-एडवांस आर्म्ड ट्रेनिंग कोर्स और तीसरा रिफ्रेशर ट्रेनिंग प्रोग्राम.

ख़ुफ़िया एजेंसी के मुताबिक आतंकवादियों को बालाकोट के जैश कैंप में AK 47, PIKA, LMG, रॉकेट लॉन्चर, UBGL और हैंड ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. जैश के आतंकियों को यहां पर जंगल सर्वाइवल, गोरिल्ला युद्ध, कम्युनिकेशन, इंटरनेट और GPS मैप की ट्रेनिंग दी जाती थी. यही नहीं इस कैंप में आतंकियों को तलवारबाजी, तैराकी और घुड़सवारी की ट्रेनिंग भी दी जाती थी.

हथियारों की ट्रेनिंग
बालाकोट के इस कैंप में जैश के कमांडर और आतंकियों के हैंडलर आतंकवादियों को अलग-अलग तरीके के हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग देते थे. भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास जो रिपोर्ट मौजूद है उसके मुताबिक एक ट्रेनी आतंकी को एके-47 के 10 राउंड्स प्रतिदिन, पीका गन के पांच राउंड प्रतिदिन, 2 हैंड ग्रेनेड प्रतिदिन और 7 राउंड पिस्टल के फायरिंग करने के लिए दिए जाते थे.

बालाकोट के इस कैंप में जंगल के इलाके में यहां से 1 किलोमीटर की दूरी पर फायरिंग रेंज आतंकवादियों ने बना रखा था. सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि आतंकवादियों को जब इस फायरिंग रेंज में ट्रेनिंग दी जाती थी तो उसके बदले में आतंकवादियों को ₹200 प्रति सप्ताह पॉकेट मनी भी दिया जाता था जिससे कि यह अपना प्रतिदिन का खर्च चला सके.

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